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छत्तीसगढ़: लच्छनपुर स्कूल में मिड-डे मील कांड, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

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छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक स्थित लच्छनपुर मिडिल स्कूल में मिड-डे मील के तहत 83 बच्चों को कुत्ते का जूठा खाना परोसने की घटना ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे “गंभीर लापरवाही” करार दिया और स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को 19 अगस्त तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह कार्रवाई 3 अगस्त 2025 को प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर की।

घटना 28 जुलाई 2025 की है, जब स्कूल में तैयार मिड-डे मील की सब्जी को एक आवारा कुत्ते ने जूठा कर दिया। कुछ बच्चों ने इसकी जानकारी शिक्षकों को दी, जिन्होंने स्व-सहायता समूह (जय लक्ष्मी) को खाना परोसने से मना किया। इसके बावजूद, समूह ने दावा किया कि भोजन सुरक्षित है और इसे 83 बच्चों को परोस दिया। बच्चों ने यह बात अपने अभिभावकों को बताई, जिसके बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। इसके बाद 78 से 83 बच्चों को एहतियातन एंटी-रेबीज वैक्सीन की दो डोज दी गई, हालांकि बच्चों की संख्या को लेकर आंकड़ों में असमानता है।

हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस विभु दत्ता गुरु शामिल थे, ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि मिड-डे मील कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि बच्चों की गरिमा और स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा है। कोर्ट ने कुत्ते का जूठा खाना परोसने को “अमानवीय” और प्रशासनिक विफलता का प्रतीक बताया। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी घटनाएं सरकार की योजनाओं की साख को ठेस पहुंचाती हैं और बच्चों की जान को खतरे में डालती हैं, क्योंकि रेबीज जैसी बीमारी का इलाज संभव नहीं है।

कोर्ट ने राज्य सरकार से चार प्रमुख बिंदुओं पर जवाब मांगा है:

  1. क्या सभी प्रभावित बच्चों को समय पर एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई?
  2. दोषी शिक्षकों और स्व-सहायता समूह पर क्या कार्रवाई की गई?
  3. प्रभावित बच्चों को मुआवजा प्रदान किया गया या नहीं?
  4. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं?

जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जय लक्ष्मी स्व-सहायता समूह को मिड-डे मील संचालन से हटा दिया और स्कूल के प्रधान पाठक व संकुल समन्वयक को कारण बताओ नोटिस जारी किया। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि बच्चों में अभी तक रेबीज के लक्षण नहीं दिखे हैं, लेकिन निगरानी जारी है। ग्रामीणों ने समूह को हटाने और जिम्मेदार एजेंसी को भोजन व्यवस्था सौंपने की मांग की है।

अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी, और यह मामला बच्चों की सुरक्षा और मिड-डे मील योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है। कोर्ट का सख्त रुख इस बात का संकेत है कि बच्चों की सेहत के साथ किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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