अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को एयर फोर्स वन पर पत्रकारों से बातचीत में फिर दावा किया कि भारत रूस से तेल की खरीद “पूरी तरह” रोक देगा। उन्होंने कहा, “आज आपने देखा होगा, चीन रूसी तेल की खरीद को काफी कम कर रहा है, और भारत पूरी तरह बंद कर रहा है, हमने प्रतिबंध लगाए हैं।”
यह बयान रोसनेफ्ट और लुकोइल जैसी रूसी तेल कंपनियों पर हालिया अमेरिकी प्रतिबंधों के संदर्भ में आया। हालांकि, नई दिल्ली ने ट्रंप के दावों को सिरे से खारिज कर दिया है, और स्पष्ट किया कि भारत के ऊर्जा निर्णय राष्ट्रीय हितों, स्थिर कीमतों और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला पर आधारित हैं, न कि वाशिंगटन की इच्छाओं पर।
ट्रंप का यह दावा दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी बैठक से ठीक पहले आया, जहां व्यापार, तकनीक और कच्चे मालों पर बढ़ते घर्षण के बीच चर्चा होगी। ट्रंप ने कहा कि वे शी से रूसी तेल की खरीद पर बात कर सकते हैं, लेकिन मुख्य फोकस रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने पर होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि वार्ता से “पूर्ण समझौता” होगा।
ट्रंप के दावों का इतिहास
ट्रंप पिछले कुछ हफ्तों से लगातार यह दावा कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत वर्षांत तक रूसी तेल की खरीद “रोक देगा”। व्हाइट हाउस में नाटो महासचिव मार्क रुट्टे के साथ बैठक में ट्रंप ने दोहराया, “भारत ने मुझे बताया कि वे रोक देंगे। यह प्रक्रिया है; आप रातोंरात तेल की खरीद नहीं रोक सकते। वर्षांत तक यह लगभग शून्य हो जाएगा।” अगस्त में ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीद के लिए 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, जो पहले से 25% टैरिफ पर जुड़ गया।
हालांकि, डेटा इसके विपरीत है। Kpler के अनुसार, अक्टूबर 2025 में भारत का रूसी कच्चे तेल आयात 1.8 मिलियन बैरल प्रति दिन रहा, जो पिछले महीने से 2.5 लाख बैरल अधिक है। रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, जो कुल आयात का 34% है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “मोदी और ट्रंप के बीच बुधवार को कोई बातचीत नहीं हुई। हमारी ऊर्जा नीति राष्ट्रीय हितों पर आधारित है।” भारत ने कहा कि वह आपूर्तिकर्ताओं को विविधीकृत कर रहा है, जिसमें अमेरिकी तेल का आयात 2025 में 3.1 लाख बैरल प्रति दिन हो गया, जो 2024 के 1.99 लाख से अधिक है।
भारत का रुख: राष्ट्रीय हित प्राथमिक
भारत ने ट्रंप के दावों को “राजनीतिक बयानबाजी” करार दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत तेल और गैस का बड़ा आयातक है। हमारी नीति उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करती है।” रूस से सस्ता तेल खरीदने से भारत ने 2022 के यूक्रेन आक्रमण के बाद अरबों डॉलर बचाए हैं। ट्रंप के टैरिफ ने भारत के कुछ उद्योगों को प्रभावित किया, लेकिन तेल आयात जारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी तेल महंगा और लॉजिस्टिक रूप से चुनौतीपूर्ण है, इसलिए रूसी तेल का विकल्प तुरंत संभव नहीं।
वैश्विक संदर्भ
ट्रंप का दावा यूक्रेन युद्ध के बीच आया, जहां रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए तेल प्रतिबंध महत्वपूर्ण हैं। भारत और चीन रूस के प्रमुख तेल खरीदार हैं। ट्रंप ने कहा कि चीन भी रूसी तेल कम कर रहा है, लेकिन डेटा इसके विपरीत है। दक्षिण कोरिया यात्रा के दौरान शी से व्यापक समझौते की उम्मीद है।
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