
नेपाल में ‘जेन जेड रिवोल्यूशन’ के नाम से मशहूर युवा-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों ने मंगलवार, 9 सितंबर 2025 को हिंसक रूप धारण कर लिया। भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए आंदोलन में कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक घायल हैं।

इस बीच, प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया, जबकि राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल और पीएम ओली के निजी आवासों में आगजनी की घटनाएं हुईं। काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। कर्फ्यू के बावजूद प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं, और स्थिति बेकाबू हो चुकी है।
पीएम ओली का इस्तीफा
प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने मंगलवार दोपहर को अपना इस्तीफा राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल को सौंप दिया। उनके सहायक प्रकाश सिलवाल ने पुष्टि की कि ओली ने “वर्तमान संकट का राजनीतिक समाधान निकालने” के लिए यह कदम उठाया है। ओली ने कहा, “मैंने समस्या के समाधान के लिए इस्तीफा दिया है।” यह फैसला प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग पूरी करता है, जो सोमवार को संसद भवन पर हमले के बाद तेज हो गई थी। ओली ने शाम 6 बजे सभी दलों की बैठक बुलाई थी, लेकिन इस्तीफे से पहले ही मंत्रिमंडल की आपात बैठक में गृह मंत्री रमेश लेखक ने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कृषि मंत्री राम नाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और पर्यटन मंत्री ने भी इस्तीफा सौंपा।
राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 21 सांसदों ने भी सामूहिक इस्तीफे की घोषणा की है। नेपाली कांग्रेस के नेता शेखर कोइराला ने गठबंधन के मंत्रियों से इस्तीफा देने की अपील की। सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने ओली से इस्तीफा देने का अनुरोध किया था, और सुरक्षित निकासी की मांग की गई।
राष्ट्रपति और पीएम के घरों में आगजनी
प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू में राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल के निजी आवास (बोहोरटार) में घुसकर तोड़फोड़ की और आग लगा दी। पीएम ओली के बालुवाटार स्थित आवास के बाहर भारी हिंसा हुई, जहां प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और आगजनी की कोशिश की। पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंडा’ के घर पर भी हमला हुआ, जहां गुस्सैल भीड़ ने तोड़फोड़ की। संचार मंत्री प्रिथ्वी सुब्बा गुरुंग के ललितपुर स्थित निजी आवास को आग के हवाले कर दिया गया। नेपाली कांग्रेस कार्यालय के बाहर ट्रैफिक पोस्ट जला दिया गया।
संसद भवन पर हमले में प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी, और कई जगह वाहनों को आग लगाई गई। डिस्कॉर्ड ऐप के जरिए समन्वय कर रही युवा भीड़ ने “कपी चोर, देश छोड़” (ओली चोर है, देश छोड़ो) जैसे नारे लगाए।
काठमांडू से हवाई सेवाएं बंद
त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (TIA) से सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। कोटेश्वर के पास धुएं के गुबार के बाद दोपहर 12:45 बजे से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रोक दी गईं। भैसेपति मंत्रिस्तरीय क्वार्टर से दर्जन भर हेलीकॉप्टर एयरपोर्ट की ओर उड़े, जहां उच्च अधिकारियों को सुरक्षित निकाला जा रहा है। नेपाल ट्रांसपोर्ट उद्यमियों महासंघ ने सार्वजनिक और माल ढुलाई सेवाओं का अनिश्चितकालीन हड़ताल घोषित कर दिया।
कर्फ्यू और हिंसा
काठमांडू घाटी के तीन जिलों में सुबह 8:30 बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया। न्यू बनेश्वर, एवरेस्ट होटल, मिन भवन, शांतिनगर, टिंकुने चौक, रत्न राज्य स्कूल और शंखमूल ब्रिज जैसे क्षेत्र कर्फ्यू क्षेत्र में हैं। भक्तपुर और ललितपुर में भी कर्फ्यू दोपहर 9 बजे से मध्यरात्रि तक लागू है। प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू तोड़ा और संसद भवन के बाहर सड़कें अवरुद्ध कर दीं। पुलिस ने आंसू गैस, पानी की बौछार, रबर बुलेट्स और लाइव गोलीबारी की, लेकिन भीड़ बेकाबू रही।
प्रदर्शन काठमांडू के अलावा पोखरा, बुटवल, धरान, इटहारी और जनकपुर में फैल गए। दमक में दो और मौतें हुईं। अस्पतालों में घायलों की संख्या 300 से अधिक हो चुकी है।
सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाया
सोमवार रात को सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप और एक्स जैसे 26 प्लेटफॉर्म्स पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया। संचार मंत्री प्रिथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कहा, “सोशल मीडिया शटडाउन वापस ले लिया गया है।” यह फैसला प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग पूरी करता है, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन जारी है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र ने “अनावश्यक बल प्रयोग” की निंदा की और जांच की मांग की। ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, फ्रांस, जापान, कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका की दूतावासों ने शांतिपूर्ण सभा का समर्थन किया। भारत ने नेपाली अधिकारियों के दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी और पनितंकी बॉर्डर पर हाई अलर्ट जारी किया। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने प्रतिबंध को प्रेस स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया।
आगे की राह
ओली के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति पौडेल को नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। प्रदर्शनकारी अब “पूर्ण न्याय” और भ्रष्टाचार के खिलाफ सुधारों की मांग कर रहे हैं। सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है, और उच्च अधिकारियों को सैन्य बैरक में सुरक्षित रखा जा रहा है। यह आंदोलन नेपाल के 2008 के लोकतांत्रिक आंदोलन के बाद सबसे बड़ा है, जो युवाओं की निराशा को दर्शाता है। यदि हिंसा नहीं रुकी, तो राजनीतिक संकट गहरा सकता है।
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