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पाकिस्तान ने अमेरिका को अरब सागर में पासनी बंदरगाह विकसित करने का दिया प्रस्ताव: दुर्लभ खनिजों तक पहुंच और रेल नेटवर्क के लिए निवेश की पेशकश

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पाकिस्तान ने अमेरिका को खुश करने और अपने रणनीतिक हित साधने के लिए एक नया प्रस्ताव दिया है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के सलाहकारों ने अमेरिकी अधिकारियों से अरब सागर में एक नए बंदरगाह के निर्माण और संचालन का प्रस्ताव रखा है।

यह प्रस्ताव बलूचिस्तान प्रांत के पासनी शहर में अमेरिकी निवेशकों द्वारा एक टर्मिनल विकसित करने पर केंद्रित है, जो पाकिस्तान के दुर्लभ खनिजों तक पहुंच प्रदान करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह योजना सैन्य उपयोग के लिए नहीं है, बल्कि आर्थिक सहयोग पर आधारित है, जिसमें पश्चिमी प्रांतों को जोड़ने वाले रेल नेटवर्क के विकास के लिए अमेरिकी फंडिंग की मांग भी शामिल है।

पासनी बंदरगाह का महत्व: रणनीतिक और आर्थिक अवसर

पासनी, ग्वादर जिले में स्थित एक छोटा बंदरगाह शहर है, जो अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से सटा हुआ है। यह अरब सागर पर वैश्विक व्यापार मार्ग का हिस्सा है, और दुर्लभ खनिजों (जैसे लिथियम, कोबाल्ट) से समृद्ध बलूचिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण गेटवे बन सकता है। पाकिस्तान ने सितंबर 2025 में व्हाइट हाउस में मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ट्रंप से बैठक के बाद यह प्रस्ताव कुछ अमेरिकी अधिकारियों के साथ साझा किया। रिपोर्ट के अनुसार, योजना अमेरिकी कंपनियों को खनिज निकासी और निर्यात में भागीदारी का मौका देगी, जो पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियों के बीच विदेशी निवेश आकर्षित करने की कोशिश है।

पाकिस्तान ने रेल गलियारे के विकास के लिए भी फंडिंग मांगी है, जो खनिज-समृद्ध क्षेत्रों को बंदरगाह से जोड़ेगा। फाइनेंशियल टाइम्स ने एक योजना का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रस्ताव अमेरिकी विकास वित्त (जैसे USAID) से जुड़ा है, लेकिन अमेरिकी सैन्य बेस की कोई गुंजाइश नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के ग्वादर बंदरगाह के समानांतर अमेरिकी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश है, जो क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

पृष्ठभूमि: क्रिप्टो और दुर्लभ खनिजों में सहयोग के बाद नया कदम

यह प्रस्ताव पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों में सुधार का हिस्सा है। सितंबर 2025 में मुनीर की वाशिंगटन यात्रा के दौरान दुर्लभ पृथ्वी खनिजों (rare earth minerals) के निर्यात पर समझौता हुआ, जहां पाकिस्तान ने अमेरिका को खनिज संसाधनों तक पहुंच देने का वादा किया। इसके पहले, क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र में सहयोग की चर्चा हुई। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान आर्थिक संकट (मुद्रास्फीति, विदेशी कर्ज) से जूझ रहा है, और अमेरिकी निवेश से राहत की उम्मीद कर रहा है। हालांकि, बलूचिस्तान में स्थानीय विद्रोह (BLA) के कारण सुरक्षा चिंताएं बनी हुई हैं।

रणनीतिक निहितार्थ: पाकिस्तान का अमेरिका झुकाव

विश्लेषकों का कहना है कि यह पेशकश पाकिस्तान का अमेरिका को खुश करने का प्रयास है, खासकर ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के बाद तनावपूर्ण संबंधों के बीच। अरब सागर का रणनीतिक महत्व (तेल मार्ग, व्यापार) इसे वैश्विक शक्ति संतुलन का हिस्सा बनाता है। अमेरिका ने अभी आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ अधिकारी योजना से वाकिफ हैं। पाकिस्तान के इस कदम से भारत और चीन जैसे पड़ोसियों में सतर्कता बढ़ सकती है।

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