राजस्थान में दूषित कफ सिरप से जुड़े संकट ने और गहरा लिया है, जब सीकर जिले के दो और बच्चे (उम्र 3 और 5 वर्ष) ने स्थानीय डॉक्टर द्वारा निर्धारित सिरप पीने के बाद बेहोश हो गए। दोनों को जयपुर के जेके लोन अस्पताल के आईसीयू में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया है।
परिवारों के अनुसार, बच्चों को 16 सितंबर को खांसी-जुकाम हुआ था, और हथीड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) से डेक्सट्रोमेथॉर्फन युक्त सिरप दिया गया। सिरप पीने के तुरंत बाद दोनों बेहोश हो गए। अब तक राजस्थान में 3 बच्चे संदिग्ध सिरप विषाक्तता से मर चुके हैं, जबकि 2 आईसीयू में हैं। मध्य प्रदेश में 9 मौतें हो चुकी हैं, कुल 12 बच्चों की जान जा चुकी है।
कासन फार्मा पर रोक: 19 दवाओं का वितरण बंद, 42 सैंपल फेल
राजस्थान सरकार ने जयपुर स्थित कासन फार्मा (Kaysons Pharma) की सभी 19 दवाओं का वितरण तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। यह फैसला दवा की गुणवत्ता पर चिंताओं के बाद आया, जहां 2012 से अब तक 10,000 से अधिक सैंपल टेस्ट किए गए, जिनमें 42 फेल हो चुके। राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (RMSCL) के एमडी पुकराज सेन ने पुष्टि की कि कंपनी डेक्सट्रोमेथॉर्फन आधारित सिरप सप्लाई करती थी। केंद्र सरकार ने 2021 की सलाह दोहराई कि 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डेक्सट्रोमेथॉर्फन न दें, और DCGI ने स्पष्ट किया कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कभी न दें।
राज्य सरकार की कार्रवाई: ड्रग कंट्रोलर निलंबित, विशेषज्ञ समिति गठित
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बच्चों की मौतों पर गहन जांच के आदेश दिए हैं। राज्य ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को दवा मानकों निर्धारण में प्रभाव डालने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। मेडिकल एंड हेल्थ डिपार्टमेंट ने डेक्सट्रोमेथॉर्फन युक्त सभी कफ सिरप का वितरण अस्थायी रूप से रोक दिया। एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई है, जो मिलावट की जांच करेगी और प्रभावित उत्पादों की सुरक्षा का मूल्यांकन करेगी। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए फार्मास्यूटिकल सप्लाई चेन में जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
नई सुरक्षा मानक: बच्चों-गर्भवती महिलाओं के लिए चेतावनी लेबल अनिवार्य
प्रधान सचिव गायत्री राठौर ने कहा कि भविष्य में बच्चों या गर्भवती महिलाओं के लिए जोखिम वाली सभी दवाओं पर स्पष्ट चेतावनी लेबल अनिवार्य होंगे। केंद्र ने 2021 की सलाह दोहराई कि 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डेक्सट्रोमेथॉर्फन न दें। DCGI ने स्पष्ट किया कि 5 वर्ष से ऊपर के बच्चों को ही दें, और 2 वर्ष से कम को कभी न। विशेषज्ञों ने बहस छेड़ी कि क्या बच्चों को कफ सिरप की ही जरूरत है, क्योंकि 6 वर्ष से कम उम्र के अधिकांश खांसी वायरल होती है और खुद ठीक हो जाती है।
तमिलनाडु में कार्रवाई: कोल्डरिफ सिरप का उत्पादन बंद, डीईजी मिलावट पुष्ट
तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने कांचीपुरम स्थित स्रेसन फार्मास्यूटिकल्स के कोल्डरिफ कफ सिरप के उत्पादन पर तत्काल रोक लगा दी। लैब टेस्ट में बैच में 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) मिला, जो किडनी फेलियर का कारण बनने वाला विषैला रसायन है। डिप्टी डायरेक्टर एस. गुरुभरती ने कहा कि 1 अक्टूबर को मध्य प्रदेश से शिकायत मिलने पर 30 मिनट में प्लांट का निरीक्षण किया गया। कंपनी को शो-कॉज नोटिस जारी कर लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की गई। तमिलनाडु में बिक्री रोक दी गई, और स्टॉक फ्रीज कर दिया गया। ओडिशा और पुदुचेरी को अलर्ट भेजा गया। यह पहला मामला है जहां शिकायत से स्टॉप प्रोडक्शन ऑर्डर तक 2 दिनों में पूरी कार्रवाई हुई।
राष्ट्रीय स्तर पर जांच: केंद्र ने डीईजी की कोई मिलावट नहीं पाई
केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के सैंपल्स में डीईजी या एथिलीन ग्लाइकॉल नहीं मिला, लेकिन किडनी फेलियर का कारण जांचा जा रहा है। NCDC, NIV और CDSCO ने टेस्ट किए। विशेषज्ञों ने सिरप की अनावश्यकता पर बहस छेड़ी, क्योंकि वायरल खांसी खुद ठीक हो जाती है। 2022 में गाम्बिया में भारतीय सिरप से 60 बच्चों की मौत हुई थी।
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