उत्तर प्रदेश के मथुरा में राज्य कर विभाग के डिप्टी कमिश्नर कमलेश कुमार पांडेय और छह अन्य अधिकारियों को एक महिला अधिकारी के यौन शोषण के आरोपों के बाद निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई मंगलवार देर शाम संयुक्त सचिव रघुबीर प्रसाद द्वारा जारी आदेश के बाद की गई। निलंबित छह अन्य अधिकारी आंतरिक परिवाद समिति (विशाखा) के सदस्य हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने जांच में डिप्टी कमिश्नर को बचाने की कोशिश की। यह राज्य कर विभाग में यौन उत्पीड़न के मामले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।

आरोप और निलंबन
कमलेश कुमार पांडेय मथुरा के राज्य कर विभाग (खंड-1) में डिप्टी कमिश्नर के पद पर तैनात थे। उनकी अधीनस्थ एक महिला अधिकारी ने उन पर यौन शोषण और कई अवसरों पर अनैतिक व्यवहार के गंभीर आरोप लगाए। प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए गए, जिसके बाद पांडेय को उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के तहत निलंबित कर दिया गया। उन्हें संयुक्त आयुक्त, बांदा कार्यालय से संबद्ध किया गया है।
विशाखा समिति की नाकामी
महिला अधिकारी की शिकायत की जांच के लिए गठित आंतरिक परिवाद समिति (विशाखा) पर आरोप है कि उसने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया और डिप्टी कमिश्नर को बचाने का प्रयास किया। इस लापरवाही के चलते समिति के छह सदस्यों—कोमल छाबड़ा (सहायक आयुक्त, सचल दल इकाई-2, मथुरा), प्रतिभा (उपायुक्त, विशेष अनुसंधान शाखा, मथुरा), पूजा गौतम (सहायक आयुक्त, राज्य कर खंड-2, मथुरा), संजीव कुमार (उपायुक्त, राज्य कर खंड-5, मथुरा), सुनीता देवी (राज्य कर अधिकारी, खंड-3, मथुरा), और वीरेंद्र कुमार (उपायुक्त, खंड-3, मथुरा)—को भी निलंबित कर दिया गया।
जांच के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य कर विभाग ने विशेष सचिव कृतिका ज्योत्सना को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। वह पांडेय और विशाखा समिति के सदस्यों के खिलाफ लगे आरोपों की विस्तृत जांच करेंगी। जांच के दौरान यह भी देखा जाएगा कि समिति ने यौन उत्पीड़न की शिकायत को कितनी गंभीरता से लिया और क्या उसने निष्पक्ष जांच के मानकों का पालन किया।
विशाखा दिशानिर्देश और कानूनी प्रावधान
विशाखा दिशानिर्देश, जो यौन उत्पीड़न के मामलों में कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1997 में जारी किए गए थे, और बाद में यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH Act) के तहत अनिवार्य किए गए, यह सुनिश्चित करते हैं कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों की निष्पक्ष जांच हो। इस मामले में विशाखा समिति पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगने से इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं।
प्रशासन की कार्रवाई और संदेश
यह निलंबन उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है। मथुरा के इस मामले ने एक बार फिर कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा और आंतरिक शिकायत समितियों की जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में उत्तर प्रदेश से महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सबसे अधिक शिकायतें (6,492) दर्ज की गईं, जिनमें यौन उत्पीड़न के 495 मामले शामिल हैं।
The post यूपी: मथुरा में यौन शोषण के मामले में डिप्टी कमिश्नर कमलेश कुमार पांडेय सहित सात अधिकारी निलंबित appeared first on Live Today | Hindi News Channel.