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भारत के 15वें उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन: शक्तियां, जिम्मेदारियां, सुविधाएं और वेतन

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सीपी राधाकृष्णन को 9 सितंबर 2025 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में विजेता घोषित किया गया। उन्होंने एनडीए के उम्मीदवार के रूप में इंडिया गठबंधन के बी. सुदर्शन रेड्डी को 452 प्रथम वरीयता वोटों से हराया, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले। महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल राधाकृष्णन अब भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे।

यह चुनाव जगदीप धनखड़ के जुलाई 2025 में इस्तीफे के बाद हुआ। उपराष्ट्रपति का पद भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण है, जो संसदीय निरंतरता सुनिश्चित करता है। आइए जानते हैं इस पद की शक्तियों, जिम्मेदारियों, सुविधाओं और वेतन के बारे में।

लोकतांत्रिक प्रणाली में उपराष्ट्रपति का पद कितना अहम?

भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है, जो राष्ट्रपति के बाद आता है। संविधान के अनुच्छेद 63 के तहत यह पद संसदीय लोकतंत्र की स्थिरता बनाए रखने के लिए बनाया गया है। कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन उत्तराधिकारी शपथ लेने तक पद पर बने रह सकते हैं। यह पद मुख्य रूप से राज्यसभा (संसद का ऊपरी सदन) की कार्यवाही को सुचारू रखने और राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यकारी भूमिका निभाने के लिए महत्वपूर्ण है। संविधान में स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा गया है कि उपराष्ट्रपति के पद रिक्त होने पर कर्तव्यों का निर्वहन कौन करेगा, लेकिन राज्यसभा के सभापति के रूप में डिप्टी चेयरपर्सन या राष्ट्रपति द्वारा नामित सदस्य कार्यभार संभालते हैं। यह पद अमेरिकी उपराष्ट्रपति से प्रेरित है, लेकिन भारत में यह अधिक विधायी भूमिका पर केंद्रित है।

उपराष्ट्रपति की मुख्य जिम्मेदारियां और शक्तियां

उपराष्ट्रपति की भूमिका दोहरी है: राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में विधायी शक्तियां और राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यकारी जिम्मेदारियां। वे कोई अन्य लाभ का पद नहीं धारण कर सकते।

राज्यसभा के सभापति के रूप में जिम्मेदारियां:

  • राज्यसभा की बैठकों की अध्यक्षता करना, सदन में व्यवस्था बनाए रखना और बहसों को निर्देशित करना।
  • संविधान और सदन के नियमों की अंतिम व्याख्या करना; उनके फैसले बाध्यकारी होते हैं और भविष्य के लिए मिसाल कायम करते हैं।
  • सदस्यों की अयोग्यता का फैसला करना, जैसे दल-बदल कानून के तहत (दसवीं अनुसूची)।
  • विशेषाधिकार उल्लंघन के मामलों पर फैसला लेना; नोटिस को स्वीकार या अस्वीकार करना उनके विवेक पर निर्भर।
  • विधेयकों को समितियों को भेजना, समितियों के सदस्यों/अध्यक्षों की नियुक्ति और निर्देश जारी करना।
  • राज्यसभा सदस्यों को विभिन्न निकायों में नामित करना, जैसे हज कमेटी, आईसीपीएस (संवैधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान)।
  • प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष की तीन सदस्यीय समिति का हिस्सा होना।
  • सदन में विवाद सुलझाना, प्रश्नकाल को उत्पादक बनाना और राष्ट्रहित के मुद्दों पर चर्चा सुनिश्चित करना।

कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारियां:

  • यदि राष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफा, बर्खास्तगी या अन्य कारण से पद रिक्त हो, तो उपराष्ट्रपति कार्यकारी राष्ट्रपति बनते हैं (अनुच्छेद 65)। यह भूमिका अधिकतम 6 महीने तक रहती है, जब तक नया राष्ट्रपति चुना न जाए।
  • राष्ट्रपति की बीमारी, अनुपस्थिति या विदेश यात्रा के दौरान उनके कर्तव्यों का निर्वहन करना, जब तक वे वापस न लौटें।
  • इस दौरान उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की सभी शक्तियां, उन्मुक्तियां, वेतन और भत्ते मिलते हैं, लेकिन राज्यसभा सभापति के कर्तव्य नहीं निभाते।

ये शक्तियां उपराष्ट्रपति को संसदीय लोकतंत्र में एक अलग पहचान देती हैं, जहां वे सदन की मर्यादा और संविधान की रक्षा करते हैं।

उपराष्ट्रपति को मिलने वाली सुविधाएं

सीपी राधाकृष्णन को पद संभालने पर कई आधुनिक और पारंपरिक सुविधाएं मिलेंगी, जो ‘संसद अधिकारी का वेतन और भत्ता अधिनियम, 1953’ के तहत प्रदान की जाती हैं। मुख्य सुविधाएं निम्नलिखित हैं:

सुविधा का प्रकार विवरण
आवास मुफ्त सरकारी आवास (वाइस प्रेसिडेंट्स एनक्लेव, नई दिल्ली), जो सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है। सेवानिवृत्ति के बाद टाइप-8 बंगला और स्टाफ सपोर्ट। यदि पत्नी का निधन हो, तो उन्हें आजीवन टाइप-7 घर।
चिकित्सा पूर्ण मुफ्त चिकित्सा सेवाएं उपराष्ट्रपति और परिवार के लिए।
यात्रा मुफ्त हवाई और रेल यात्रा (व्यवसायिक श्रेणी), विदेश यात्रा पर डिप्लोमेटिक पासपोर्ट, होटल बुकिंग और प्रोटोकॉल सुविधाएं।
सुरक्षा Z+ श्रेणी की निजी सुरक्षा, बुलेटप्रूफ वाहन।
संचार और स्टाफ मुफ्त लैंडलाइन, मोबाइल सेवा; निजी सचिव, अतिरिक्त सचिव, निजी सहायक, डॉक्टर, नर्सिंग अफसर और 4 अटेंडेंट।
कार्यालय खर्च आधिकारिक स्टाफ और कार्यालय व्यय का पूरा भुगतान।

ये सुविधाएं उपराष्ट्रपति की गरिमा और जिम्मेदारियों को बनाए रखने के लिए हैं।

उपराष्ट्रपति का वेतन और पेंशन

उपराष्ट्रपति को अलग से वेतन नहीं मिलता; यह राज्यसभा सभापति के रूप में प्रदान किया जाता है। 2018 के संशोधन के अनुसार, मासिक वेतन 4 लाख रुपये है। यदि वे कार्यवाहक राष्ट्रपति बनें, तो राष्ट्रपति का वेतन (5 लाख रुपये मासिक) मिलेगा, लेकिन सभापति का वेतन नहीं।

  • पेंशन: सेवानिवृत्ति के बाद वेतन का 50% (लगभग 2 लाख रुपये मासिक)। पेंशन के साथ सभी सुविधाएं (आवास, स्टाफ, यात्रा) जारी रहती हैं।

सीपी राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक अनुभव (आरएसएस और बीजेपी से जुड़े, कोयंबटूर से सांसद रह चुके) इस पद को मजबूत बनाएगा। यह चुनाव एनडीए की एकजुटता को दर्शाता है।

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