
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के नवविवाहित जोड़े, कौशलेंद्र प्रताप सिंह और अंकिता सिंह, जो हनीमून के लिए सिक्किम गए थे, 29 मई 2025 को हुए एक दर्दनाक हादसे के बाद से लापता हैं। उनकी तलाश में सिक्किम गए कौशलेंद्र के पिता शेर बहादुर सिंह मंगलवार शाम रिश्तेदारों के साथ घर लौट आए, लेकिन 13 दिन बाद भी उनके बेटे और बहू का कोई सुराग नहीं मिला। घर पहुंचते ही परिवार में मातम छा गया।

कौशलेंद्र (29) और अंकिता (26), जिनकी शादी 5 मई 2025 को हुई थी, 24 मई को सिक्किम के लिए रवाना हुए थे। 29 मई को गंगटोक से चुंगथांग लौटते समय मंगन जिले के मुंशीथांग के पास लाचेन-लाचुंग राजमार्ग पर बारिश से फिसलन भरी सड़क पर उनका वाहन अनियंत्रित होकर लगभग 1,000 फीट नीचे तीस्ता नदी में जा गिरा। वाहन में 11 पर्यटक और एक चालक सवार थे। हादसे में चालक पासांग देनु शेर्पा की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो पर्यटक, स्वयं सुप्रतिम नायक और सैराज जेना (ओडिशा), को बचा लिया गया। आठ पर्यटक, जिनमें कौशलेंद्र और अंकिता शामिल हैं, अभी भी लापता हैं।
बचाव अभियान में चुनौतियां
शेर बहादुर ने बताया कि हादसे की सूचना मिलने पर वह अंकिता के भाई सौरभ सिंह, चाचा, और साले दीपक के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। खराब मौसम और तीस्ता नदी का तेज बहाव बचाव कार्य में बाधा बना। सोमवार को वाहन का पहिया, साइलेंसर और कुछ कपड़े बरामद हुए, लेकिन इनमें से कोई भी सामान कौशलेंद्र या अंकिता का नहीं था। उन्होंने कहा, “हजारों फीट गहरी खाई और तीस्ता नदी के बीच चट्टानों और मलबे को हटाना आसान नहीं है।” बचाव टीमें चुंगथांग तक आठ किलोमीटर के दायरे में खोजबीन कर रही हैं, लेकिन अभी तक लापता लोगों से जुड़ा कोई ठोस सुराग नहीं मिला।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), सिक्किम पुलिस, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं, वन विभाग, पर्यटन विभाग, और ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ सिक्किम (TAAS) बचाव अभियान में लगे हैं। मंगन जिले के पुलिस अधीक्षक सोनम देचु भूटिया ने बताया कि वाहन नदी में मलबे के नीचे फंसा है, और तेज बहाव व अस्थिर भू-भाग के कारण खोज कार्य चुनौतीपूर्ण है।
परिवार का दर्द और अपील
शेर बहादुर की आंखों से आंसू थम नहीं रहे। उन्होंने बताया कि बचे हुए दो पर्यटकों ने फोटो देखकर पुष्टि की कि कौशलेंद्र और अंकिता उनके साथ वाहन में थे। परिवार ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सिक्किम सरकार से बचाव कार्य तेज करने की गुहार लगाई है। शेर बहादुर ने कहा, “मैं अपने बेटे और बहू के बिना घर नहीं लौटूंगा।” कौशलेंद्र उनके माता-पिता का इकलौता बेटा है, जो दिल्ली में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा था, जबकि अंकिता लखनऊ के मेदांता अस्पताल में मेडिसिन विभाग में कार्यरत थीं।
सरकारी प्रयास और मौसम की बाधाएं
सिक्किम में भारी बारिश और भूस्खलन ने हालात को और जटिल बना दिया है। मंगन जिले में कई सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हैं, जिससे जमीनी बचाव कार्य प्रभावित हुआ। भारतीय सेना, एनडीआरएफ, और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवान खोजबीन में जुटे हैं। सिक्किम सरकार ने इसे प्राकृतिक आपदा घोषित किया है। हाल ही में 113 पर्यटकों को बचाया गया, जिनमें से 30 को हेलीकॉप्टर से निकाला गया।
शेर बहादुर ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल से मुलाकात की, जिसके बाद बचाव कार्य में तेजी आई। सिक्किम के डीजीपी अक्षय सचदेवा ने परिवार को हर दिन अपडेट देने का आश्वासन दिया है।
वर्तमान स्थिति
तीस्ता नदी का बहाव अब सामान्य हो रहा है, लेकिन मलबे और चट्टानों के बीच खोजबीन अब भी मुश्किल है। परिवार चमत्कार की उम्मीद में प्रार्थना कर रहा है। कौशलेंद्र के चाचा और बीजेपी नेता उम्मेद सिंह ने भी सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
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