
जीएसटी विभाग ने मैसर्स श्रावणी इंटरप्राइजेज और मैसर्स लॉर्ड शिव इंटरप्राइजेज के खिलाफ फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) और ई-वे बिल धोखाधड़ी के मामले में नोटिस जारी कर जीएसटी पंजीकरण निरस्त करने की कार्रवाई शुरू की है।

जांच में पता चला कि प्रयागराज के बहराना स्थित मैसर्स श्रावणी इंटरप्राइजेज ने मई माह की जीएसटीआर-2ए रिटर्न में 13.67 करोड़ रुपये की फर्जी इनवर्ड सप्लाई दिखाई, जिसके आधार पर 1.23 करोड़ रुपये का सीजीएसटी और 1.23 करोड़ रुपये का एसजीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया गया। हालांकि, सप्लायर फर्म ने न तो कोई माल खरीदा और न ही कोई नकद टैक्स जमा किया।
वहीं, मैसर्स लॉर्ड शिव इंटरप्राइजेज ने अपनी जीएसटीआर-1 रिटर्न में चार फर्मों को फर्जी आउटवर्ड सप्लाई दिखाई। इनमें मैसर्स हरि ओम इंटरप्राइजेज को 12 करोड़ रुपये की सप्लाई पर 2.16 करोड़ रुपये, मैसर्स कृष्णा ट्रेडर्स को 80.61 लाख रुपये की सप्लाई पर 14.51 लाख रुपये, मैसर्स आरके ट्रेडर्स को 53.64 लाख रुपये की सप्लाई पर 10.55 लाख रुपये, और फिर मैसर्स कृष्णा ट्रेडर्स को 22.40 लाख रुपये की सप्लाई पर 4.03 लाख रुपये की आईजीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट हस्तांतरित की गई। जांच में सामने आया कि ये सभी लेन-देन कागजों पर थे और कोई वास्तविक आपूर्ति नहीं हुई थी।
आरोपी ने बिना किसी वास्तविक आपूर्ति के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट जनरेट कर इन चारों फर्मों को पास-ऑन कर दिया, जिससे करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की गई। जीएसटी नियमों के तहत ई-वे बिल जनरेट करने के लिए पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजा जाता है, जिससे साबित होता है कि आरोपी ने इस मोबाइल नंबर का दुरुपयोग किया। इस धोखाधड़ी में रुड़की के सिविल लाइंस स्थित एचडीएफसी बैंक के खाते का भी इस्तेमाल किया गया।
एसपी देहात राकेश कुमार मिश्रा ने बताया कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और आरोपी की तलाश की जा रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जीएसटी विभाग ने इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, जिसमें फर्जी फर्मों की पहचान, जीएसटी पंजीकरण रद्द करना और बैंक खातों की जांच शामिल है।