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फर्जी रिहाई आदेश का इस्तेमाल कर विचाराधीन कैदी के जेल से बाहर निकलने पर जेल अधीक्षक, जेलर और उप जेलर निलंबित

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वरिष्ठ जेल अधिकारियों का कहना है कि यह घटना वाराणसी जेल में हुई; तीनों के खिलाफ विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को एक जेल अधीक्षक, जेलर और एक डिप्टी जेलर को निलंबित कर दिया, क्योंकि जांच में पता चला कि एक विचाराधीन कैदी 7 मार्च को फर्जी रिहाई आदेश का उपयोग करके कथित तौर पर वाराणसी जेल से बाहर चला गया था।

यह कार्रवाई राज्य कारागार विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई जांच के आधार पर की गई।

निलंबित होने वालों में अधीक्षक उमेश सिंह, जेलर राजेश कुमार और डिप्टी जेलर मीना कन्नोजिया शामिल हैं। सिंह को सोनभद्र और कन्नोजिया को प्रयागराज में तैनात किया गया है, जबकि कुमार को वाराणसी में तैनात किया गया है।

 वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि जब सुनील कुमार नामक विचाराधीन कैदी को कथित तौर पर जाली दस्तावेजों के आधार पर रिहा किया गया था, तब उमेश सिंह और मीना कन्नौजिया वाराणसी जेल में तैनात थे। उन्होंने बताया कि तीनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए हैं।

हाथरस जिले के मूल निवासी सुनील कुमार पर जालसाजी और साइबर अपराध से जुड़े चार मामले दर्ज थे। वह 2023 से जेल में बंद था और उसे अलीगढ़ जिले की जेल से वाराणसी स्थानांतरित किया गया था।

अधिकारी ने बताया कि अलीगढ़ में दर्ज एक मामले में जेल अधिकारियों ने फर्जी रिहाई आदेश के आधार पर उसे रिहा कर दिया था।

यह मामला तब प्रकाश में आया जब मीडिया के एक वर्ग ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सुनील कुमार की रिहाई की खबर दी। इसके बाद जांच के आदेश दिए गए।

वाराणसी पुलिस भी मामले की जांच कर रही है।

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