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यूपी में आउटसोर्स कर्मचारियों को राहत: तीन साल की भर्ती, 20 हजार न्यूनतम वेतन, पीएफ-ईएसआई सहित कई लाभ

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उत्तर प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की खबर है। अब उनकी भर्ती तीन साल के लिए होगी, और न्यूनतम वेतन 20 हजार रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया है। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम के गठन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत भर्तियों में आरक्षण लागू होगा और कर्मचारियों को पीएफ, ईएसआई जैसी सुविधाएं मिलेंगी। वर्तमान में प्रदेश में करीब पांच लाख आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं।

सरकारी विभागों में अब आउटसोर्स कर्मचारी तीन साल तक सेवा दे सकेंगे, जिसके बाद उनका अनुबंध नवीनीकृत हो सकता है। पहले यह अवधि एक साल की थी। न्यूनतम मानदेय को बढ़ाकर 20 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है, जो पहले 10 हजार रुपये था। विभाग अब सीधे आउटसोर्सिंग एजेंसियों का चयन नहीं करेंगे। इसके बजाय उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम जेम पोर्टल के माध्यम से एजेंसियों का चयन करेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस निगम के गठन को हरी झंडी दी गई। वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि कर्मचारियों को वेतन के साथ कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) की सुविधा भी मिलेगी। नई व्यवस्था में एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांगजन, भूतपूर्व सैनिकों और महिलाओं को नियमानुसार आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। महिलाओं को मातृत्व अवकाश भी प्रदान किया जाएगा।

चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार शामिल होंगे। कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा। यदि सेवा के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु होती है, तो अंतिम संस्कार के लिए 15 हजार रुपये की सहायता दी जाएगी। निगम यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक कर्मचारी को उसका पूरा हक मिले और उनका भविष्य सुरक्षित रहे।

नई व्यवस्था में कर्मचारियों से प्रति माह 26 दिन सेवा ली जा सकेगी, और उनका वेतन हर माह 1 से 5 तारीख के बीच सीधे उनके बैंक खातों में जमा होगा। ईपीएफ और ईएसआई का अंशदान कर्मचारियों के खाते में जाएगा। किसी भी अनियमितता की स्थिति में कर्मचारी की सेवा तत्काल समाप्त की जा सकती है।

आउटसोर्स कर्मचारियों की श्रेणियां और न्यूनतम वेतन

पहली श्रेणी में चिकित्सा, अभियंत्रण, परियोजना प्रबंधन, लेखा, अनुसंधान और व्याख्यान जैसी सेवाओं के लिए न्यूनतम 40 हजार रुपये वेतन निर्धारित है। दूसरी श्रेणी में कार्यालय, आशुलिपि, डाटा प्रोसेसिंग, नर्सिंग, फार्मेसी, परामर्श और सांख्यिकी सेवाओं के लिए न्यूनतम 25 हजार रुपये, तीसरी श्रेणी में टंकण, दूरसंचार, भंडार, इलेक्ट्रिशियन, यांत्रिक, प्रयोगशाला और पैरामेडिकल सेवाओं के लिए 22 हजार रुपये, और चौथी श्रेणी में लिफ्ट ऑपरेटर, अभिलेख, डाक, रंगरोगन, बागवानी, सैनिटेशन, सुरक्षा और श्रम जैसी सेवाओं के लिए न्यूनतम 20 हजार रुपये वेतन तय किया गया है।

निगम का उद्देश्य और ढांचा

उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम का गठन आउटसोर्सिंग सेवाओं को पारदर्शी, सुरक्षित और जवाबदेह बनाने के लिए किया गया है। पहले एजेंसियों द्वारा कर्मचारियों को पूरा वेतन न देने और ईपीएफ, ईएसआई जैसी सुविधाओं में अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही थीं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए निगम का गठन किया गया है। यह कम्पनीज एक्ट-2013 के तहत एक गैर-लाभकारी पब्लिक लिमिटेड कंपनी होगी।

निगम में एक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर होगा, जिसमें सलाहकार समिति और शासन, निदेशालय, मंडल, जिला व स्थानीय स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटियां होंगी। कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन का 1% निगम को सर्विस चार्ज के रूप में मिलेगा, जिससे निगम का खर्च चलेगा। शेष राशि कर्मचारी कल्याण कोष में जमा होगी।

नियमित पदों पर लागू नहीं होगी व्यवस्था

सरकार ने स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था विभागों में पहले से सृजित नियमित पदों पर लागू नहीं होगी। मौजूदा आउटसोर्स कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन अनुशासनहीनता या दंडनीय अपराध की स्थिति में निगम की सहमति से कर्मचारी को हटाया जा सकता है।

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