उत्तर प्रदेश सरकार ने मछुआरों के बच्चों के लिए फीस प्रतिपूर्ति योजना शुरू की है, जिसमें कक्षा 12 से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक की उनकी शिक्षा का खर्च शामिल है। सालाना 2 लाख रुपये से कम कमाने वाले परिवार ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, जिसका लाभ सरकारी और निजी संस्थानों में नियमित पाठ्यक्रमों पर केंद्रित है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मछुआरों के बच्चों की 12वीं कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक की शिक्षा फीस का भुगतान करके उन्हें आर्थिक सहायता देने के लिए एक योजना शुरू की है। पोस्ट-मैट्रिक शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य मछुआरा समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को लाभ पहुंचाना है।
उत्तर प्रदेश सरकार पोस्ट मैट्रिक शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत मछुआरों के बच्चों की इंटरमीडिएट (12वीं) से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक की ट्यूशन फीस का भुगतान करेगी। सालाना 2 लाख रुपये से कम आय वाले परिवारों के बच्चे आधिकारिक पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
कौन आवेदन कर सकता है?
यह योजना निषाद, रक्ततर, माझी, बिंद, धीगर, कश्यप, केवट, मल्लाह, तुरहा, गोडिया और कहार जैसे समुदायों के मछुआरों के बच्चों के लिए खुली है। सालाना 2 लाख रुपये से कम कमाने वाले परिवार आधिकारिक पोर्टल के माध्यम से इस लाभ के लिए आवेदन कर सकते हैं।
पात्रता मापदंड
– आवेदकों को एसडीएम (सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट) द्वारा जारी आय प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
– अन्य सरकारी योजनाओं (राज्य या केंद्र) के तहत पहले से ही शुल्क प्रतिपूर्ति प्राप्त कर रहे छात्र पात्र नहीं होंगे।
कितनी फीस कवर होगी?
– इंटरमीडिएट (कक्षा 12) के छात्रों के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति को उनके पाठ्यक्रम और संस्थान के प्रकार के आधार पर चार स्लैब में वर्गीकृत किया जाएगा।
– स्नातकोत्तर तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए, योजना के तहत वास्तविक शुल्क या 50,000 रुपये, जो भी कम हो, की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
– यह योजना सरकारी, सहायता प्राप्त या निजी स्व-वित्तपोषित संस्थानों द्वारा प्रस्तावित नियमित पाठ्यक्रमों पर केंद्रित है।
कार्यान्वयन और निरीक्षण
इस योजना को प्रमुख सचिव के. रवींद्र नाइक की देखरेख में शुरू किया गया है, जिन्होंने मत्स्य विभाग को इसके सुचारू क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। मत्स्य पालन मंत्री डॉ. संजय निषाद ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मछुआरों की सहायता के लिए एक कल्याण कोष बनाया गया है और यह पहल उसी प्रयास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यह क्यों मायने रखती है?
यह योजना मछुआरा समुदाय के बच्चों को बिना किसी वित्तीय बाधा के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम बनाकर उनके उत्थान की दिशा में एक कदम है। इसका उद्देश्य शैक्षिक असमानताओं को पाटना और अगली पीढ़ी के लिए बेहतर अवसर पैदा करना भी है।
उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से मछुआरों के बच्चों को अब उच्च शिक्षा प्राप्त करने और उज्ज्वल भविष्य बनाने का मौका मिला है।
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