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यूपी में बिजली संकट से हाहाकार, ग्रामीण क्षेत्रों में रोस्टर से कम आपूर्ति; इतनी मेगावाट तक पहुंची मांग

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उत्तर प्रदेश में भीषण गर्मी और उमस के बीच बिजली कटौती ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। शहरों में ट्रिपिंग और लो वोल्टेज की समस्या आम है, जबकि ग्रामीण इलाकों में निर्धारित रोस्टर से 30-60 मिनट कम बिजली मिल रही है।

13 जून 2025 को बिजली की मांग 31,420 मेगावाट तक पहुंच गई, जिसने उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की व्यवस्था पर भारी दबाव डाला। ट्रांसफार्मर जलने, केबल फॉल्ट, और ओवरलोडिंग की घटनाएं बढ़ने से उपभोक्ताओं में आक्रोश है, और कई जगहों पर उपकेंद्रों का घेराव और प्रदर्शन की खबरें हैं।

बिजली कटौती का प्रभाव:

  • शहरी क्षेत्र: लखनऊ, मेरठ, गाजियाबाद, और आगरा जैसे शहरों में रात 8 बजे से 12 बजे के बीच पीक डिमांड के कारण ट्रिपिंग और लो वोल्टेज की शिकायतें बढ़ी हैं। लखनऊ में 10 जून को बिजली की मांग 1,940.33 मेगावाट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची।
  • ग्रामीण क्षेत्र: ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे के रोस्टर के बजाय औसतन 17.31 घंटे, नगर पंचायतों में 21.30 घंटे के बजाय 20.45 घंटे, और बुंदेलखंड में 20 घंटे के बजाय 19 घंटे बिजली मिल रही है।
  • आर्थिक प्रभाव: बिजली कटौती से ग्रामीण उद्योग और कारखाने ठप हो गए हैं। सिंचाई के अभाव में सब्जी की खेती प्रभावित हो रही है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है।
  • सामाजिक प्रतिक्रिया: X पर यूजर्स ने गुस्सा जाहिर किया। एक यूजर ने लिखा, “बहराइच के मटेरा फीडर में 12 घंटे की कटौती के बाद रात 1:20 बजे भी बिजली नहीं।” (@shivam_sahu001)। गोंडा, कुशीनगर, गाजीपुर, और फतेहपुर में ट्रांसफार्मर न बदलने की शिकायतें सामने आईं।

ट्रांसफार्मर और बुनियादी ढांचे की समस्या:

  • ट्रांसफार्मर ओवरलोडिंग: भीषण गर्मी और 31,000 मेगावाट से अधिक की मांग ने ट्रांसफार्मरों पर दबाव बढ़ा दिया है। लखनऊ में 10 जून को पकरी पुल (बंगला बाजार सबस्टेशन) में ट्रांसफार्मर ऑयल लीक से 2:15 बजे से 5:30 बजे तक बिजली गुल रही।
  • जले ट्रांसफार्मरों की मरम्मत में देरी: गोंडा के धानेपुर, कुशीनगर के कप्तानगंज, गाजीपुर के दयालपुर, और फतेहपुर के अमौर में 3-20 दिन से जले ट्रांसफार्मर नहीं बदले गए। अभियंताओं का कहना है कि ट्रांसफार्मर जलने की घटनाओं की संख्या बढ़ने पर कार्रवाई की धमकी दी जाती है, जिससे वे मरम्मत में आनाकानी करते हैं।
  • अभियंताओं की दुविधा: अभियंताओं ने बताया कि ट्रांसफार्मर ठंडा रखने के लिए कूलिंग सिस्टम अपर्याप्त हैं। ओवरलोडिंग रोकने के लिए फीडर-वार कटौती की जाती है, लेकिन इससे उपभोक्ताओं का गुस्सा बढ़ता है।

आगामी स्थिति:
मौसम विभाग के अनुसार, 15 जून तक गर्मी और उमस जारी रहेगी, जिससे बिजली की मांग और बढ़ सकती है। 16 जून से प्री-मानसून बूंदाबांदी से तापमान में मामूली कमी आ सकती है, लेकिन उमस बनी रहेगी। UPPCL का दावा है कि वह 33,000 मेगावाट तक की मांग को संभालने के लिए तैयार है।

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