

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्राथमिक स्कूलों के विलय (पेयरिंग) नीति में बड़ा बदलाव करते हुए 2,000 से 3,000 स्कूलों का विलय निरस्त करने का फैसला लिया है।
यह निर्णय उन स्कूलों पर लागू होगा, जो एक किलोमीटर से अधिक दूरी पर हैं या जिनमें 50 से अधिक छात्र हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, इस प्रक्रिया में स्थानीय अधिकारियों की मनमानी के मामले सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया है।
प्रमुख बिंदु
- विलय निरस्तीकरण की प्रक्रिया:
- एक किलोमीटर से अधिक दूरी वाले और 50 से ज्यादा छात्रों वाले स्कूलों का विलय निरस्त किया जाएगा।
- यह प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
- अनुमानित 2,000-3,000 स्कूलों का विलय निरस्त होगा, जिसमें सबसे ज्यादा मामले अंबेडकरनगर (154 स्कूल) में हैं। अन्य जिलों में स्थिति:
- मनमानी की शिकायतें:
- पिछले एक महीने से चल रही विलय प्रक्रिया में स्थानीय अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी और मनमानी की शिकायतें मिलीं।
- अभिभावकों और विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी (सपा), ने इस नीति का विरोध किया, इसे बच्चों की शिक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच के लिए हानिकारक बताया।
- सीएम योगी के निर्देश:
- रविवार को समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए कि विलय केवल निर्धारित मानकों (50 से कम छात्र और 1 किमी से कम दूरी) के आधार पर हो।
- अनियमितता बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सोमवार को निदेशालय स्तर पर समीक्षा शुरू हो चुकी है।
- शिक्षकों और स्कूलों की स्थिति:
- बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया कि कोई स्कूल स्थायी रूप से बंद नहीं होगा, और न ही किसी शिक्षक का पद समाप्त होगा।
- प्रदेश के 1,32,886 परिषदीय स्कूल संचालित रहेंगे, और भविष्य में छात्र संख्या बढ़ने पर निरस्त स्कूलों को पुनः संचालित किया जाएगा।
- तबादला और समायोजन:
- स्कूलों के विलय के साथ शिक्षकों के तबादले और समायोजन की प्रक्रिया भी चल रही है।
- ऑनलाइन आवेदन 4 अगस्त देर रात बंद हो गए। 5 और 6 अगस्त को बीएसए द्वारा सत्यापन होगा, और 8 अगस्त को तबादला आदेश जारी होंगे।
विपक्ष का विरोध:
- समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि सरकार वोट की राजनीति के तहत उन क्षेत्रों में स्कूल बंद कर रही है, जहां सपा जीतती थी।
- कांग्रेस और बसपा ने भी इस नीति को शिक्षा के अधिकार (RTE) के उल्लंघन और ग्रामीण बच्चों के लिए हानिकारक बताया।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जुलाई में विलय को संवैधानिक और जनहित में ठहराया, लेकिन सीतापुर में 50 से अधिक छात्रों वाले स्कूलों के विलय पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
सरकार का तर्क:
- बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि विलय का उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार है।
- 2017 के बाद से स्कूलों में पीने का पानी, शौचालय, और अन्य सुविधाएं 96% स्कूलों में उपलब्ध कराई गई हैं।
- खाली होने वाली स्कूल इमारतों में 3-6 वर्ष के बच्चों के लिए बाल वाटिका शुरू की जाएगी।
अंबेडकरनगर में स्थिति:
- अंबेडकरनगर में 154 स्कूलों का विलय निरस्त किया गया है, जो प्रदेश में सर्वाधिक है।
- जिले में स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की मनमानी की शिकायतें थीं, जिसके बाद यह कदम उठाया गया।
- यह निर्णय ग्रामीण क्षेत्रों के अभिभावकों और छात्रों के लिए राहत लेकर आया है, क्योंकि लंबी दूरी तय करना उनके लिए चुनौती थी।
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