झारखंड के खरसावां से झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के तीन बार के विधायक दशरथ गगराई पर चुनाव के दौरान फर्जी पहचान पत्र और शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का उपयोग करने का गंभीर आरोप लगा है। शिकायतकर्ता लालजी राम तियु, जो खुद को पूर्व सैनिक बताते हैं, ने दावा किया है कि मौजूदा विधायक दशरथ गगराई वास्तव में उनके बड़े भाई रामकृष्ण गगराई हैं।
इस शिकायत के आधार पर झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के. रविकुमार ने सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह को जांच के आदेश दिए हैं। यह मामला 28 सितंबर 2025 को सुर्खियों में आया, जब सीईओ ने औपचारिक शिकायत और 18 सितंबर के हलफनामे के आधार पर जांच शुरू करने का निर्देश दिया।
शिकायत का विवरण
लालजी राम तियु ने 28 जुलाई 2025 को दर्ज अपनी शिकायत में दावा किया कि दशरथ गगराई ने विधानसभा चुनावों में फर्जी पहचान पत्र और शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का उपयोग किया। तियु ने 18 सितंबर को हस्ताक्षरित हलफनामे में अपने दावों का समर्थन करते हुए व्यक्तिगत जानकारी, दस्तावेजों और आधिकारिक रिकॉर्ड का हवाला दिया। उनका आरोप है कि “वर्तमान में दशरथ गगराई के नाम से विधायक के रूप में सेवा करने वाला व्यक्ति वास्तव में रामकृष्ण गगराई है, जो असली दशरथ गगराई का बड़ा भाई है।” इस शिकायत ने खरसावां विधायक की वैधता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
दशरथ गगराई का जवाब
झामुमो विधायक दशरथ गगराई ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए इन्हें “निराधार और मनगढ़ंत” बताया। उन्होंने पीटीआई से कहा, “मैंने तीन विधानसभा चुनावों में अपने हलफनामे और दस्तावेज जमा किए हैं, जिनकी हर बार गहन जांच हुई है। ये आरोप बेबुनियाद हैं।” गगराई ने शिकायतकर्ता लालजी राम तियु पर पलटवार करते हुए दावा किया कि तियु एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आरोपी हैं और जमानत पर बाहर हैं। उन्होंने कहा, “शिकायतकर्ता को सत्ता में बैठे लोगों पर ऐसे आरोप लगाने की आदत है।”
मुख्य निर्वाचन अधिकारी की कार्रवाई
झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के. रविकुमार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शिकायत को सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह को जांच के लिए भेजा। सीईओ ने स्पष्ट किया कि चुनाव समाप्त होने और परिणाम घोषित होने के बाद विधायकों से संबंधित विवादों का निपटारा राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में आता है, जबकि सांसदों से संबंधित मामले राष्ट्रपति के पास जाते हैं। इस मामले में, जांच के निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी।
राजनीतिक और कानूनी निहितार्थ
यह विवाद झारखंड में विधानसभा चुनावों से पहले सियासी माहौल को और गर्म कर सकता है। खरसावां, जो कोल्हान क्षेत्र का हिस्सा है, आदिवासी बहुल सीट है, और जेएमएम का इस क्षेत्र में मजबूत आधार रहा है। 2024 के विधानसभा चुनावों में जेएमएम के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने 56 सीटों के साथ सत्ता बरकरार रखी थी, जिसमें जेएमएम ने 34 सीटें जीती थीं। इस बीच, यह आरोप गगराई और जेएमएम के लिए एक चुनौती बन सकता है, क्योंकि यह न केवल उनकी व्यक्तिगत विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि मतदाता विश्वास और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी प्रभाव डाल सकता है।
शिकायतकर्ता तियु के दावों में कानूनी वजन तब और बढ़ गया, जब उन्होंने हलफनामे के साथ दस्तावेज और रिकॉर्ड प्रस्तुत किए। यदि जांच में गगराई के खिलाफ कोई अनियमितता पाई जाती है, तो यह उनके विधायक पद को खतरे में डाल सकता है और जेएमएम के लिए राजनीतिक संकट पैदा कर सकता है। दूसरी ओर, यदि आरोप निराधार साबित होते हैं, तो यह शिकायतकर्ता की विश्वसनीयता पर सवाल उठाएगा।
चुनावी संदर्भ और अन्य विवाद
झारखंड में हाल के विधानसभा चुनाव (13 और 20 नवंबर 2024) में 67.74% की रिकॉर्ड मतदान दर दर्ज की गई थी। जेएमएम और उसके गठबंधन सहयोगियों (कांग्रेस, आरजेडी, और सीपीआई-एमएल) ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को हराया था। हालांकि, चुनाव प्रचार के दौरान जेएमएम और बीजेपी के बीच आदिवासी अधिकार, घुसपैठ, और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर तीखी नोकझोंक देखी गई थी। इसके अलावा, जेएमएम ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के. रविकुमार और दो आईपीएस अधिकारियों को हटाने की मांग भी की थी, जिसे लेकर विवाद हुआ था। गगराई का यह मामला अब इस सियासी तनाव को और बढ़ा सकता है।
The post झारखंड: झामुमो विधायक दशरथ गगराई पर फर्जी पहचान पत्र के आरोप, मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने जांच के आदेश दिए appeared first on Live Today | Hindi News Channel.