उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब जीत हो तो चुनाव परिणाम को स्वीकार नहीं किया जा सकता और जब हार हो तो ईवीएम को दोष नहीं दिया जा सकता।
जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर भारत के सहयोगी दल कांग्रेस की तीखी आपत्ति को खारिज कर दिया है, जिससे भारत ब्लॉक के सहयोगी दल के साथ टकराव का एक और मुद्दा खुल गया है।
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस ने ईवीएम की अचूकता और चुनाव परिणाम पर संदेह जताया है। उसने बैलेट पेपर पर वापस लौटने की मांग की है। अब्दुल्ला ने कहा कि जब जीत हो तो चुनाव परिणाम को स्वीकार नहीं किया जा सकता और जब हार हो तो ईवीएम को दोष नहीं दिया जा सकता।
अब्दुल्ला ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, “जब संसद के सौ से अधिक सदस्य एक ही ईवीएम का उपयोग कर रहे हों और आप इसे अपनी पार्टी की जीत के रूप में मनाते हों, तो आप कुछ महीने बाद पलटकर यह नहीं कह सकते कि हमें ये ईवीएम पसंद नहीं हैं, क्योंकि अब चुनाव परिणाम उस तरह नहीं आ रहे हैं, जैसा हम चाहते हैं।”
उन्होंने कहा कि यदि पार्टियों को मतदान प्रणाली पर भरोसा नहीं है तो उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या सामान्य विपक्ष और विशेषकर कांग्रेस का ईवीएम पर ध्यान केन्द्रित करना गलत है, तो उन्होंने कहा, “यदि आपको ईवीएम से समस्या है, तो आपको उन समस्याओं पर निरंतर ध्यान देना चाहिए।”
जब अब्दुल्ला से कहा गया कि वह जो कह रहे हैं उससे ऐसा लग रहा है कि वह भाजपा के प्रवक्ता हैं, तो उन्होंने कहा, ‘भगवान न करे।’
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