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जीएसटी सुधार 2025: बीमा, दवाइयों और खाद्य पदार्थों पर राहत, टीवी-फ्रिज सस्ते, तंबाकू महंगा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में ‘जीएसटी 2.0’ के तहत अगली पीढ़ी के सुधारों की घोषणा की, जिसे उन्होंने ‘दिवाली उपहार’ करार दिया।

प्रस्तावित जीएसटी ढांचे में मौजूदा चार स्लैब (5%, 12%, 18%, और 28%) को घटाकर दो मुख्य स्लैब (5% और 18%) करने की योजना है, जिसमें कुछ वस्तुओं पर विशेष दर 40% होगी। इन सुधारों का उद्देश्य आम लोगों, विशेषकर निम्न और मध्यम वर्ग, किसानों, और छोटे व्यवसायों को राहत देना है। यह सुधार सितंबर या अक्टूबर 2025 में जीएसटी परिषद की मंजूरी के बाद लागू हो सकते हैं।

प्रमुख बदलाव और प्रभावित वस्तुएँ

  1. जीरो या 5% जीएसटी स्लैब:
  • स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम: वर्तमान में 18% जीएसटी की दर को घटाकर 5% या शून्य करने का प्रस्ताव है। इससे बीमा सस्ता होगा, खासकर वरिष्ठ नागरिकों और निम्न आय वर्ग के लिए। बीमा कंपनियों को भी बिक्री बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि भारत में बीमा प्रवेश (3.8% जीडीपी) अभी कम है।
  • दवाइयाँ और चिकित्सा उपकरण: कैंसर की दवाओं पर जीएसटी पहले ही 12% से घटाकर 5% किया जा चुका है। अब अन्य आवश्यक दवाएँ और चिकित्सा उपकरण या तो कर-मुक्त हो सकते हैं या 5% स्लैब में आएँगे। इससे स्वास्थ्य सेवाएँ सस्ती होंगी।
  • खाद्य पदार्थ: घी, मक्खन, पैकेज्ड खाद्य पदार्थ, फल, सब्जियाँ, फ्रोजन सब्जियाँ, ड्राई फ्रूट्स, जैम, सॉसेज, नमकीन, और पैकेज्ड नारियल पानी जैसे उत्पाद 12% से 5% स्लैब में जा सकते हैं। इससे रोजमर्रा की जरूरतों की लागत कम होगी।
  • अन्य आवश्यक वस्तुएँ: टूथब्रश, बालों का तेल, स्टेशनरी (पेंसिल, नोटबुक), शैक्षिक उत्पाद, 1000 रुपये से कम कीमत वाले जूते-चप्पल, जूट/कपास के बैग, साइकिल, और बर्तन 12% से 5% या कर-मुक्त स्लैब में आ सकते हैं।
  1. 18% जीएसटी स्लैब:
  • उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ: टीवी (32 इंच तक), रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, और वॉशिंग मशीन जैसी वस्तुएँ 28% से घटकर 18% स्लैब में आएँगी। इससे मध्यम वर्ग के लिए ये उत्पाद सस्ते होंगे।
  • छोटी कारें और दोपहिया वाहन: 1200 सीसी तक की पेट्रोल कारें, 1500 सीसी तक की डीजल कारें (4 मीटर से कम लंबाई), और 250 सीसी तक के दोपहिया वाहनों पर जीएसटी 28% से घटकर 18% हो सकता है। इससे ऑटोमोबाइल क्षेत्र में 15-20% बिक्री बढ़ने की उम्मीद है।
  • सीमेंट: सीमेंट पर जीएसटी 28% से घटकर 18% हो सकता है, जिससे निर्माण लागत कम होगी और रियल एस्टेट क्षेत्र को लाभ मिलेगा।
  • कृषि उपकरण: ट्रैक्टर, स्प्रिंकलर, और अन्य कृषि उपकरण 12% से 5% स्लैब में आ सकते हैं, जिससे किसानों को राहत मिलेगी।
  1. 40% जीएसटी स्लैब:
  • लक्जरी और सिन गुड्स: तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला, और उच्च इंजन क्षमता वाली कारें (1200 सीसी से अधिक पेट्रोल और 1500 सीसी से अधिक डीजल) 40% स्लैब में आएँगी। वर्तमान में इन पर 28% जीएसटी और 1-22% अतिरिक्त सेस लगता है, जिसका कुल प्रभाव 43-50% है। नई व्यवस्था में सेस हटाकर एकमुश्त 40% दर लागू होगी।

जीएसटी सुधारों का उद्देश्य और प्रभाव

  • उपभोक्ता लाभ: 12% स्लैब की 99% वस्तुएँ 5% और 28% स्लैब की 90% वस्तुएँ 18% स्लैब में आएँगी। इससे रोजमर्रा की वस्तुएँ सस्ती होंगी और उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, इससे खुदरा महंगाई में 0.40% की कमी और 2.4 लाख करोड़ रुपये की मांग में वृद्धि होगी।
  • सुधरी हुई कर संरचना: नमकीन, पराठे, बन, और केक जैसे उत्पादों पर वर्गीकरण विवाद खत्म होंगे। दो स्लैब (5% और 18%) और एक विशेष दर (40%) से कर प्रणाली सरल होगी।
  • आर्थिक प्रभाव: सरकार का मानना है कि अल्पकालिक राजस्व हानि (जीडीपी का 0.2-0.4%) की भरपाई बढ़ते उपभोग और कर अनुपालन से होगी।
  • उद्योगों को लाभ: ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट, और बीमा जैसे क्षेत्रों में लागत कम होने से मांग बढ़ेगी। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को भी कम कर दरों और सरल अनुपालन से लाभ होगा।
  • प्रौद्योगिकी आधारित सुधार: जीएसटी पंजीकरण, प्री-फिल्ड रिटर्न, और रिफंड प्रक्रिया को तकनीक-संचालित बनाया जाएगा, जिससे छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स को सहूलियत होगी।

वर्तमान जीएसटी राजस्व योगदान

  • 5% स्लैब: 7% राजस्व
  • 12% स्लैब: 5% राजस्व
  • 18% स्लैब: 65% राजस्व
  • 28% स्लैब: 11% राजस्व

चुनौतियाँ और अगले कदम

जीएसटी परिषद, जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करती हैं, सितंबर या अक्टूबर 2025 में होने वाली 56वीं बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा करेगी। राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह (GoM) को प्रस्ताव की समीक्षा के लिए भेजा गया है। राज्यों की सहमति के बाद ही सुधार लागू होंगे। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कॉरपोरेट्स टैक्स कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पूरी तरह नहीं पहुँचाएँगे, जिससे कीमतों में कमी सीमित हो सकती है।

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