
मथुरा के वृंदावन में शुक्रवार, 27 जून की शाम को एक दुखद हादसा हुआ, जिसमें परिक्रमा मार्ग स्थित राधेश्याम आश्रम के ट्रांसफार्मर मीटर रूम में रुटीन चेकिंग के दौरान करंट लगने से दो बिजली कर्मियों, विनोद (26) और हरेंद्र (28) की मौत हो गई। तीसरा कर्मचारी, रामू चौधरी, इस हादसे में गंभीर रूप से झुलस गया और उसका इलाज अस्पताल में चल रहा है।

राधेश्याम आश्रम के प्रबंधक धर्मवीर शर्मा के अनुसार, आश्रम परिसर में स्थित ट्रांसफार्मर कक्ष में रुटीन जांच के लिए बिजली विभाग की टीम पहुंची थी। इस टीम में एसडीओ संदीप वार्ष्णेय, जेई (मीटर) ऋषभ, और प्राइवेट विद्युतकर्मी विनोद, हरेंद्र, और रामू शामिल थे। जानकारी के मुताबिक, विनोद पुत्र ओमप्रकाश ठाकुर और हरेंद्र पुत्र फूल सिंह, दोनों नवादा (बालाजीपुरम), थाना हाइवे के निवासी थे।
टीम ने जांच शुरू करने से पहले 11 केवी लाइन का शटडाउन लिया था। लेकिन जांच के दौरान अचानक लाइन चालू हो गई, जिसके कारण विनोद और हरेंद्र को तेज करंट का झटका लगा। दोनों को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। तीसरे कर्मचारी रामू को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हादसे की वजह और जांच
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह हादसा तब हुआ जब शटडाउन के बाद लाइन को गलती से दोबारा चालू कर दिया गया। आरोप है कि बिजली विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर (एई) या कंट्रोल रूम में मौजूद कर्मचारियों की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ। विद्युत विभाग ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि लाइन चालू कैसे हुई और इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है। डीवीवीएनएल (दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड) ने अपने आधिकारिक बयान में इस घटना को शोकजनक बताया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए जांच के बाद नियमानुसार कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
परिजनों का आक्रोश
हादसे की खबर मिलते ही मृतकों के परिजनों और स्थानीय लोगों में गुस्सा भड़क उठा। आक्रोशित परिजनों ने मृतकों के शव मथुरा कैंट बिजलीघर के बाहर रखकर रोड जाम कर दिया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई तथा मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता की मांग की। मृतक विनोद की पत्नी रेखा और अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। क्षेत्रीय पार्षद दिनेश चौधरी ने भी बिजली विभाग की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए मृतकों के परिवार के लिए नौकरी और मुआवजे की मांग की। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को समझा-बुझाकर जाम खुलवाया और शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह हादसा बिजली विभाग की कार्यप्रणाली में गंभीर चूक और सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिजली कर्मियों को उच्च वोल्टेज लाइनों पर काम करने से पहले पूर्ण शटडाउन और उचित सुरक्षा उपकरणों का उपयोग अनिवार्य है। इस घटना ने एक बार फिर बिजली विभाग के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए बेहतर प्रशिक्षण और प्रोटोकॉल की जरूरत पर जोर दिया है।