बिहार के जहानाबाद में सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में सोमवार सुबह एक दर्दनाक हादसे में तीन महिलाओं समेत सात लोगों की मौत हो गई, जबकि 35 अन्य घायल हो गए। यह हादसा मखदुमपुर प्रखंड के वाणावर पहाड़ी पर हुआ। घायलों को मखदुमपुर और जहानाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
यह घटना पवित्र सावन महीने के चौथे सोमवार को हुई, जब मंदिर में आम तौर पर भीड़ बढ़ जाती है। मंदिर में मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रविवार रात से ही सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ थी। भगदड़ रात करीब एक बजे हुई। मंदिर में मौजूद सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे, जिससे दर्जनों लोग मंदिर परिसर में गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए।
इससे पहले 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई भगदड़ में 120 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी। भगदड़ बाबा नारायण हरि, जिन्हें ‘भोले बाबा’ के नाम से भी जाना जाता है, के नेतृत्व में आयोजित एक समागम में हुई थी। भगदड़ सत्संग (प्रार्थना सभा) के दौरान हुई थी, जिसमें हज़ारों लोग शामिल हुए थे। निजी तौर पर आयोजित इस कार्यक्रम को सब-डिवीज़नल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) से अनुमति मिली थी। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा था कि इस घातक घटना के पीछे भीड़भाड़ एक कारण थी।
यह दुखद घटना अभूतपूर्व नहीं है, क्योंकि भारत में मंदिरों और धार्मिक समारोहों में भगदड़ ने पिछले कुछ वर्षों में कई लोगों की जान ले ली है। इनमें से उल्लेखनीय है 2005 में महाराष्ट्र के मंधारदेवी मंदिर में हुई भगदड़, जिसके परिणामस्वरूप 340 से अधिक भक्तों की मौत हो गई थी, और 2008 में राजस्थान के चामुंडा देवी मंदिर में हुई त्रासदी, जिसमें कम से कम 250 लोग मारे गए थे। हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में एक धार्मिक समारोह में 2008 में हुई एक और भगदड़ में 162 लोगों की जान चली गई थी।
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