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चीन-पाकिस्तान सैन्य एकीकरण: CENTAIC क्या है और क्या भारत को चिंतित होना चाहिए?

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चीन और पाकिस्तान के बीच गहराते सैन्य सहयोग, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में, ने भारत के लिए एक नई रणनीतिक चुनौती पेश की है।

पाकिस्तान वायु सेना (PAF) द्वारा 2020 में स्थापित सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड कंप्यूटिंग (CENTAIC) इस सहयोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य PAF को एक नेटवर्क-केंद्रित बल में बदलना और इसे चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) वायु सेना के साथ एकीकृत करना है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भाषण में संसद में CENTAIC का उल्लेख करते हुए भारत सरकार से पूछा कि क्या वह इस एकीकरण की गहराई से अवगत है। यह लेख CENTAIC की प्रकृति और भारत के लिए इसके निहितार्थों पर प्रकाश डालता है।

CENTAIC क्या है?

CENTAIC, पाकिस्तान वायु सेना द्वारा अगस्त 2020 में स्थापित एक AI और कंप्यूटिंग केंद्र है, जिसका उद्देश्य सैन्य और असैन्य दोनों क्षेत्रों में AI के विकास को बढ़ावा देना है। लाहौर के दैनिक समाचार पत्र पाकिस्तान टुडे के अनुसार, PAF के तत्कालीन वायु सेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल मुजाहिद अनवर खान ने कहा कि CENTAIC PAF के परिचालन कार्यों में AI को एकीकृत करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

CENTAIC निम्नलिखित प्रमुख AI क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है:

  • बिग डेटा: कई स्रोतों (रडार, सेंसर, कैमरे) से डेटा का विश्लेषण कर युद्धक्षेत्र में बेहतर निर्णय लेने की क्षमता।
  • मशीन लर्निंग (ML): पिछले डेटा के आधार पर तेजी से निर्णय लेने के लिए, जैसे इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, उड़ान पथ जनरेशन, और स्मार्ट नियंत्रण प्रणाली।
  • डीप लर्निंग: ड्रोन और मिसाइलों के लिए स्वायत्त प्रणालियाँ, जो न्यूनतम मानव हस्तक्षेप के साथ काम कर सकें।
  • प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स: सेंसर डेटा और रखरखाव इतिहास के आधार पर विमान की उपलब्धता बढ़ाने और लागत कम करने के लिए।
  • नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP): पायलटों के साथ “बातचीत” करने वाली प्रणालियाँ, जो तनावपूर्ण परिस्थितियों में निर्णय लेने में मदद करें।

CENTAIC का एक प्रमुख उद्देश्य PAF के प्रोजेक्ट आज़म को समर्थन देना है, जिसके तहत पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट और मध्यम-ऊंचाई लंबी-दूरी (MALE) ड्रोन विकसित किए जा रहे हैं। यह केंद्र सेंसर फ्यूजन, मिसाइल गाइडेंस सिस्टम, और ह्यूमन-मशीन इंटरफेस (HMI) जैसे सॉफ्टवेयर-आधारित तकनीकों को विकसित करने पर भी ध्यान देता है, जो आधुनिक वायु युद्ध के लिए महत्वपूर्ण हैं।

चीन-पाकिस्तान सैन्य एकीकरण और CENTAIC

हालांकि CENTAIC में चीन की प्रत्यक्ष भागीदारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन विशेषज्ञों और राहुल गांधी के दावों के अनुसार, चीन ने इस केंद्र की स्थापना और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राहुल गांधी ने 29 जुलाई 2025 को संसद में कहा कि CENTAIC का लक्ष्य PAF को PLA वायु सेना के साथ एकीकृत करना और इसे नेटवर्क-केंद्रित बल में बदलना है, जो वास्तविक समय डेटा साझा करने और AI के उपयोग से युद्धक्षेत्र में तेजी से निर्णय लेने में सक्षम हो।

राहुल गांधी ने लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह के हवाले से दावा किया कि मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को चीन से वास्तविक समय युद्धक्षेत्र की जानकारी मिल रही थी। उन्होंने कहा, “11 मई को DGMO-स्तर की बातचीत के दौरान, पाकिस्तान ने कहा कि ‘हमें पता है कि आपका यह महत्वपूर्ण वेक्टर तैयार है। कृपया इसे वापस लें।’ यह स्पष्ट है कि उन्हें चीन से लाइव युद्धक्षेत्र जानकारी मिल रही थी।”

चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग 2011 से शुरू हुए शाहीन संयुक्त वायु अभ्यासों के बाद से बढ़ा है, जो 2019 के बालाकोट हमले के बाद और गहरा गया। 2020 में, चीन के तत्कालीन रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने इस्लामाबाद में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसने दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को और मजबूत किया। पाकिस्तान की वायु सेना में पहले से ही चीनी JF-17, J-10, और ZDK-03 AWACS जैसे उपकरण शामिल हैं, और अब AI और बिग डेटा पर आधारित प्रणालियों का एकीकरण इसे और घातक बना सकता है।

रक्षा विशेषज्ञ संदीप उन्नीथन के अनुसार, CENTAIC और PAF-नेशनल एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी पार्क (PAF-NASTP) पाकिस्तान की AI-आधारित इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये केंद्र कमरा के पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स और इस्लामाबाद के नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (NUST) के आसपास केंद्रित हैं।

क्या भारत को चिंतित होना चाहिए?

CENTAIC और चीन-पाकिस्तान सैन्य एकीकरण भारत के लिए कई कारणों से चिंता का विषय है:

  1. नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमता:
  • CENTAIC PAF को मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस (MDO) में सक्षम बनाता है, जो स्थलीय, हवाई, और अंतरिक्ष-आधारित सेंसरों को जोड़कर युद्धक्षेत्र की स्थिति जागरूकता को बढ़ाता है और प्रतिक्रिया समय को कम करता है। यदि यह PLA के साथ एकीकृत हो जाता है, तो पाकिस्तान भारत के खिलाफ साझा खुफिया जानकारी और तेजी से निर्णय लेने की क्षमता हासिल कर सकता है।
  1. ऑपरेशन सिंदूर में सबक:
  • मई 2025 के भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष (ऑपरेशन सिंदूर) के दौरान, चीन ने कथित तौर पर पाकिस्तान को वास्तविक समय उपग्रह टोही और खुफिया जानकारी प्रदान की। यह दर्शाता है कि CENTAIC जैसे केंद्र, चीनी समर्थन के साथ, भारत के सैन्य अभियानों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
  1. AI-आधारित युद्ध प्रौद्योगिकी:
  • CENTAIC ड्रोन, मिसाइल गाइडेंस सिस्टम, सेंसर फ्यूजन, और ह्यूमन-मशीन इंटरफेस जैसी तकनीकों पर काम कर रहा है। ये तकनीकें युद्ध में PAF की प्रभावशीलता को बढ़ा सकती हैं, विशेष रूप से भारत के Su-30 और राफेल जैसे विमानों के खिलाफ।
  1. चीन-पाकिस्तान-तुर्की गठजोड़:
  • रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, CENTAIC को न केवल चीन, बल्कि तुर्की से भी तकनीकी सहायता मिल रही है। यह त्रिपक्षीय सहयोग भारत के लिए एक व्यापक रणनीतिक चुनौती पेश करता है, क्योंकि तुर्की भी AI-आधारित युद्ध प्रौद्योगिकियों में अग्रणी है।
  1. क्षेत्रीय परमाणु स्थिरता पर जोखिम:
  • AI-सक्षम स्वायत्त हथियार प्रणालियाँ (AWS) गलत व्याख्या या साइबर हमलों के कारण अनपेक्षित वृद्धि का कारण बन सकती हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर बार-बार होने वाली झड़पों में ऐसी प्रणालियों का उपयोग परमाणु संकट को ट्रिगर कर सकता है।
  1. भारत की तुलना में अंतर:
  • भारत ने 1986 में डीआरडीओ के सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (CAIR) के साथ AI-सैन्य एकीकरण शुरू किया, लेकिन चीन और पाकिस्तान के संयुक्त प्रयास भारत की प्रगति को चुनौती दे रहे हैं। भारत ने 140 AI-आधारित निगरानी प्रणालियाँ तैनात की हैं, लेकिन CENTAIC और PLA की उन्नत AI क्षमताएँ भारत के लिए खतरा पैदा करती हैं।

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