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राशन घोटाला: पूर्व एडीएम की मुश्किलें बढ़ीं, इतने पूर्ति अधिकारियों पर कार्रवाई का खतरा

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आगरा में हुए राशन घोटाले में तत्कालीन एडीएम (नागरिक आपूर्ति) सुशीला अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन पर राशन माफिया से मिलीभगत का आरोप है। शासन द्वारा गठित दो सदस्यीय समिति शुक्रवार को आगरा पहुंच रही है, जो बयान दर्ज करने और अभिलेखों की जांच के साथ साक्ष्य जुटाएगी। सीबीसीआईडी ने 110 मुकदमों की जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें 30 से अधिक पूर्ति अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।

आगरा में राशन घोटाले के 19 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से 15 की जांच पूरी हो चुकी है। इसके बावजूद, जिले में राशन की कालाबाजारी नहीं रुकी। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दर्ज 54 मुकदमों की जांच एक साल से लंबित है। आरोप है कि आगरा से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों तक राशन माफिया का नेटवर्क फैला हुआ है। इस गैंग में 500 से अधिक लोग शामिल हैं, जिनमें 250 फेरीवाले हैं। ये फेरीवाले मुफ्त वितरित होने वाले राशन के चावल को 5 रुपये प्रति किलो खरीदकर 15-20 रुपये प्रति किलो में अन्य राज्यों में बेचते हैं। फिर वही चावल खाद्यान्न खरीद के नाम पर यूपी में वापस लाया जाता है।

गैंग का सरगना सुमित अग्रवाल, जिसके खिलाफ छह से अधिक मामले दर्ज हैं, पर तत्कालीन एडीएम सुशीला अग्रवाल से मिलीभगत के आरोप हैं। इस नेटवर्क में राशन माफिया, कोटेदार, एफसीआई गोदाम के ठेकेदार और पूर्ति विभाग के कर्मचारी शामिल हैं। 54 मुकदमों में 70 से अधिक लोग नामजद हैं, लेकिन पुलिस और प्रशासन की ढीली कार्यप्रणाली के कारण कालाबाजारी पर अंकुश नहीं लग सका।

सितंबर 2024 में, जिला आपूर्ति अधिकारी संजीव कुमार की अगुवाई में छापेमारी के दौरान नगला बारी के एक गोदाम से 27 टन राशन (559 बोरे चावल) जब्त किया गया, जो हरियाणा भेजा जा रहा था। गोदाम के संचालक सुमित अग्रवाल और उनके साले मनीष अग्रवाल के खिलाफ अछनेरा थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। 14 सितंबर को मुख्यमंत्री कार्यालय ने तत्कालीन डीएम भानु चंद्र गोस्वामी से सुशीला अग्रवाल के खिलाफ रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद उन्हें पद से हटाकर राजस्व परिषद, लखनऊ से संबद्ध कर दिया गया।

सीबीसीआईडी की जांच में खुलासा हुआ कि यह घोटाला राशन डीलरों, जिला आपूर्ति अधिकारियों (डीएसओ) और एडीएम रैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ। शासन की अनुमति मिलने पर पूर्ति निरीक्षकों और कोटेदारों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

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