
पंजाब में मॉनसून की भारी बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ ने तबाही मचा दी है। सतलुज, ब्यास, रवि, और उझ जैसी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे पठानकोट, होशियारपुर, गुरदासपुर, कपूरथला, तरनतारन, फाजिल्का, और फिरोजपुर जैसे जिले बुरी तरह प्रभावित हैं।

गुरदासपुर के बुगना, गहलरी, नौशहरा, बाऊपुर, और मंसूरा जैसे गांवों में घरों में छह फीट तक पानी भर गया है, लोग छतों पर फंसे हैं, और हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 31 अगस्त तक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे हालात और बिगड़ने की आशंका है। इस आपदा ने जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी भूस्खलन और तवी नदी की बाढ़ चेतावनी जैसे क्षेत्रीय संकटों को और गंभीर बना दिया है।
बाढ़ का कहर और प्रभावित क्षेत्र
पंजाब के माझा क्षेत्र में रवि नदी के उफान ने गुरदासपुर के घनिए के गांव में धुसी बांध को तोड़ दिया, जिससे सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई। पठानकोट में रणजीत सागर डैम का जलस्तर 527 मीटर से अधिक पहुंच गया, और पौंग डैम का जलस्तर 1382.8 फीट पर खतरे के निशान (1380 फीट) को पार कर गया। भाखड़ा डैम (1663.34 फीट) और शाहपुर कंडी डैम भी खतरे के करीब हैं। सतलुज नदी में गंडा सिंह वाला में 126,000 क्यूसेक और हेड सुलेमानकी में 90,000 क्यूसेक का प्रवाह दर्ज किया गया, जिसने फाजिल्का और फिरोजपुर में 14,200 एकड़ से अधिक कृषि भूमि को नष्ट कर दिया। कपूरथला में बाढ़ ने आवासीय क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है।
पठानकोट में यूबीडीसी नहर का अतिप्रवाह शहर तक पहुंच गया, जिससे डीसी कार्यालय सहित कई सरकारी भवन जलमग्न हो गए। फिरोजपुर में सतलुज नदी के उफान ने बीएसएफ की दो चेक पोस्ट—ओल्ड गजनी वाला और सतपाल—को चारों ओर से घेर लिया, जिसके कारण बीएसएफ अब मोटर बोट से सीमा की निगरानी कर रही है। तरनतारन के हरिके हेडवर्क्स में बढ़ते जलस्तर ने कई गांवों को डुबो दिया है। रायेपुर मैदार में गोबिंद सागर झील के 1665 फीट जलस्तर ने ऐतिहासिक बाबा गरीब दास मंदिर को ढाई से तीन फीट पानी में डुबो दिया, और श्रद्धालुओं को नाव से मंदिर तक ले जाया जा रहा है।
राहत और बचाव कार्य
पंजाब सरकार ने बाढ़ से निपटने के लिए आपातकालीन उपाय किए हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक फ्लड मैनेजमेंट कमेटी गठित की है, और जालंधर में फ्लड कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीएसएफ, और पंजाब पुलिस ने राहत कार्यों में तेजी लाई है। पठानकोट के मधोपुर हेडवर्क्स में सेना के हेलीकॉप्टरों ने 22 सीआरपीएफ जवानों और तीन नागरिकों को बचाया, ठीक उसी समय जब वहां का एक भवन ढह गया। गुरदासपुर के डिल्लर पुर खेड़ा में बीएसएफ ने 60 लोगों को नावों से निकाला।
फाजिल्का और फिरोजपुर में हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है, और पठानकोट में राधा स्वामी सत्संग ब्यास और गुरुद्वारा बाराठ साहिब में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। पंजाब सरकार ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं, और जिला प्रशासनों को 24 घंटे निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। जालंधर, होशियारपुर, पठानकोट, अमृतसर, गुरदासपुर, फाजिल्का, फिरोजपुर, और एसबीएस नगर में स्कूल 30 अगस्त तक बंद हैं।
भारत-पाकिस्तान और तवी नदी की चेतावनी
पंजाब की बाढ़ स्थिति भारत द्वारा पाकिस्तान को तवी नदी में बाढ़ की चेतावनी से भी जुड़ी है। भारत ने 25-27 अगस्त को मानवीय आधार पर इस्लामाबाद को सूचित किया कि जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने से तवी नदी में बाढ़ का खतरा है, जो पाकिस्तान के सियालकोट और पंजाब में चिनाब नदी में मिलती है। यह चेतावनी सिंधु जल संधि के निलंबन के बावजूद दी गई, जो पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद हुआ था। पाकिस्तान के एनडीएमए ने भी सतलुज, रवि, और तवी नदियों में बाढ़ की चेतावनी जारी की है, और कसूर व बहावलनगर से 89,000 से अधिक लोगों को निकाला गया है। कुछ पाकिस्तानी सोशल मीडिया पोस्ट और मीडिया ने भारत पर बिना सूचना के पानी छोड़ने का आरोप लगाया, लेकिन भारत की चेतावनी इन दावों को खारिज करती है।
व्यापक संदर्भ
पंजाब की बाढ़ भारत के उत्तरी क्षेत्रों में मॉनसून की व्यापक तबाही का हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी मार्ग पर भूस्खलन से 32 लोगों की मौत और जगदलपुर में तीरथगढ़ हादसे में एक परिवार की जान जाने जैसी घटनाएं मॉनसून की तीव्रता को दर्शाती हैं। ट्रंप के 50% टैरिफ ने टेक्सटाइल और हैंडलूम जैसे क्षेत्रों को प्रभावित किया है, जिसका असर शाहजहांपुर में सचिन ग्रोवर जैसे कारोबारियों पर पड़ा। पंजाब में बाढ़ ने कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचाया है, और 14,200 एकड़ से अधिक फसलें नष्ट हो चुकी हैं, जिसने आर्थिक संकट को और गहरा दिया है।
पंजाब में बाढ़ ने गांवों को जलमग्न कर दिया है, और लोगों के सामने “जाएं तो कहां जाएं” का सवाल खड़ा हो गया है। सेना, एनडीआरएफ, और बीएसएफ के प्रयासों ने हजारों लोगों को बचाया है, लेकिन रणजीत सागर और पौंग डैम जैसे बांधों से पानी छोड़े जाने और निरंतर बारिश ने स्थिति को गंभीर बना दिया है।
सरकार की त्वरित कार्रवाई, राहत शिविर, और स्कूल बंदी जैसे कदम प्रभावितों की मदद कर रहे हैं, लेकिन 31 अगस्त तक बारिश का अलर्ट चुनौतियों को बढ़ा रहा है। यह आपदा पर्यावरणीय और आर्थिक संकटों का एक दुखद संगम है, जिसके लिए दीर्घकालिक बाढ़ प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की जरूरत है।
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