
फिरोजाबाद के रिजोर में खोदाई के दौरान मिली प्राचीन मूर्ति पर बौद्ध और जैन अनुयायी दावा ठोक रहे हैं, बौद्ध इसे भगवान बुद्ध की तो जैन भगवान महावीर की मूर्ति बता रहे, पुरातत्व विभाग करेगा फैसला।

फिरोजाबाद जिले के रिजोर कस्बे में 20 जून 2025 को खोदाई के दौरान एक प्राचीन मूर्ति मिली, जिसे लेकर बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायी आमने-सामने हैं। बौद्ध अनुयायी इसे भगवान बुद्ध की मूर्ति बता रहे हैं, जबकि जैन समुदाय इसे भगवान महावीर स्वामी की मूर्ति मानता है। प्रशासन ने मूर्ति की जांच के लिए आगरा के पुरातत्व विभाग (Archaeological Survey of India) को सूचित कर दिया है, जो इसकी पहचान और ऐतिहासिक महत्व का निर्धारण करेगा।
रिजोर, जो फिरोजाबाद मुख्यालय से 12 किमी दूर शिकोहाबाद रोड पर स्थित है, में पानी की आपूर्ति के लिए ओवरहेड टैंक निर्माण के लिए एक प्राचीन जर्जर किले के पास खोदाई चल रही थी। शुक्रवार को मजदूरों को खोदाई के दौरान एक सही-सलामत प्राचीन मूर्ति मिली। यह खबर फैलते ही सैकड़ों लोग मौके पर जमा हो गए। मूर्ति को देखकर बौद्ध अनुयायियों ने इसे भगवान बुद्ध की मूर्ति बताया, जबकि स्थानीय और पास के फफोतू गांव के जैन समुदाय के लोग इसे भगवान महावीर स्वामी की मूर्ति मानकर दावा करने लगे। रिजोर और आसपास के क्षेत्र में जैन समुदाय की बड़ी आबादी और एक प्राचीन जैन मंदिर की मौजूदगी ने इस दावे को बल दिया।
दोनों समुदायों के दावे
- बौद्ध अनुयायियों का दावा: कुछ लोगों का कहना है कि मूर्ति के सिर पर छोटे-छोटे घुंघराले बाल और उष्णीष (सिर पर उभरा हिस्सा) जैसे लक्षण भगवान बुद्ध की मूर्तियों की विशेषता हैं। X पर एक यूजर ने लिखा कि ये विशेषताएं बुद्ध की मूर्ति की पुष्टि करती हैं।
- जैन अनुयायियों का दावा: जैन समुदाय का मानना है कि मूर्ति में ध्यानमग्न मुद्रा, सिंहासन पर सिंह, छाती पर श्रीवत्स चिह्न, और यक्ष-यक्षिणी की आकृतियां जैन तीर्थंकरों की मूर्तिकला की पहचान हैं। कुछ जैन अनुयायियों ने दावा किया कि यह मूर्ति भगवान महावीर की है, और इसकी प्राचीनता जैन धर्म के ऐतिहासिक प्रभाव को दर्शाती है।
प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
मूर्ति मिलने की सूचना पर पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। सीओ सकीट कीर्तिका सिंह ने बताया कि मूर्ति को सुरक्षित स्थान पर रखवाया गया है, और आगरा के पुरातत्व विभाग को सूचित कर दिया गया है। पुरातत्व विभाग की टीम के आने के बाद मूर्ति की शैली, प्रतीक, और ऐतिहासिक संदर्भ की जांच होगी। फिलहाल, मूर्ति को ग्राम प्रधान के सुपुर्द किया गया है।
पुरातत्व विभाग की भूमिका
पुरातत्व विभाग की टीम मूर्ति की मूर्तिकला, प्रतीकों, और क्षेत्र के ऐतिहासिक संदर्भ का अध्ययन करेगी। बौद्ध और जैन मूर्तियों में कई समानताएं होती हैं, जैसे ध्यानमग्न मुद्रा और प्रभामंडल, लेकिन विशिष्ट चिह्न जैसे बुद्ध की उष्णीष या जैन तीर्थंकरों का श्रीवत्स प्रतीक पहचान में मदद करते हैं। विशेषज्ञों की जांच से यह स्पष्ट होगा कि मूर्ति बौद्ध, जैन, या किसी अन्य परंपरा से संबंधित है।
क्षेत्र का ऐतिहासिक संदर्भ
रिजोर और फिरोजाबाद क्षेत्र का इतिहास प्राचीन है। फिरोजाबाद को प्राचीन काल में चंद्रवारनगर के नाम से जाना जाता था, और यह 1194 में चंदवार के युद्ध का स्थल था। क्षेत्र में जैन और हिंदू धर्म के अवशेष पहले भी मिले हैं। फिरोजाबाद से 8 किमी दूर महावीर दिगंबर जैन मंदिर में भगवान महावीर और बाहुबली की विशाल मूर्तियां स्थापित हैं, जो जैन धर्म की मजबूत उपस्थिति दर्शाती हैं। हालांकि, बौद्ध धर्म का प्रभाव भी उत्तर प्रदेश के इस हिस्से में रहा है, खासकर मौर्य और कुषाण काल में।
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