केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार डॉ. सुमंत्र पाल ने 17 सितंबर 2025 को लोक उद्यम विभाग (डीपीई) को एक पत्र जारी कर केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसयू) में दीवाली और अन्य त्योहारों पर गिफ्ट देने की प्रथा पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। इस फैसले ने सीपीएसयू कर्मचारियों में नाराजगी और हैरानी पैदा की है।
आर्थिक सलाहकार का तर्क है कि गिफ्ट देने की प्रथा से सरकारी खर्च बढ़ता है, और जनता के संसाधनों का न्यायपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इसे बंद करना जरूरी है।
आर्थिक सलाहकार का पत्र: पत्र में डॉ. पाल ने लिखा कि सीपीएसयू में दीवाली सहित अन्य त्योहारों पर गिफ्ट देने की प्रथा प्रचलित है, जो सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग को दर्शाती है। उन्होंने सभी सीपीएसयू से इस प्रथा को तत्काल प्रभाव से बंद करने और किसी भी त्योहार पर गिफ्ट का आदान-प्रदान रोकने का आग्रह किया है। साथ ही, इन दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया: ‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने इस निर्देश की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि गिफ्ट एक छोटा सा टोकन होता है, जो कर्मचारियों के लिए सम्मान और प्रोत्साहन का प्रतीक है। यह छोटा-सा उपहार कर्मचारियों में दोगुना उत्साह भरता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ती है। डॉ. पटेल ने इसे कर्मचारियों का मनोबल तोड़ने वाला कदम करार दिया और सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की।
लोक उद्यम विभाग (डीपीई) की भूमिका: डीपीई वित्त मंत्रालय के अधीन एक नोडल विभाग है, जो सीपीएसयू की नीतियों और दिशा-निर्देशों को तैयार करता है। यह विभाग सार्वजनिक उद्यमों के प्रदर्शन का मूल्यांकन, स्वायत्तता, और कार्मिक प्रबंधन के लिए नीतियां बनाता है। डीपीई की स्थापना की नींव 1962-67 की तीसरी लोकसभा की प्राक्कलन समिति की 52वीं रिपोर्ट में पड़ी, जिसमें सार्वजनिक उद्यमों के प्रदर्शन के लिए एक केंद्रीकृत समन्वय इकाई की आवश्यकता पर जोर दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप 1965 में सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो (बीपीई) की स्थापना हुई, जो 1985 में उद्योग मंत्रालय का हिस्सा बना और 1990 में इसे पूर्ण विभाग का दर्जा देकर डीपीई नाम दिया गया। डीपीई का मिशन सीपीएसयू की प्रतिस्पर्धात्मकता, पारदर्शिता, और सामाजिक प्रभाव को बढ़ावा देना है, ताकि ये उद्यम देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान दे सकें।
निर्देश का संभावित प्रभाव:
- कर्मचारी मनोबल: गिफ्ट, भले ही छोटा हो, कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन का स्रोत होता है। इस पर रोक से कर्मचारियों में असंतोष बढ़ सकता है, खासकर त्योहारी मौसम में।
- वित्तीय बचत: सरकार का तर्क है कि यह कदम अनावश्यक खर्च को कम करेगा, जिससे सार्वजनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा।
- प्रशासनिक पारदर्शिता: यह कदम गैर-जरूरी खर्चों पर अंकुश लगाने और वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देने की दिशा में देखा जा रहा है।
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