
कोटद्वार रेलवे स्टेशन से दिल्ली के लिए रवाना हुई श्री सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन की टक्कर से एक हाथी की मौत हो गई। घटना दोपहर 3:35 बजे के बाद हुई, जब ट्रेन कोटद्वार से करीब तीन किलोमीटर दूर रेल ट्रैक क्रॉस कर रहे एक नर हाथी से टकरा गई।

टक्कर इतनी जोरदार थी कि हाथी की मौके पर ही मौत हो गई। हाथी का शव रेल ट्रैक के किनारे झाड़ियों में पड़ा मिला। मंगलवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव को दफनाया जाएगा। यह पिछले डेढ़ साल में इस क्षेत्र में ट्रेन की चपेट में आने से तीसरे हाथी की मौत है।
श्री सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस (12037) कोटद्वार से दोपहर 3:35 बजे दिल्ली के लिए रवाना हुई थी। ट्रेन के चालक दल और गार्ड ने टक्कर के बाद नजीबाबाद स्टेशन और मुरादाबाद कंट्रोल रूम को सूचना दी। ट्रेन कुछ देर घटनास्थल पर रुकी, फिर गंतव्य के लिए रवाना हो गई। बिजनौर वन प्रभाग की कौड़िया रेंज के रेंजर सचिन शर्मा, रेलवे के यातायात निरीक्षक पीके सिंह, और अन्य वन व रेल कर्मी मौके पर पहुंचे। समय अधिक होने के कारण सोमवार रात पोस्टमार्टम नहीं हो सका।
पोस्टमार्टम और दफन:
वन विभाग ने बताया कि मंगलवार (10 जून 2025) सुबह चिकित्सकों की टीम द्वारा हाथी का पोस्टमार्टम किया जाएगा। इसके बाद शव को वन क्षेत्र में दफनाया जाएगा। हाथी की उम्र और मौत के सटीक कारणों का पता पोस्टमार्टम से चलेगा।
हाथियों की मौजूदगी से खतरा:
घटना के बाद दो अन्य हाथी घटनास्थल के आसपास मंडराते देखे गए। लोगों की मौजूदगी के कारण वे शव तक नहीं पहुंच सके, लेकिन हाईवे के किनारे उनकी उपस्थिति से राहगीरों में दहशत रही। यह क्षेत्र हाथी गलियारे के करीब है, जहां अक्सर हाथी रेल ट्रैक और सड़कों को पार करते हैं।
रेलवे की गति नीति पर सवाल:
रेलवे ने किलोमीटर 20-21 के बीच ट्रेन की गति को 35 किमी/घंटा तक सीमित करने का कॉशन लागू किया है, लेकिन यह केवल शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक प्रभावी है। रेलवे का मानना है कि दिन में हाथी ट्रैक पार नहीं करते। हालांकि, यह घटना दिन में हुई, जिसने रेलवे की इस नीति पर सवाल उठाए हैं। वन विभाग और स्थानीय लोग लंबे समय से इस क्षेत्र में दिन के समय भी गति सीमा लागू करने की मांग कर रहे हैं।
पिछली घटनाएं:
पिछले डेढ़ साल में कोटद्वार-नजीबाबाद रेलखंड पर दो अन्य हाथियों की भी ट्रेन की टक्कर से मौत हो चुकी है। यह क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व और कॉर्बेट नेशनल पार्क के बीच हाथी गलियारे का हिस्सा है, जहां हाथियों का आवागमन आम है।
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