इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ गाजा युद्धविराम पर चर्चा के बाद एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इजरायल अमेरिका का गुलाम नहीं है।
यह बयान ट्रंप प्रशासन की शांति पहल को झटका दे सकता है, क्योंकि अमेरिकी प्रयासों से बने सीजफायर समझौते की नाजुक स्थिति अब और जटिल हो गई है। वेंस की बुधवार को हुई बैठक के बाद नेतन्याहू ने जोर देकर कहा कि इजरायल अपनी सुरक्षा नीतियां स्वयं तय करेगा, जिससे व्हाइट हाउस में चिंता की लहर दौड़ गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में इजरायल और हमास के बीच 20-सूत्री शांति योजना के तहत सीजफायर का ब्रोकरेज किया था, जो दो वर्षों से चले आ रहे संघर्ष को समाप्त करने की उम्मीद जगाता था। लेकिन हाल के दिनों में हिंसा की झड़पों ने इस समझौते को खतरे में डाल दिया है। वेंस, ट्रंप के मिडिल ईस्ट शांति दूत स्टीव विटकॉफ और जारेड कुश्नर के साथ इजरायल पहुंचे थे ताकि समझौते को मजबूत किया जा सके। वेंस ने कहा कि गाजा में शांति कायम रखना बड़ी चुनौती है, लेकिन यह संभव है। उन्होंने हमास से हथियार डालने की अपील की और गाजा के पुनर्निर्माण पर जोर दिया, हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि यह कार्य आसान नहीं होगा।
नेतन्याहू ने अपनी स्वतंत्रता पर बल देते हुए कहा, “कुछ लोग सोचते हैं कि अमेरिका इजरायल को चलाता है, तो कुछ मानते हैं कि इजरायल अमेरिका को। दोनों गलत हैं। हम मजबूत साझेदार हैं, और हमारा गठबंधन मिडिल ईस्ट को बदल रहा है।” इस बयान से ट्रंप प्रशासन में आशंका बढ़ गई है कि क्या नेतन्याहू समझौते से पीछे हट सकते हैं, जिससे गाजा में फिर से बड़े युद्ध की आशंका हो सकती है। हाल ही में रविवार को हुई हिंसा के बाद इजरायल ने हमास पर उल्लंघन का आरोप लगाया, जबकि हमास ने भी जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि हिंसा जारी रही, तो इजरायल को हमास को “समाप्त” करने की पूरी छूट होगी।
वेंस ने बैठक के बाद कहा कि सीजफायर अपेक्षा से बेहतर चल रहा है, लेकिन “अनिवार्य झड़पें” हो सकती हैं। उन्होंने अब्राहम समझौते के विस्तार से क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ाने की बात कही। हालांकि, नेतन्याहू की टिप्पणी ने इजरायल-अमेरिका संबंधों में नई जटिलता पैदा कर दी है।
जहां अमेरिका शांति प्रक्रिया को हर दिन मॉनिटर करने के लिए समन्वय केंद्र स्थापित कर रहा है, वहीं इजरायल अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह विवाद समझौते को पटरी से उतार देगा या दोनों देश एकजुट होकर हमास को हथियार डालने के लिए मजबूर करेंगे।
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