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वाराणसी में यूएई और कतर में नौकरी का झांसा देकर 22 लाख की ठगी, सात के खिलाफ केस दर्ज

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वाराणसी जिले की लालपुर-पांडेयपुर पुलिस ने विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर 22 लाख रुपये की ठगी का शिकार हुए प्रियतोष तिवारी की शिकायत पर सात नामजद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ठगों ने यूएई, कतर, और अन्य खाड़ी देशों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर पीड़ित से 15 लाख रुपये ऑनलाइन और 7 लाख रुपये नकद ठग लिए। आरोपियों ने फर्जी वीजा और दस्तावेज भी प्रदान किए, जो जांच में फर्जी पाए गए।

घटना
मूल रूप से गाजीपुर के जमानिया थाना क्षेत्र के ताजपुर निवासी प्रियतोष तिवारी, जो वर्तमान में वाराणसी के बेलवा बाबा सोयेपुर में रहते हैं, ने पुलिस को बताया कि फरवरी 2022 में उनकी मुलाकात अमेठी के जामो रोड, जगदीशपुर निवासी मुंशीर अहमद और महाराष्ट्र के चिकनपाडा मेल रोड निवासी मतीन रज्जाक से हुई थी। इनके साथ सीतापुर के लहरपुर, बेहटी निवासी पंकज कपूर, देव कपूर, महाराष्ट्र के इकरामुद्दीन, निजामुद्दीन, और प्रयागराज के लाल गोपाल गंज निवासी मनोज केसरवानी ने मिलकर ठगी की।

प्रियतोष ने बताया कि आरोपियों ने उनसे कई किस्तों में 15 लाख रुपये ऑनलाइन और 7 लाख रुपये नकद लिए। बदले में, उन्हें फर्जी वीजा और जॉब ऑफर लेटर दिए गए, जो बाद में जांच में फर्जी पाए गए। जब पीड़ित ने पैसे वापस मांगे, तो आरोपियों ने उन्हें लखनऊ बुलाकर गाली-गलौज की और जान से मारने की धमकी दी। इंस्पेक्टर राजीव कुमार सिंह ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ विभिन्न जिलों में पहले से भी कई मामले दर्ज हैं, और उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी गई है।

मोडस ऑपरेंडी और व्यापक नेटवर्क
पुलिस जांच में पता चला कि यह गिरोह संगठित तरीके से काम करता था। वाराणसी पुलिस की साइबर सेल और चौक थाने की संयुक्त कार्रवाई में हाल ही में एक अन्य अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ था, जिसमें सात लोग गिरफ्तार किए गए थे। उस गिरोह ने भी खाड़ी देशों, इजरायल, कंबोडिया, और दक्षिण अफ्रीका में नौकरी का झांसा देकर ठगी की थी। इस मामले में भी आरोपियों ने फर्जी सिम कार्ड, म्यूल बैंक खातों, और फर्जी वीजा-ऑफर लेटर का इस्तेमाल किया। वाराणसी में दो कॉल सेंटर सील किए गए थे, और एक लैपटॉप, नौ मोबाइल फोन, छह शिकायत रिकॉर्ड, और अन्य दस्तावेज जब्त किए गए थे।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
लालपुर-पांडेयपुर थाने के इंस्पेक्टर राजीव कुमार सिंह ने कहा कि आरोपियों की तलाश के लिए टीमें गठित की गई हैं, और जल्द ही उनकी गिरफ्तारी की जाएगी। पुलिस ने पीड़ित के बयान और उपलब्ध सबूतों के आधार पर भारतीय न्यु संहिता (BNS) की धारा 318(4) (धोखाधड़ी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। यह भी पता चला है कि इस तरह की ठगी के मामले उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, और अन्य राज्यों में बढ़ रहे हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली पुलिस ने हाल ही में जामरुदपुर में एक फर्जी वीजा रैकेट का भंडाफोड़ किया था, जिसमें तीन लोग गिरफ्तार हुए थे।

सामाजिक और नीतिगत चिंताएं
विदेश में नौकरी के लिए भारतीय युवाओं की बढ़ती मांग को भुनाने के लिए ठग गिरोह सक्रिय हो गए हैं। खाड़ी देशों, खासकर यूएई और कतर, में नौकरी की चाहत रखने वाले लोग इन गिरोहों का आसान शिकार बन रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने भी इस तरह की धोखाधड़ी के खिलाफ कई बार चेतावनी जारी की है और E-Migrate सिस्टम के जरिए भर्ती एजेंसियों की वैधता जांचने की सलाह दी है। हाल ही में यूएई ने भी एक फर्जी गोल्डन वीजा स्कैम के खिलाफ चेतावनी जारी की थी, जिसमें भारतीयों को 23 लाख रुपये में आजीवन रेजिडेंसी का लालच दिया गया था।

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