राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। संगठन की तारीफ करने पर विपक्षी दल ने सवाल उठाया कि आखिर ऐसी कौन सी उपलब्धि है, जिसके लिए पीएम आरएसएस की प्रशंसा कर रहे हैं?
कांग्रेस ने महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े ऐतिहासिक संदर्भों का हवाला देते हुए कहा कि यह वही संगठन है, जिसे सरदार पटेल ने प्रतिबंधित किया था और गांधीजी ने ‘तानाशाही सोच वाला सांप्रदायिक संगठन’ बताया था। यह विवाद आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर बुधवार को पीएम के भाषण के ठीक बाद भड़का, जिसमें उन्होंने संघ को ‘राष्ट्र प्रथम’ का प्रतीक बताते हुए हमलों के बावजूद कड़वाहट न दिखाने की सराहना की।
कांग्रेस नेता और महासचिव जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर गांधीजी के करीबी सहयोगी प्यारे लाल की किताब ‘महात्मा गांधी: द लास्ट फेज’ का हवाला दिया। उन्होंने दावा किया कि 1956 में प्रकाशित इस किताब के दूसरे खंड के पेज 440 पर 12 सितंबर 1947 की एक बातचीत दर्ज है, जिसमें गांधीजी ने आरएसएस को ‘सांप्रदायिक संगठन जिसकी सोच तानाशाही है’ कहा था। प्यारे लाल, जो 1942 में महादेव देसाई की मृत्यु के बाद गांधीजी के सचिव बने थे, की यह जीवनी तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की सिफारिश पर आधारित है। रमेश ने किताब का स्क्रीनशॉट साझा कर कहा कि इस बातचीत के करीब पांच महीने बाद, 1948 में सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था।
रमेश ने एक अन्य पोस्ट में पटेल के 18 जुलाई 1948 के पत्र का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखा था कि आरएसएस और हिंदू महासभा की गतिविधियों ने गांधीजी की हत्या जैसी त्रासदी का माहौल बनाया। उन्होंने कहा, “आरएसएस की गतिविधियां सरकार और राष्ट्र के अस्तित्व के लिए खतरा थीं। प्रतिबंध के बावजूद वे बंद नहीं हुईं।” रमेश ने पटेल के 19 दिसंबर 1948 के जयपुर भाषण का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने आरएसएस पर तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने पीएम से सवाल किया, “क्या उन्हें पता है कि पटेल ने क्या लिखा था?”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भी प्रतिक्रिया दी। श्रीनेत ने कहा, “प्रधानमंत्री आरएसएस की तारीफ आखिर किस बात के लिए कर रहे हैं? केवल एक सिक्का जारी करके आप उनकी तारीफ नहीं कर सकते। आरएसएस ऐसा संगठन है, जिसके हाथ महात्मा गांधी के खून से रंगे हैं और जिसे सरदार पटेल ने प्रतिबंधित किया था।” खड़गे ने इसे ‘संविधान विरोधी’ करार दिया। कांग्रेस का कहना है कि पीएम का भाषण आरएसएस को वैधता देने की कोशिश है, जबकि इतिहास इसके खिलाफ है।
पीएम मोदी का भाषण: ‘राष्ट्र प्रथम’ की सराहना
बुधवार को डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित समारोह में पीएम मोदी ने मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया। उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करते हुए कहा, “संघ पर हमले जरूर हुए, लेकिन उसने कभी कड़वाहट नहीं दिखाई और हमेशा ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना से काम किया।” उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों की सेवा को सराहा, खासकर 2025 की पंजाब बाढ़ और पहाड़ी राज्यों में आपदा राहत में योगदान का। संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले भी मौजूद थे।
यह विवाद स्वतंत्रता दिवस 2025 के भाषण से जुड़ गया, जहां पीएम ने आरएसएस को ‘विश्व का सबसे बड़ा एनजीओ’ कहा था। तब भी कांग्रेस ने इसे ‘आरएसएस को खुश करने की कोशिश’ बताया था। विपक्ष का आरोप है कि यह राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़ रहा है। आरएसएस ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि संगठन हमेशा राष्ट्र निर्माण में लगा रहा।
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