
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लॉस एंजिल्स में विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए लगभग 4,700 सैनिक तैनात किए, जो इराक (2,500) और सीरिया (2,000) में तैनात अमेरिकी सैनिकों की कुल संख्या से अधिक है।

पेंटागन के अनुसार, इसमें 4,000 नेशनल गार्ड और 700 मरीन्स शामिल हैं। यह तैनाती ट्रंप की आक्रामक आव्रजन नीतियों, विशेष रूप से इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) के छापों के खिलाफ छह दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के जवाब में की गई है। इन छापों ने लॉस एंजिल्स में शुरू होकर कैलिफोर्निया, टेक्सास, शिकागो और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में प्रदर्शनों को बढ़ावा दिया है।
विवाद और कानूनी चुनौतियां
कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसॉम ने तैनाती को “अवैध और अनैतिक” करार देते हुए ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। न्यूसॉम और लॉस एंजिल्स की मेयर करेन बास ने तर्क दिया कि स्थानीय पुलिस स्थिति को संभालने में सक्षम है, और सैन्य तैनाती अनावश्यक रूप से तनाव बढ़ा रही है। न्यूसॉम ने इसे “लोकतंत्र पर हमला” बताया, जबकि बास ने हिंसा और लूटपाट के लिए “कुछ उपद्रवियों” को जिम्मेदार ठहराया, यह कहते हुए कि अधिकांश प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण हैं।
पेंटागन के प्रवक्ता सीन पर्नेल ने सोशल मीडिया पर तैनाती का समर्थन करते हुए कहा, “यह वही है जिसके लिए अमेरिकी जनता ने वोट दिया।” हालांकि, 1878 का पॉसी कॉमिटेटस एक्ट आम तौर पर सैन्य बलों को नागरिक कानून प्रवर्तन में शामिल होने से रोकता है, सिवाय इसके कि राष्ट्रपति इसे आपातकाल में लागू करें। ट्रंप ने इसे अपने कमांडर-इन-चीफ अधिकारों और संभावित रूप से इन्सररेक्शन एक्ट के तहत उचित ठहराया, जिसे आखिरी बार 1992 में लॉस एंजिल्स दंगों के दौरान इस्तेमाल किया गया था।
वित्तीय और सामाजिक प्रभाव
पेंटागन का अनुमान है कि लॉस एंजिल्स में 60 दिनों की तैनाती की लागत 134 मिलियन डॉलर होगी। होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने 20,000 अतिरिक्त नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती का प्रस्ताव दिया है, जिसकी लागत एक वर्ष में 3.6 बिलियन डॉलर हो सकती है। ट्रंप ने लॉस एंजिल्स को “हिंसा से प्रभावित” और “विदेशी हितों द्वारा समर्थित उग्रवादियों” से भरा हुआ बताया, जबकि प्रदर्शनकारियों ने मैक्सिको और अन्य देशों के झंडे लहराकर आप्रवासियों के प्रति एकजुटता दिखाई।
प्रदर्शनों का पृष्ठभूमि
6 जून 2025 को शुरू हुए ICE छापों, जिसमें होम डिपो जैसे स्थानों पर अवैध आप्रवासियों को हिरासत में लिया गया, ने व्यापक आक्रोश पैदा किया। प्रदर्शनकारियों ने वायमो कारों को जलाया और पुलिस के साथ झड़प की, जिसके जवाब में 8 जून को कर्फ्यू लगाया गया। रॉयटर्स के अनुसार, सैनिकों को प्रदर्शनकारियों को अस्थायी रूप से हिरासत में लेने की अनुमति दी गई है। लॉस एंजिल्स में कम से कम 378 लोग गिरफ्तार किए गए हैं।
ट्रंप का रुख और व्यापक संदर्भ
ट्रंप ने 10 जून को फोर्ट ब्रैग, नॉर्थ कैरोलिना में सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, “हम लॉस एंजिल्स को मुक्त करेंगे और इसे फिर से सुरक्षित बनाएंगे।” उन्होंने प्रदर्शनकारियों को “विदेशी झंडे लहराने वाले दंगाई” करार दिया। उनकी यह तैनाती 14 जून को वाशिंगटन में होने वाली सैन्य परेड से ठीक पहले हुई है, जिसमें पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर भी शामिल होंगे। यह परेड ट्रंप के 79वें जन्मदिन और अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के साथ मेल खाती है।
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