सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकारें लोगों को खुश करने के लिए राशन कार्ड जारी करती रह सकती हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अनाज उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी केंद्र की है।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार (9 दिसंबर) को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत भोजन उपलब्ध कराने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र से कहा कि वह गरीब लोगों को केवल मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के बजाय रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि इतने बड़े स्तर पर राशन उपलब्ध कराने की चल रही प्रथा जारी रही तो राज्य सरकारें लोगों को खुश करने के लिए राशन कार्ड जारी करती रहेंगी, क्योंकि उन्हें पता है कि अनाज उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी केंद्र की है।
अदालत ने कहा, “यदि राज्यों से मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के लिए कहा जाए तो उनमें से कई वित्तीय संकट का हवाला देते हुए कहेंगे कि वे ऐसा नहीं कर सकते, इसलिए अधिक रोजगार पैदा करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।”
अदालत ने यह भी सवाल किया कि यदि राज्य राशन कार्ड जारी करते रहेंगे तो क्या उन्हें राशन का भुगतान करना चाहिए।
केंद्र के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत 80 करोड़ गरीब लोगों को अन्य आवश्यक वस्तुओं के अलावा गेहूं और चावल के रूप में मुफ्त राशन उपलब्ध कराती है। हालांकि, याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि इसके बावजूद करीब 2 से 3 करोड़ लोग अभी भी इस योजना से बाहर हैं।
अदालत प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं और दुर्दशा को उजागर करने वाली एक याचिका पर विचार कर रही थी, जहां उसने पहले निर्देश दिया था कि एनएफएसए के तहत राशन कार्ड/खाद्यान्न के लिए पात्र और हकदार और संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उनकी पहचान की गई है, उन्हें 19 नवंबर, 2024 से पहले राशन कार्ड जारी किए जाने चाहिए।
सोमवार को अदालती कार्यवाही के दौरान एसजी मेहता और याचिकाकर्ता भूषण के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
यह बताते हुए कि कोविड महामारी के कारण 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामला शुरू किया गया था, सॉलिसिटर जनरल ने टिप्पणी की कि भूषण सरकार चलाने और खुद नीतियां बनाने की कोशिश कर रहे थे।
इस पर भूषण ने जवाब दिया कि केंद्र के वकील उनके खिलाफ ऐसी टिप्पणी कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने एक बार एसजी के खिलाफ कुछ ईमेल का खुलासा किया था, जो उनकी छवि के लिए बहुत हानिकारक थे।
इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी, 2025 तक के लिए टाल दी।
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