
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 24 जुलाई 2025 को संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में चुनाव आयोग (EC) पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि उनके पास कर्नाटक की एक लोकसभा सीट पर मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर धांधली के “100% पुख्ता सबूत” हैं।

साथ ही, उन्होंने बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन (SIR) को विपक्षी वोटरों को हटाने की साजिश करार दिया, इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। गांधी ने चेतावनी दी कि वह और INDIA गठबंधन इस मामले को संसद से सड़क तक उठाएंगे और EC को “नहीं छोड़ेंगे।”
कर्नाटक में धांधली का दावा:
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट (संभवतः बेलगावी, हालांकि नाम स्पष्ट नहीं) की मतदाता सूची का छह महीने तक गहन अध्ययन किया। इस दौरान पेपर-आधारित वोटर लिस्ट को डिजिटल फॉर्मेट में बदला गया, जिससे “वोट चोरी” का पूरा सिस्टम उजागर हुआ। उन्होंने दावा किया कि हजारों नए वोटर, जिनकी उम्र 45-65 साल थी, गैरकानूनी तरीके से जोड़े गए। गांधी ने कहा, “हमने एक सीट की जांच की और भयंकर चोरी पकड़ी। यह हर सीट में हो रहा है। हम इसे जल्द जनता और EC के सामने कागजों पर रखेंगे।”
बिहार में SIR पर सवाल:
राहुल ने बिहार में चल रहे SIR को SC, ST, OBC, और अल्पसंख्यक वोटरों को वोटिंग के अधिकार से वंचित करने की साजिश बताया। EC के अनुसार, बिहार में घर-घर सत्यापन में 52.3 लाख वोटर अपने पते पर नहीं मिले, 18.6 लाख की मृत्यु हो चुकी है, और 7.5 लाख वोटर कई जगहों पर पंजीकृत हैं। गांधी ने इसे “वोटर डिलीशन” की रणनीति करार देते हुए कहा कि EC ने वोटर लिस्ट और वीडियोग्राफी देने से इनकार कर दिया, और नियम बदल दिए। उन्होंने 17 जुलाई को X पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें सरकारी कर्मचारियों पर बिना वोटर की जानकारी के फॉर्म भरने और हस्ताक्षर करने का आरोप था।
महाराष्ट्र में “मैच फिक्सिंग” का आरोप:
गांधी ने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 39 लाख नए वोटरों के जुड़ने को “चुनाव चोरी” का सबूत बताया। उन्होंने कहा कि मई 2024 के लोकसभा चुनाव और नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव के बीच पांच महीनों में 39 लाख वोटर जोड़े गए, जो 2019-2024 के पांच साल में जोड़े गए 32 लाख वोटरों से अधिक है। उन्होंने इसे “मैच फिक्सिंग” करार दिया और EC पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। हालांकि, EC और महाराष्ट्र के CM देवेंद्र फडणवीस ने इन आरोपों को खारिज किया, और डेटा से साबित किया कि 2009 और 2014 में भी समान वोटर वृद्धि देखी गई थी।
EC का जवाब:
चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को “निराधार” बताया और कहा कि मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया पारदर्शी है, जिसमें सभी मान्यता प्राप्त दलों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। EC ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर SIR को मतदाता सूची की शुद्धता के लिए जरूरी बताया। आयोग ने कहा कि 25 जुलाई तक 80.11% वोटरों ने अपने फॉर्म जमा किए, और केवल 11,484 वोटरों का पता नहीं चल सका। EC ने यह भी कहा कि नागरिकता सत्यापन का अधिकार उसका है, और बिहार में गैर-नागरिकों (जैसे रोहिंग्या, बांग्लादेशी) के नाम हटाए जा रहे हैं।
विपक्ष का विरोध और सियासी माहौल:
राहुल के बयानों ने बिहार, कर्नाटक, और महाराष्ट्र में सियासी तापमान बढ़ा दिया है। INDIA गठबंधन (कांग्रेस, RJD, सपा, DMK) ने संसद में SIR के खिलाफ विरोध दर्ज किया, जिसमें स्लोगन जैसे “SIR is the murder of democracy” उठाए गए। RJD नेता तेजस्वी यादव ने SIR को 2.5 करोड़ वोटरों को हटाने की साजिश बताया, जबकि ममता बनर्जी ने भी EC की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।
दूसरी ओर, BJP ने इसे विपक्ष की हार की हताशा करार दिया। बिहार में NDA (BJP, JD(U), LJP) और INDIA गठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल) के बीच अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा बड़ा सियासी हथियार बन गया है।
चिराग पासवान का जवाब:
लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने राहुल के SIR पर आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष पहले वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों की शिकायत करता था, और अब जब EC सुधार कर रहा है, तो उसका विरोध कर रहा है। उन्होंने इसे “वोट बटोरने की सियासत” बताया।
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