चंद्रबाबू नायडू, जिनकी टीडीपी भाजपा नीत एनडीए का हिस्सा है, ने 6 जुलाई को हैदराबाद में रेवंत रेड्डी के आवास पर एक बैठक का प्रस्ताव रखा है।

राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा देने वाले एक कदम के तहत आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने राज्य के विभाजन से उत्पन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए तेलंगाना के अपने समकक्ष रेवंत रेड्डी के साथ आमने-सामने बैठक का प्रस्ताव रखा है। कांग्रेस के रेड्डी को लिखे पत्र में नायडू ने कहा कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की निरंतर प्रगति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए तेलुगु भाषी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच “घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देना” महत्वपूर्ण है।

नायडू ने पत्र में कहा, “पूर्ववर्ती आंध्र प्रदेश के विभाजन को 10 वर्ष हो चुके हैं। पुनर्गठन अधिनियम से उत्पन्न मुद्दों पर कई चर्चाएं हुई हैं, जिनका हमारे राज्यों के कल्याण और उन्नति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है।” टीडीपी सुप्रीमो ने कहा कि आमने-सामने की बैठक पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान प्राप्त करने की दिशा में व्यापक रूप से बातचीत करने का अवसर प्रदान करेगी। दरअसल, रेड्डी कांग्रेस में शामिल होने से पहले टीडीपी में थे और चंद्रबाबू नायडू के विश्वासपात्र थे।

नायडू का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के तहत हैदराबाद को दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी बनाने की समय सीमा समाप्त हो गई है। हैदराबाद अब केवल तेलंगाना की राजधानी होगी। आंध्र प्रदेश को अभी तक कोई राजधानी नहीं मिली है। टीडीपी ने कहा है कि वह अमरावती को राज्य की राजधानी के रूप में विकसित करेगी।

पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी सरकार ने टीडीपी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और तीन राजधानियों का प्रस्ताव रखा था। प्रस्ताव के अनुसार अमरावती विधायी राजधानी, कुरनूल न्यायिक राजधानी और विशाखापत्तनम प्रशासनिक राजधानी होगी। हालांकि, यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका।

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