पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक भड़काऊ बयान जारी करते हुए कहा है कि यदि भारत ने सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान के जल हिस्से को मोड़ने के लिए कोई संरचना बनाई, तो उसे नष्ट कर दिया जाएगा।
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत ने 23 अप्रैल को पहलगाम हमले के जवाब में 1960 की विश्व बैंक मध्यस्थता वाली सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि यह निलंबन तब तक रहेगा जब तक पाकिस्तान “सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह बंद नहीं करता।”
ख्वाजा आसिफ ने जियो न्यूज के कार्यक्रम “नया पाकिस्तान” में कहा, “यदि भारत ने सिंधु नदी पर कोई संरचना बनाकर जल को रोकने या मोड़ने की कोशिश की, तो इसे पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामकता माना जाएगा। आक्रामकता केवल तोप या बंदूक चलाने तक सीमित नहीं है; इसका एक रूप जल को रोकना भी है, जिससे हमारे लोग भूख और प्यास से मर सकते हैं।” उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी किसी भी संरचना को पाकिस्तान नष्ट कर देगा।
पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को “युद्ध की घोषणा” करार देते हुए कहा है कि सिंधु नदी का जल उसकी “जीवनरेखा” है। पाकिस्तानी सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने भी दावा किया कि उनके पास “विश्वसनीय खुफिया जानकारी” है कि भारत अगले 24-36 घंटों में पाकिस्तान पर सैन्य हमला कर सकता है। हालांकि, भारत ने इन दावों पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
भारत ने पहलगाम हमले के बाद कई सख्त कदम उठाए हैं, जिसमें पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कम करना, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना और पाकिस्तानी एयरलाइंस के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र बंद करना शामिल है। इसके अलावा, भारत ने संधि के निलंबन के बाद जम्मू-कश्मीर में पांच प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं को तेज करने की योजना बनाई है।
पाकिस्तान ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की योजना बनाई है, जिसमें विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) शामिल हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ICJ में पाकिस्तान का दावा कमजोर हो सकता है, क्योंकि संधि से संबंधित विवादों में विश्व बैंक की कोई प्रवर्तन शक्ति नहीं है, और ICJ में क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर सुनवाई की संभावना कम है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सऊदी अरब और कुवैत जैसे “मित्र” देशों से संपर्क कर भारत पर तनाव कम करने का दबाव बनाने की कोशिश की है। दूसरी ओर, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बातचीत में हमले के “षड्यंत्रकारियों और समर्थकों” को न्याय के कटघरे में लाने की प्रतिबद्धता दोहराई है।
यह घटनाक्रम दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों देशों से संयम बरतने की अपील कर रहा है।
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