न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मुकदमों की स्वीकार्यता बरकरार रखते हुए 6 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह विवाद की सुनवाई का रास्ता साफ करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को मस्जिद समिति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भगवान कृष्ण और हिंदू उपासकों की ओर से दायर 18 मुकदमों की स्वीकार्यता को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मुकदमों की स्वीकार्यता बरकरार रखते हुए 6 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पीठ ने कहा, “शिकायतों को समग्र रूप से और सार्थक तरीके से पढ़ने, अभिलेखों में रखी गई सामग्री के अवलोकन, प्रतिद्वंद्वी पक्षों द्वारा दी गई दलीलों और स्थापित कानूनी प्रस्तावों पर विचार करने के बाद, मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि वादी के सभी वादों में वादों से कार्रवाई का कारण पता चलता है और वे वक्फ अधिनियम, 1995; पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991; विशिष्ट राहत अधिनियम, 1963; सीमा अधिनियम, 1963 और सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश XIII नियम 3A के किसी भी प्रावधान से वर्जित नहीं दिखते हैं।”

इसने कहा कि संबंधित मुकदमों में दायर वादों को खारिज करने के लिए आवेदन खारिज किये जाने योग्य हैं। मस्जिद समिति ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी। मस्जिद समिति की ओर से पेश हुए वकील महमूद प्राचा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।

प्राचा ने कहा, “यह एक विकृत आदेश है, जिसने कानून के स्थापित सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। हम आने वाले दिनों में इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।”

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