
उत्तर प्रदेश में भारी बारिश और नदियों के उफान के कारण बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई है। आगरा, मथुरा, अलीगढ़, शाहजहांपुर, पीलीभीत, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज समेत 27 जिलों में 874 गांव पानी में डूब गए हैं, जो टापू बन चुके हैं।

करीब 3,81,655 लोग प्रभावित हुए हैं, और 39,314 हेक्टेयर कृषि भूमि को नुकसान पहुंचा है। आगरा में यमुना का जलस्तर 500.3 फीट तक पहुंच गया, जिससे 50 से अधिक कॉलोनियां और 60 से अधिक गांव जलमग्न हो गए। मथुरा में यमुना खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है, जिसके कारण खादर, गणेश टीला और विश्राम घाट जैसी कॉलोनियों में 3-4 फीट पानी भर गया। कम से कम 20 घाट पानी में डूबे हैं, जिसके चलते प्रशासन ने बैरिकेडिंग कर आवाजाही रोक दी है।
प्रभावित क्षेत्र और स्थिति
- आगरा: यमुना का जलस्तर गोकुल बैराज से 1.77 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद बढ़ गया, जिससे ताजमहल के पास पानी पहुंच गया। 50 से अधिक कॉलोनियां और एक लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं।
- मथुरा: 2000 से अधिक घरों में पानी घुस गया। विश्राम घाट और परिक्रमा मार्ग पर बाढ़ का पानी पहुंचा, और धरमराज मंदिर जैसे मंदिरों में भी पानी भर गया। शेरगढ़ और नौझील ब्लॉक के एक दर्जन से अधिक गांव प्रभावित हैं, और निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।
- अन्य जिले: बिजनौर, बहराइच, गोंडा, बलिया, लखीमपुर खीरी, मुरादाबाद, और वाराणसी जैसे जिलों में गंगा, यमुना, शारदा, घाघरा और रामगंगा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। 1877 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया, और 61,852 हेक्टेयर कृषि भूमि को नुकसान हुआ।
- प्रयागराज और वाराणसी: गंगा और यमुना के बढ़े जलस्तर के कारण 200 से अधिक गांव और 60 शहरी बस्तियां प्रभावित हैं। वाराणसी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती अब छतों पर हो रही है, और मणिकर्णिका व हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार ऊंचे प्लेटफार्मों पर किए जा रहे हैं।
राहत और बचाव कार्य
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2610 नावें और मोटरबोटें तैनात की हैं। 878 बाढ़ राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां 7547 प्रभावित लोगों को ठहराया गया है। 1076 घरों को नुकसान पहुंचा, और 854 घर मालिकों को मुआवजा दिया गया है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, और पीएसी की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य में जुटी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाजीपुर में हवाई सर्वेक्षण कर अधिकारियों को हर संभव मदद के निर्देश दिए हैं।
चुनौतियां और प्रभाव
बाढ़ ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे किसानों में हताशा है। एक किसान ने फसल बर्बादी के बाद आत्महत्या तक कर ली। बाढ़ के पानी से मोल्ड और बायोएरोसोल जैसे स्वास्थ्य जोखिम भी बढ़ गए हैं, जो सांस की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
The post यूपी में बाढ़ का तांडव: सैकड़ों गांव टापू बने, लाखों लोग प्रभावित, आगरा-मथुरा की कॉलोनियां जलमग्न appeared first on Live Today | Hindi News Channel.