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देश में मौसम का कहर: बाढ़, भूस्खलन और बारिश से 500+ मौतें, 30,000 करोड़ से अधिक का नुकसान

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जलवायु परिवर्तन और मॉनसून की तीव्रता ने उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी राज्यों में अभूतपूर्व तबाही मचाई है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भारी बारिश, बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है। अब तक 500 से अधिक मौतें हो चुकी हैं, और 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ है। नीचे विभिन्न राज्यों के हालात और नुकसान का विस्तृत विवरण है।

जम्मू-कश्मीर: दशक की सबसे बड़ी आपदा

  • स्थिति: अगस्त 2025 में भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन ने तबाही मचाई। किश्तवाड़ के चिशोती में बादल फटने से 68 लोगों की मौत। मछेल में मां चंडी दर्शन के लिए गए तीर्थयात्री मलबे में फंसे। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग सहित कई सड़कें बंद। माता वैष्णो देवी यात्रा 12वें दिन भी स्थगित।
  • नुकसान: 123 मौतें, 33 लापता, 40,000 घर और 90,000 हेक्टेयर फसलें बर्बाद। 6,500 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान।
  • प्रशासनिक कदम: मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रत्येक डिप्टी कमिश्नर को 10 करोड़ रुपये आवंटित किए। केंद्र ने अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) भेजी। तवी रिवर फ्रंट ने कुछ सुरक्षा प्रदान की।

हिमाचल प्रदेश: 360 मौतें, 3,979 करोड़ का नुकसान

  • स्थिति: 20 जून से मॉनसून की भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन से तबाही। मंडी, कुल्लू, चंबा, शिमला और कांगड़ा सबसे प्रभावित। 50 से अधिक बादल फटने की घटनाएं, 96 बाढ़ और 133 भूस्खलन। मंडी में 28-29 जुलाई को बादल फटने से गांव और बाजार बह गए। 1,292 सड़कें बंद।
  • नुकसान: 360 मौतें (182 बारिश-संबंधी, 158 सड़क हादसों में), 47 लापता, 5,162 घर क्षतिग्रस्त, 776 नष्ट। 3,979 करोड़ रुपये का नुकसान।
  • प्रशासनिक कदम: मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राहत कार्यों का जायजा लिया। मणिमहेश यात्रा के 3,269 श्रद्धालुओं को निकाला गया। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध पेड़ कटाई पर NDMA को नोटिस जारी किया।

उत्तराखंड: 2013 जैसी त्रासदी

  • स्थिति: ग्लेशियर टूटने, बादल फटने और भूस्खलन से हालात गंभीर। उत्तरकाशी के धराली में 5 अगस्त को फ्लैश फ्लड। अलकनंदा और अन्य नदियां उफान पर। 54 सड़कें बंद, चारधाम यात्रा 55 दिन प्रभावित। 10 जिले आपदा की चपेट में।
  • नुकसान: 79 मौतें (1 अप्रैल-31 अगस्त), 50 से अधिक लापता, 1,852 करोड़ का नुकसान। केंद्र से 5,702 करोड़ रुपये की मांग।
  • प्रशासनिक कदम: एनडीआरएफ और एसडीआरएफ सक्रिय। गौरीकुंड-केदारनाथ मार्ग क्षतिग्रस्त। केंद्र से विशेष सहायता की मांग।

पंजाब: 1,948 गांव जलमग्न

  • स्थिति: सतलुज, रावी, ब्यास और घग्गर नदियों के उफान से 23 जिलों के 1,948 गांव प्रभावित। गुरदासपुर, जालंधर और अजनाला में तबाही। 3.87 लाख लोग प्रभावित।
  • नुकसान: 46 मौतें, 3 लापता, 1.74 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद। 101 किमी पीडब्ल्यूडी लिंक रोड और 54 किमी प्लान रोड क्षतिग्रस्त।
  • प्रशासनिक कदम: सेना, एनडीआरएफ और बीएसएफ ने 11,330 लोगों को निकाला। 122 राहत शिविरों में 6,582 लोग ठहरे। पीएम मोदी 9 सितंबर को हवाई सर्वेक्षण करेंगे।

हरियाणा: 27 साल बाद रिकॉर्ड बारिश

  • स्थिति: 12 जिले बाढ़ की चपेट में। यमुना, मारकंडा, टांगरी और घग्घर नदियां खतरे के निशान से ऊपर। अंबाला, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर प्रभावित। पांच नेशनल हाईवे बाधित।
  • नुकसान: 24 मौतें, 11 लाख एकड़ फसल बर्बाद, 2,247 लोग राहत शिविरों में। 3,500 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान।
  • प्रशासनिक कदम: एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना सक्रिय। झज्जर के बहादुरगढ़ में बचाव अभियान। केंद्र ने 1,066.80 करोड़ रुपये मंजूर किए।

राजस्थान: रेड अलर्ट के बीच तबाही

  • स्थिति: जयपुर, कोटा, भीलवाड़ा, अजमेर, उदयपुर और राजसमंद में भारी बारिश। राष्ट्रीय राजमार्ग-162 का हिस्सा बह गया। भीलवाड़ा में कॉलोनियों में 2-3 फीट पानी।
  • नुकसान: 3 मौतें (जयपुर में मकान ढहने से 2, कोटा में बिजली की चपेट से 1), 5 घायल। 1,200 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान।
  • प्रशासनिक कदम: यातायात डायवर्ट, राहत शिविर स्थापित। स्कूल बंद।

प्रशासनिक और सामाजिक प्रयास

  • केंद्र: गृह मंत्रालय ने 6 राज्यों के लिए 1,066.80 करोड़ रुपये जारी किए। पीएम मोदी 9 सितंबर को पंजाब का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध पेड़ कटाई पर NDMA को नोटिस जारी किया।
  • राहत कार्य: सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने हजारों लोगों को निकाला। पंजाब में 122 राहत शिविर। अक्षय कुमार ने 5 करोड़ रुपये की मदद का वादा किया।
  • सामाजिक योगदान: सोनू सूद, दिलजीत दोसांझ, और अन्य कलाकार राहत कार्यों में जुटे।

2025 का मॉनसून उत्तर भारत में ऐतिहासिक तबाही लेकर आया। जलवायु परिवर्तन, अवैध निर्माण और अनियोजित विकास ने संकट को गहराया। केंद्र और राज्य सरकारें राहत कार्यों में जुटी हैं, लेकिन पुनर्निर्माण के लिए दीर्घकालिक योजनाओं और निवेश की जरूरत है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है।

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