
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शनिवार को एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस की नई इंटीग्रेशन एंड टेस्ट सुविधा से तैयार ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों की पहली खेप को हरी झंडी दिखाई।

यह न केवल उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (यूपीडीआईसी) के लिए मील का पत्थर साबित हुई, बल्कि भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के संकल्प को भी मजबूत करने वाली साबित हुई। दुनिया की सबसे तेज और घातक सटीक प्रहार क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली के निर्माता ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने लखनऊ के सरोजिनी नगर स्थित भटगांव इकाई से यह पहली खेप तैयार की है, जो ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यह अत्याधुनिक सुविधा 11 मई 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा उद्घाटित की गई थी और उसके बाद से पूरी तरह संचालित हो चुकी है। लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह 80 हेक्टेयर में फैली इकाई मिसाइलों के असेंबली, इंटीग्रेशन, टेस्टिंग और अंतिम गुणवत्ता जांच की पूरी प्रक्रिया स्वदेशी रूप से संभालती है।
शुरुआत में यह इकाई सालाना 80-100 मिसाइलें तैयार करने का लक्ष्य रखती है, जो बाद में बढ़कर 150 तक पहुंच सकती है। इस उत्पादन से न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि भविष्य में निर्यात के अवसर भी खुलेंगे। साथ ही, यूपी सरकार को लगातार जीएसटी राजस्व मिलेगा और उच्च कौशल वाले युवाओं के लिए रोजगार के द्वार खुलेंगे।
कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री ने बूस्टर बिल्डिंग का उद्घाटन किया तथा बूस्टर डॉकिंग प्रक्रिया का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया। इसके अलावा एयरफ्रेम और एवियोनिक्स, वॉरहेड बिल्डिंग में प्री-डिस्पैच इंस्पेक्शन (पीडीआई), ब्रह्मोस सिम्युलेटर उपकरणों पर प्रस्तुतिकरण भी देखा। स्टोरेज ट्रॉली का प्रदर्शन, मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर का डेमो तथा पौधरोपण कार्यक्रम भी आयोजित हुआ। ब्रह्मोस के महानिदेशक डॉ. जयतीर्थ आर. जोशी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जीएसटी बिल और चेक सौंपा, जो राज्य को प्राप्त होने वाले राजस्व का प्रतीक है।
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियतें इसे दुनिया की सबसे उन्नत हथियार प्रणाली बनाती हैं। यह भारत और रूस के संयुक्त उद्यम डीआरडीओ तथा एनपीओ मशीनोस्त्रोएनिया द्वारा विकसित सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो जमीन, समुद्र या हवा से लॉन्च की जा सकती है। इसकी रफ्तार ध्वनि की गति से तीन गुना अधिक (मच 3) है, जो इसे दुश्मन की रक्षा प्रणालियों को भेदने में सक्षम बनाती है। इसकी मारक क्षमता 290 से 450 किलोमीटर तक है और यह सटीक निशाना साधकर मात्र 1-2 मीटर के दायरे में हमला कर सकती है। स्टील्थ तकनीक से लैस यह मिसाइल रडार पर कम दिखाई देती है।
ब्रह्मोस को 2007 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था और अब इसके अगली पीढ़ी के संस्करणों का विकास भी हो रहा है। इसकी बहुमुखी प्रतिभा के कारण यह नौसेना के जहाजों, वायुसेना के लड़ाकू विमानों और थलसेना के मोबाइल लॉन्चरों पर तैनात की जा सकती है।
इस सफलता से उत्तर प्रदेश रक्षा विनिर्माण का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है, जो न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि आर्थिक विकास को भी गति देगा।
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