कांवड़ यात्रा मार्ग पर जगह-जगह स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएंगे, जिसमें यात्रियों के लिए विश्राम, भोजन और आवास की सुविधा होगी। महिलाओं के लिए अलग से शिविर लगाए जाएंगे। स्वास्थ्य शिविरों में एंटी वेनम इंजेक्शन भी उपलब्ध होंगे।

कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होगी और 2 अगस्त को समाप्त होगी। आने वाले सोमवार से शुरू होने वाले सावन के महीने के दौरान, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के लोग गंगा नदी से जल लेने के लिए उत्तराखंड के ऋषिकेश और हरिद्वार तक पैदल जाते हैं और इसे शिव मंदिरों में चढ़ाने के लिए वापस लाते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने पड़ोसी राज्यों के अधिकारियों से अपने-अपने क्षेत्रों के कांवड़ यात्रा तीर्थयात्रियों को पहचान पत्र जारी करने के लिए कहा है। यह अनुरोध सावन के पवित्र महीने में होने वाली आगामी यात्रा की तैयारी के लिए किया गया, जिसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने कांवड़ यात्रा से पहले वार्षिक तीर्थयात्रा के सुचारू और सुरक्षित संचालन के लिए राज्य प्रशासन द्वारा की जा रही तैयारियों पर प्रकाश डाला।

उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा कि यात्रा के दौरान निगरानी के लिए ड्रोन तैनात किए जाएंगे और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी भी इसमें शामिल होंगे।

उत्तराखंड के डीजीपी ने भरोसा जताया कि यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न होगी। डीजीपी कुमार ने कहा, “कांवड़ मेला सुरक्षा, कानून व्यवस्था, यातायात प्रबंधन और लोगों की धार्मिक आस्था के लिहाज से उत्तराखंड पुलिस के लिए एक अहम चुनौती है। इस साल इसकी तिथियां तय हो गई हैं, यह 22 जुलाई से 2 अगस्त तक चलेगा।” प्रशासन द्वारा सुरक्षा प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “इस संबंध में हमने 1 जुलाई को 8 राज्यों के पुलिस अधिकारियों की अंतरराज्यीय बैठक की थी। इसमें केंद्रीय एजेंसियों और सीएपीएफ के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया है… इस बार हम निगरानी, ​​भीड़ प्रबंधन और यातायात प्रबंधन के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे।”

उन्होंने कहा, “अतीत में कांवड़ मेले के सफल आयोजन में हमारे बलों के अनुभव तथा अन्य राज्यों से मिल रहे सहयोग और समर्थन से हमें विश्वास है कि हम इस यात्रा को भी अच्छे से संपन्न करेंगे।”

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर कांवड़ यात्रा 2024 को व्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए शासन द्वारा 3 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है। यह धनराशि कांवड़ यात्रा 2024 की विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए विभागों की मांग के सापेक्ष स्वीकृत कर जिलाधिकारी हरिद्वार को उपलब्ध करा दी गई है। मुख्यमंत्री ने पूर्व में आयोजित समीक्षा बैठकों में अधिकारियों को कांवड़ यात्रा की व्यवस्थाओं को संचालित करने के निर्देश दिए थे।

धामी ने यह भी निर्देश दिये थे कि गत वर्ष की कांवड़ यात्रा में आये शिव भक्तों की संख्या एवं व्यवस्थाओं के दृष्टिगत इस वर्ष कांवड़ यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को दी जाने वाली आवश्यक सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाये, इसके साथ ही इस दौरान शांति एवं कानून व्यवस्था तथा यातायात प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिये जाने के निर्देश उनके द्वारा दिये गये हैं।

कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों द्वारा उत्तराखंड में हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री तथा बिहार के भागलपुर में अजगैबीनाथ, सुल्तानगंज के हिंदू तीर्थ स्थानों पर गंगा नदी का पवित्र जल लाने के लिए की जाने वाली एक वार्षिक तीर्थयात्रा है। यह ‘श्रावण’ के महीने में आयोजित की जाती है, जो भगवान शिव को समर्पित है।

कांवड़ यात्रियों को भाला, त्रिशूल या कोई भी हथियार ले जाने की अनुमति नहीं होगी। कांवड़ यात्रा मार्ग पर डीजे पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन ध्वनि निर्धारित कानूनी सीमा के भीतर होनी चाहिए। कांवड़ यात्रा पर सीसीटीवी और ड्रोन से निगरानी की जाएगी।

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश में कांवड़ यात्रा 22 जुलाई (सोमवार) से शुरू होगी। उन्होंने बताया कि सुरक्षा कारणों से पूरे मार्ग को पांच जोन में बांटा गया है।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार ने मेरठ में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और चार अन्य राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित और सफल तीर्थयात्रा सुनिश्चित करने की रणनीति बनाई।

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