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लेह लद्दाख विरोध प्रदर्शन: हिंसक झड़प में 4 की मौत, 80 घायल, सोनम वांगचुक ने की युवाओं से शांति की अपील

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लद्दाख के लेह में 24 सितंबर 2025 को पूर्ण राज्य के दर्जे और संविधान की छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर चल रहा शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक हो गया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें 30 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी शामिल हैं।

पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जो 10 सितंबर से अनशन पर थे, ने हिंसा के बाद अपना 15 दिन का अनशन समाप्त कर दिया और युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की। लेह प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू लागू कर दिया और पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया।

घटना का विवरण
प्रदर्शन की शुरुआत लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के आह्वान पर हुई थी, जो लद्दाख के लिए चार प्रमुख मांगों—पूर्ण राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, और लेह व कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीट—को लेकर पिछले पांच वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं। मंगलवार (23 सितंबर) को 35 दिन के अनशन में शामिल 15 लोगों में से दो बुजुर्ग प्रदर्शनकारियों, त्सेरिंग अंगचुक (72) और ताशी डोलमा (60), की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। इसके बाद LAB की युवा शाखा ने लेह में बंद का आह्वान किया, जिसके कारण हजारों युवा सड़कों पर उतर आए।

प्रदर्शन दोपहर 11:30 बजे शुरू हुआ, जब नुंगदुक गांव में अनशन स्थल पर हजारों लोग, खासकर 14-25 वर्ष की आयु के युवा, स्कूली छात्राएं, कॉलेज छात्र, और मॉन्क्स, शांतिपूर्वक बैठे थे। लेकिन स्थिति तब बिगड़ गई जब कुछ युवाओं ने नारे लगाते हुए जुलूस निकाला और बीजेपी के लेह जिला कार्यालय, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (LAHDC) के कार्यालय, और एक सीआरपीएफ वाहन पर हमला कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय में आग लगा दी, फर्नीचर और कागजात जलाए, और पुलिस पर पथराव किया। जवाब में, पुलिस को आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। गृह मंत्रालय के अनुसार, आत्मरक्षा में पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी, जिसमें “दुर्भाग्यवश कुछ हताहत हुए।”

सोनम वांगचुक की अपील
सोनम वांगचुक ने हिंसा की निंदा करते हुए X पर एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा, “लेह में आज जो हुआ, वह बहुत दुखद है। पिछले पांच साल से हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण रहा है, लेकिन आज हमारा शांति का संदेश विफल रहा। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि इस हिंसा को तुरंत रोकें। यह हमारे उद्देश्य को नुकसान पहुंचाता है।” उन्होंने अनशन समाप्त करने की घोषणा करते हुए कहा कि अगर यह जारी रहा, तो और लोग बीमार पड़ सकते हैं और स्थिति विस्फोटक हो सकती है। वांगचुक ने इसे “Gen Z क्रांति” करार दिया और कहा कि युवाओं में पिछले पांच साल से बेरोजगारी और सरकार की उदासीनता के कारण गुस्सा है।

वांगचुक ने सरकार पर शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और कहा, “युवाओं ने हमें बताया कि शांतिपूर्ण रास्ता काम नहीं कर रहा। हमने कभी नहीं सोचा था कि यह इतना हिंसक रूप लेगा।” उन्होंने प्रशासन से आंसू गैस का उपयोग बंद करने और केंद्र सरकार से लद्दाख के प्रति संवेदनशील होने की अपील की।

केंद्र सरकार और प्रशासन का रुख
गृह मंत्रालय ने हिंसा के लिए सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया, दावा किया कि उनकी “उत्तेजक बयानबाजी” ने भीड़ को भड़काया। मंत्रालय ने कहा कि वांगचुक ने अरब स्प्रिंग और नेपाल के Gen Z आंदोलनों का जिक्र कर प्रदर्शनकारियों को उकसाया। हालांकि, वांगचुक ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी का इतना प्रभाव नहीं है कि वह हजारों युवाओं को सड़कों पर ला सके।

लेह के जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोनक ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163 के तहत पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया। किसी भी जुलूस, रैली, या भड़काऊ बयानबाजी पर रोक लगा दी गई। लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने हिंसा को “साजिश” करार दिया और बांग्लादेश व नेपाल के युवा आंदोलनों से इसकी तुलना को भड़काऊ बताया। उन्होंने मृतकों की संख्या की पुष्टि नहीं की, लेकिन कर्फ्यू की घोषणा की।

विपक्ष की प्रतिक्रिया
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लेह की घटना यह दर्शाती है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति से कितने नाराज हैं। उन्होंने X पर लिखा, “लद्दाख को तो राज्य का दर्जा वादा भी नहीं किया गया था, फिर भी वे 2019 में UT बनने का जश्न मना रहे थे। अब वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।” कांग्रेस और वाम दलों ने केंद्र से संवेदनशीलता के साथ स्थिति को संभालने की मांग की।

आंदोलन की पृष्ठभूमि
लद्दाख को 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। शुरुआत में इस कदम का स्वागत हुआ, लेकिन बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति ने स्थानीय लोगों में असंतोष पैदा किया। LAB और KDA पिछले पांच साल से पूर्ण राज्य, छठी अनुसूची, और स्थानीय लोगों के लिए नौकरी व जमीन की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

छठी अनुसूची पूर्वोत्तर के चार राज्यों (असम, मेघालय, त्रिपुरा, और मिजोरम) में जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्तता देती है, और लद्दाख की जनजातीय आबादी इसे अपनी संस्कृति और जमीन की रक्षा के लिए चाहती है।

केंद्र सरकार ने 2023 में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति (HPC) बनाई थी, जिसने मई 2027 में आखिरी बार LAB और KDA के साथ बातचीत की थी। 20 सितंबर को केंद्र ने 6 अक्टूबर को अगली बैठक की घोषणा की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसे देर से लिया और जल्द बातचीत की मांग की।

सामाजिक और रणनीतिक प्रभाव
लद्दाख की सीमा चीन से सटी होने के कारण यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। 2020 में भारत-चीन सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद से क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता अहम है। वांगचुक ने चेतावनी दी कि बेरोजगारी और असंतोष सामाजिक अशांति का कारण बन सकते हैं, जो सीमावर्ती क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर सकता है।

सोशल मीडिया पर इस घटना ने तीखी प्रतिक्रियाएं देखीं। कुछ यूजर्स ने इसे “लद्दाख की जनता की पुकार” बताया, जबकि अन्य ने हिंसा की निंदा की। एक X पोस्ट में कहा गया, “सोनम वांगचुक की शांतिपूर्ण अपील को नजरअंदाज कर सरकार ने स्थिति को बिगड़ने दिया।”

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