2018 में सुप्रीम कोर्ट के पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध और ग्रीन पटाखों की अनुमति के फैसले से उम्मीद जगी थी कि दिल्ली की दिवाली प्रदूषण-मुक्त होगी। लेकिन लापरवाही, कमजोर प्रवर्तन और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी परंपरा ने हर साल AQI को ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में धकेल दिया। 7 सालों (2018-2024) में प्रतिबंधों के बावजूद, अवैध पटाखों की बिक्री-फूटने का सिलसिला जारी रहा।
पड़ोसी राज्यों से तस्करी और सोशल मीडिया पर गुप्त बिक्री ने प्रशासन की चुनौतियां बढ़ाईं। 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने फिर ग्रीन पटाखों को सीमित समय (सुबह 6-8 बजे, रात 8-10 बजे) के लिए अनुमति दी, लेकिन इतिहास दोहराने का खतरा मंडरा रहा है।
7 सालों का AQI सफर: प्रतिबंधों के बावजूद प्रदूषण का उछाल
सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश के बाद दिल्ली में AQI के आंकड़े बताते हैं कि पटाखों ने हर दिवाली पर वायु गुणवत्ता को बिगाड़ा। CPCB डेटा के अनुसार, PM2.5 और PM10 के स्तर रात में 30 गुना तक बढ़ जाते थे। 2024 में दिवाली पर AQI 330 (बहुत खराब) रहा, जो 2023 के 218 से दोगुना था। रात 11 बजे आनंद विहार में AQI 386 तक पहुंचा।
नीचे दी गई तालिका में 2018-2024 की दिवाली AQI का तुलनात्मक विश्लेषण है (CPCB डेटा के आधार पर, औसत 24 घंटे का):
वर्ष | दिवाली AQI (औसत) | श्रेणी | PM2.5 पीक (µg/m³) | प्रमुख कारण |
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2018 | 281 | खराब | 150-200 | ग्रीन पटाखों की अनुमति, लेकिन अवैध फूटना |
2019 | 337 | बहुत खराब | 250-300 | NGT प्रतिबंध, फिर भी तस्करी |
2020 | 414 | गंभीर | 400+ | पूर्ण प्रतिबंध, कोविड के बावजूद उल्लंघन |
2021 | 382 | गंभीर | 350-400 | स्टबल बर्निंग + पटाखे |
2022 | 312 | बहुत खराब | 300-350 | हवा की खराब दिशा |
2023 | 218 | मध्यम-खराब | 150-200 | बेहतर हवा, लेकिन उल्लंघन |
2024 | 330 | बहुत खराब | 300-400 | व्यापक उल्लंघन, रात में 800 तक पीक |
स्रोत: CPCB और SAFAR-India डेटा। 2024 में रात 11 बजे कई जगहों पर AQI 800 तक पहुंचा, जो 24 घंटे औसत को कम दिखाता है।
प्रतिबंधों का उल्लंघन: दिल्ली पुलिस की जब्ती, फिर भी धमक
दिल्ली पुलिस ने हर साल बड़ी कार्रवाई की, लेकिन दिवाली रात पटाखों की गूंज बनी रही। 2024 में दिवाली से पहले 79 FIR दर्ज हुईं और 19,000 किग्रा अवैध पटाखे जब्त किए गए। फिर भी, लाजपत नगर, कालकाजी, रोहिणी जैसे इलाकों में व्यापक फूटना हुआ। 2023 में 250+ FIR और 100+ गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन AQI 218 तक ही सीमित रहा। पड़ोसी राज्यों (हरियाणा, यूपी) से तस्करी मुख्य समस्या रही—सोनीपत, फरीदाबाद, गाजियाबाद से सप्लाई चेन नहीं टूट सकी। सोशल मीडिया पर गुप्त बिक्री भी जारी रही।
2020 में NGT के पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद 12 FIR और 10 गिरफ्तारियां हुईं। पुलिस ने माना कि छोटी-छोटी सप्लाई चेन को पूरी तरह रोकना मुश्किल है।
2025 का नया आदेश: ग्रीन पटाखों पर सीमित छूट, लेकिन चुनौतियां वही
सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर 2025 को आदेश दिया कि दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखे (NEERI प्रमाणित, QR कोड वाले) केवल 18-21 अक्टूबर तक बेचे-फूटे जा सकेंगे। समय: सुबह 6-8 बजे और रात 8-10 बजे। बिक्री केवल नामित स्थानों पर, बाहर से तस्करी पर पूर्ण प्रतिबंध। CPCB और राज्य बोर्ड AQI की निगरानी करेंगे।
लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि ग्रीन पटाखे भी 30% कम प्रदूषण फैलाते हैं, न कि शून्य। पिछले 7 सालों के उल्लंघन को देखते हुए, प्रशासन के सामने चुनौती है: लाखों जुर्माने, सैकड़ों मुकदमे और हजारों किग्रा जब्ती के बावजूद अवैध पटाखे फूटे। अब ग्रीन पटाखों की निगरानी कैसे? दिल्ली सरकार ने 377 प्रवर्तन टीम तैनात की हैं, लेकिन इतिहास दोहराने का डर है।
सांस्कृतिक जड़ें बनाम पर्यावरण: दिल्लीवासियों की दुविधा
दिल्लीवासी पटाखों को परंपरा मानते हैं, लेकिन स्वास्थ्य जोखिम (श्वसन रोग, आंखों की जलन) बढ़ रहे हैं। 2024 में दिवाली पर PM2.5 400+ µg/m³ पहुंचा, जो WHO सीमा (25 µg/m³) से 16 गुना ज्यादा। विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता, सख्त प्रवर्तन और पड़ोसी राज्यों से समन्वय जरूरी। क्या 2025 में ग्रीन पटाखे इतिहास बदलेंगे, या AQI फिर ‘गंभीर’ हो जाएगा? यह दिल्ली की सांसों का सवाल है।
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