अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को रूसी तेल खरीदने पर ‘भारी टैरिफ’ की धमकी दी है। एयर फोर्स वन पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से आश्वासन दिया था कि भारत रूस से तेल आयात बंद कर देगा।
ट्रंप ने कहा, “उन्होंने (मोदी) मुझसे कहा, ‘मैं रूसी तेल का यह काम नहीं करूंगा।’ लेकिन अगर वे जारी रखेंगे, तो उन्हें भारी टैरिफ चुकाने पड़ेंगे।” जब भारतीय सरकार के ‘किसी हालिया बातचीत से अनभिज्ञ’ होने के बयान पर सवाल हुआ, तो ट्रंप ने कूटनीतिक तौर पर जवाब दिया, “अगर वे ऐसा कहना चाहते हैं, तो वे ही भारी टैरिफ चुकाते रहेंगे, और वे ऐसा नहीं चाहते।” यह बयान 15 अक्टूबर को ओवल ऑफिस में ट्रंप के आश्चर्यजनक ऐलान के बाद आया, जहां उन्होंने मोदी के ‘रूसी तेल बंद करने’ के वादे को ‘बड़ा कदम’ बताया था।
ट्रंप का यह रुख अमेरिका की रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भारत अपना लगभग एक-तिहाई कच्चा तेल रूस से खरीदता है, जो मॉस्को को यूक्रेन युद्ध के लिए फंडिंग प्रदान कर रहा है। व्हाइट हाउस ने रूस के ऊर्जा राजस्वों को काटने के लिए चीन, तुर्की जैसे अन्य खरीदारों पर भी दबाव बढ़ाया है। ट्रंप ने भारत पर पहले ही 50% टैरिफ लगा दिए हैं, जो कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख निर्यातों पर लागू हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर रूसी तेल आयात जारी रहा, तो ये टैरिफ बने रहेंगे या और बढ़ेंगे।
हालांकि, भारत ने ट्रंप के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जायस्वाल ने गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि उन्हें ट्रंप और मोदी के बीच किसी हालिया बातचीत की जानकारी नहीं है। जायस्वाल ने स्पष्ट किया, “मेरी जानकारी के अनुसार, कल प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई फोन वार्ता नहीं हुई।” उन्होंने अमेरिका के साथ ऊर्जा सहयोग पर जारी चर्चाओं का उल्लेख किया, लेकिन रूसी तेल आयात रोकने के किसी समझौते की पुष्टि नहीं की।
जायस्वाल ने कहा, “अमेरिका के साथ ऊर्जा संबंधों को गहरा करने पर निरंतर बातचीत हो रही है।” भारत ने रूसी तेल खरीद को राष्ट्रीय हितों से जोड़ते हुए कहा कि यह बहु-स्रोतों से आयात का हिस्सा है, खासकर रूस के छूट वाले दामों पर। ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है, जो कुल आयात का एक-तिहाई है।
यह विवाद ट्रंप के भारत पर लगाए 25% टैरिफ (जो बाद में रूसी तेल खरीद पर अतिरिक्त 25% हो गया) के बाद और तीखा हो गया। भारत ने इसे ‘अनुचित और अघोषित’ बताया, क्योंकि चीन या तुर्की जैसे अन्य खरीदारों पर ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस महीने नई दिल्ली में कहा कि दोनों देश व्यापार मुद्दों को हल करने पर काम कर रहे हैं, ताकि यह संबंधों के अन्य आयामों को प्रभावित न करे। अमेरिकी राजदूत-नामित सर्जियो गोर ने हाल ही में मोदी और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की, जहां रक्षा, व्यापार और तकनीक पर चर्चा हुई। ट्रंप ने मोदी को ‘महान नेता’ और ‘मेरा दोस्त’ कहा, लेकिन उनके ‘नोबेल प्राइज’ वाले शांति प्रयासों में भारत को ‘कृतघ्न’ मानने का इशारा किया।
यह तनाव अमेरिका-भारत संबंधों को प्रभावित कर रहा है, जो पिछले दो दशकों में मजबूत हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत रूसी तेल को ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी मानता है, लेकिन अमेरिका के साथ साझेदारी को संतुलित रखने की कोशिश करेगा। ट्रंप की धमकी से भारत के निर्यात को 50% तक नुकसान हो सकता है, लेकिन नई दिल्ली ने कहा कि वह ‘बहुध्रुवीय स्रोतों’ पर निर्भर रहेगा।
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