
सुप्रीम कोर्ट ने लालू यादव के खिलाफ सीबीआई द्वारा जाँचे जा रहे ज़मीन के बदले नौकरी घोटाले में चल रही निचली अदालती कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार (18 जुलाई) को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जाँचे जा रहे ज़मीन के बदले नौकरी घोटाले में चल रही निचली अदालती कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने इस चरण में सुनवाई प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करने का फैसला करते हुए उनकी याचिका का निपटारा कर दिया। यह मामला 2004 से 2009 तक लालू प्रसाद के रेल मंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र, जबलपुर में ग्रुप डी की नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। आरोप है कि नौकरियों के बदले में उम्मीदवारों ने लालू यादव के परिवार या सहयोगियों से जुड़े व्यक्तियों को जमीन के टुकड़े हस्तांतरित या उपहार में दिए।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि वह सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली यादव की लंबित याचिका पर सुनवाई में तेजी लाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उच्च न्यायालय में चल रही कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट द्वारा अब तक की गई किसी भी टिप्पणी का मामले के गुण-दोष पर कोई असर नहीं पड़ेगा। साथ ही, लालू यादव को फिलहाल निचली अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी।
इससे पहले 29 मई को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुकदमे पर रोक लगाने का कोई ठोस कारण नहीं पाया था और लालू यादव की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। इस घटनाक्रम का मतलब है कि लालू प्रसाद यादव ज़मीन के बदले नौकरी मामले में मुकदमे का सामना करते रहेंगे, जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय उनके आरोपों को खारिज करने के अनुरोध पर विचार कर रहा है।
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