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उत्तर भारत में मौसम का दोहरा चेहरा: यूपी में शुष्कता, हिमाचल में बाढ़ और भूस्खलन की मार

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उत्तर भारत में मौसम के दो विपरीत चेहरे सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश में मानसून कमजोर पड़ने और बारिश के दायरे में कमी के कारण शुष्क मौसम का दौर शुरू हो गया है, वहीं हिमाचल प्रदेश के जनजातीय इलाकों में बादल फटने और भूस्खलन ने जनजीवन को तहस-नहस कर दिया है।

मौसम विभाग ने स्पष्ट किया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अगले कुछ दिनों तक शुष्क मौसम रहेगा, जबकि तराई और पूर्वी जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

उत्तर प्रदेश में मानसून की विदाई शुरू

गुरुवार से उत्तर प्रदेश में मानसूनी बारिश का असर कम होने लगा। शुक्रवार को अधिकांश हिस्सों में धूप निकलने और बारिश रुकने से दिन का तापमान बढ़ गया, जिससे उमस भरी गर्मी ने लोगों को परेशान किया। मौसम विभाग ने शनिवार के लिए किसी भी भारी बारिश की चेतावनी जारी नहीं की है। पश्चिमी यूपी के मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़ जैसे जिलों में अगले तीन-चार दिनों तक मौसम शुष्क रहने की संभावना है।

पूर्वी यूपी और तराई क्षेत्रों जैसे कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच और श्रावस्ती में हल्की बूंदाबांदी हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून अब कमजोर पड़ रहा है और सितंबर के अंत तक इसकी वापसी शुरू हो सकती है।

हिमाचल में बादल फटने से तबाही

दूसरी ओर, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की तरांडा पंचायत में गुरुवार देर रात बादल फटने से थाच गांव में अचानक बाढ़ आ गई। इस आपदा से लोग जान बचाने के लिए जंगलों की ओर भागे। बाढ़ में दो छोटे वाहन और एक मिक्सर मशीन बह गए, जबकि निजी और सरकारी जमीन को भारी नुकसान हुआ।

नेशनल हाईवे-5 थाच नाले के पास भूस्खलन के कारण बंद हो गया, जहां ढाई मीटर गहरी खाई बन गई और 110 मीटर हिस्से में चट्टानें और मलबा जमा हो गया। इससे किन्नौर का शिमला और बाहरी दुनिया से सड़क संपर्क टूट गया।

शिमला में भी भूस्खलन का कहर

राजधानी शिमला में भी मौसम की मार पड़ रही है। शुक्रवार को भारी भूस्खलन के कारण सर्कुलर रोड बंद हो गया। हिमलैंड के पास दो बहुमंजिला इमारतें खतरे में हैं, जिसके चलते पास के सेंट एडवर्ड स्कूल को शनिवार के लिए बंद रखा गया है। शिमला जिले के कुमारसैन की करेवथी पंचायत में एक तीन मंजिला मकान पूरी तरह ढह गया। प्रदेश में अब तक 422 सड़कें, 107 बिजली ट्रांसफार्मर और 185 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं।

कई इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति ठप है। धौलाधार, भरमौर, मणिमहेश कैलाश और कुगति जोत की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी ने ठंड को और बढ़ा दिया है।

राहत और बचाव कार्य जारी

आपदा प्रबंधन और लोक निर्माण विभाग की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। सड़कों को खोलने और बिजली-पानी की आपूर्ति बहाल करने के लिए दिन-रात प्रयास किए जा रहे हैं। मौसम विभाग ने शनिवार को भी हिमाचल के कई हिस्सों में बारिश की संभावना जताई है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

दोहरी तस्वीर:

जहां उत्तर प्रदेश के लोग उमस भरी गर्मी और कमजोर मानसून से जूझ रहे हैं, वहीं हिमाचल प्रदेश के लोग बाढ़, भूस्खलन और बारिश की तबाही का सामना कर रहे हैं। यह मौसम का वह दोहरा चेहरा है, जो हर साल उत्तर भारत में आपदा और राहत की दो अलग-अलग कहानियां रचता है।

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