
16 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि रूस ने भारत के रूप में अपना एक प्रमुख तेल ग्राहक खो दिया है। यह बयान ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अलास्का में हुई मुलाकात के बाद एयरफोर्स वन में फॉक्स न्यूज से बातचीत के दौरान दिया।

दोनों नेताओं के बीच 15 अगस्त को करीब तीन घंटे तक चली बैठक में यूक्रेन युद्ध पर कोई ठोस समझौता नहीं हो सका, लेकिन ट्रंप ने इसे सकारात्मक बताते हुए भविष्य में और चर्चा की उम्मीद जताई। उनके इस बयान ने भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव को और बढ़ा दिया है।
ट्रंप की टैरिफ धमकी और भारत पर प्रभाव
ट्रंप ने कहा, “रूस ने भारत जैसा एक बड़ा तेल ग्राहक खो दिया, जो उनकी 40% तेल आपूर्ति का हिस्सा था। चीन भी रूस से खूब तेल खरीद रहा है। अगर मैंने और टैरिफ लगाए, तो यह भारत के लिए बेहद नुकसानदायक होगा। जरूरत पड़ी तो मैं ऐसा करूंगा, लेकिन शायद मुझे ऐसा न करना पड़े।” यह बयान ट्रंप के उस फैसले के बाद आया है, जिसमें उन्होंने भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए 50% टैरिफ लगाया है। इसमें 25% पारस्परिक टैरिफ पहले से लागू था, और रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त 25% टैरिफ 27 अगस्त 2025 से लागू होगा।
ट्रंप का तर्क है कि भारत का रूसी तेल खरीदना यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद कर रहा है, जो अमेरिकी हितों के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि भारत ने रूसी तेल खरीदना कम कर दिया है, जिससे रूस की अर्थव्यवस्था को झटका लगा है। हालांकि, भारतीय तेल निगम के अध्यक्ष एएस साहनी ने स्पष्ट किया कि भारत ने रूसी तेल खरीदना बंद नहीं किया है और यह निर्णय पूरी तरह आर्थिक आधार पर लिया जाता है। भारत ने 2022 से रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया है, और वर्तमान में रूस उसका सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो 36-40% तेल आपूर्ति करता है।
भारत का जवाब और स्थिति
भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के टैरिफ को “अन्यायपूर्ण, अनुचित, और बेतुका” करार देते हुए कड़ी आपत्ति जताई है। मंत्रालय ने कहा कि भारत ने रूस से तेल खरीदना तब शुरू किया जब पारंपरिक आपूर्तिकर्ता यूरोप की ओर मुड़ गए, और यह निर्णय वैश्विक बाजार की स्थिति और भारतीय उपभोक्ताओं के लिए किफायती ऊर्जा सुनिश्चित करने की जरूरत पर आधारित है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि यूरोपीय संघ का रूस के साथ व्यापार भारत से कहीं अधिक है, और अमेरिका स्वयं रूस से यूरेनियम और उर्वरक आयात करता है। भारत ने स्पष्ट किया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।
भू-राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव
ट्रंप की टैरिफ नीति को विशेषज्ञ अमेरिकी तेल और गैस उद्योग को बढ़ावा देने और भारत को अमेरिकी तेल खरीदने के लिए दबाव बनाने की रणनीति मान रहे हैं। 2025 की पहली छमाही में अमेरिकी तेल भारत के आयात का 8% हिस्सा बन चुका है। यदि भारत रूसी तेल खरीदना बंद करता है, तो उसका वार्षिक तेल आयात बिल 9-12 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है, जिससे मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास पर असर पड़ सकता है। साथ ही, भारत के निर्यात क्षेत्र, जैसे कपड़ा, दवा, और ऑटो पार्ट्स, को 18 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने चेतावनी दी है कि भारत पर टैरिफ से वह रूस और चीन के साथ गठजोड़ मजबूत कर सकता है, जो अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से नुकसानदायक होगा। भारत पहले ही ब्रिक्स+ देशों के साथ व्यापार बढ़ाने और गैर-डॉलर भुगतान प्रणाली पर विचार कर रहा है।
भारत में ट्रंप के बयान और टैरिफ की व्यापक आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग इसे भारत की संप्रभुता पर हमला बता रहे हैं। कुछ यूजर्स ने लिखा कि भारत की रूसी तेल खरीद ने वैश्विक तेल कीमतों को 120 डॉलर प्रति बैरल से रोककर 67 डॉलर पर स्थिर रखा, जिसका फायदा पश्चिमी देशों को भी मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में कहा कि भारत आर्थिक दबाव के सामने नहीं झुकेगा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा।
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