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उत्तराखंड में भारी बारिश का रेड अलर्ट: बाढ़ में 4 की मौत, बचाव कार्य जोरों पर

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को खीरगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई। इस आपदा में कम से कम चार लोगों की मौत हो चुकी है, नौ सैन्यकर्मी लापता हैं, और दर्जनों लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। भारी बारिश के कारण बचाव कार्यों में बाधा आ रही है, और मौसम विभाग ने आज हरिद्वार, नैनीताल, और उधम सिंह नगर सहित कई जिलों के लिए भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है।

उत्तरकाशी बाढ़: 10 प्रमुख बिंदु

  1. बादल फटने से तबाही: खीरगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से धराली गांव में पानी, कीचड़ और मलबे की तेज लहर ने कई घरों, होटलों और दुकानों को तबाह कर दिया।
  2. मृत्यु और लापता लोग: कम से कम चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, और 50 से अधिक लोग लापता हैं। धराली और आसपास के क्षेत्रों में कई लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं।
  3. धराली में भारी नुकसान: धराली, जो गंगोत्री धाम के रास्ते में एक प्रमुख पर्यटक स्थल है, में 20-25 होटल और होमस्टे पूरी तरह नष्ट हो गए हैं।
  4. सुक्की गांव भी प्रभावित: पहाड़ी के दूसरी ओर सुक्की गांव में भी बाढ़ ने भारी तबाही मचाई, जिससे सड़कें और संपत्तियाँ नष्ट हो गईं।
  5. बचाव कार्य में चुनौतियाँ: लगातार बारिश, खतरनाक इलाकों और सड़कों के अवरुद्ध होने के कारण बचाव कार्य प्रभावित हो रहे हैं। हेलिकॉप्टरों को उड़ान भरने में भी कठिनाई हो रही है।
  6. रेड अलर्ट जारी: मौसम विभाग ने हरिद्वार, नैनीताल, उधम सिंह नगर और अन्य क्षेत्रों के लिए भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है, जबकि अन्य क्षेत्रों में ऑरेंज अलर्ट है।
  7. स्कूल-कॉलेज बंद: देहरादून, नैनीताल, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, चम्पावत, पौड़ी, अल्मोड़ा और बागेश्वर में स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं।
  8. मुख्यमंत्री की सक्रियता: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आंध्र प्रदेश का दौरा बीच में छोड़कर देहरादून लौटकर आपात बैठक की और बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए।
  9. सड़कें अवरुद्ध: राज्य में 163 सड़कें, जिनमें पांच राष्ट्रीय राजमार्ग, सात राज्य राजमार्ग और दो सीमा सड़कें शामिल हैं, भूस्खलन के कारण बंद हैं।
  10. नदियाँ खतरे के निशान पर: रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी खतरे के निशान के करीब बह रही है, जबकि बागेश्वर में गोमती और सरयू नदियाँ उफान पर हैं। केदारनाथ यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है।

बचाव कार्य और सरकारी प्रयास

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने पहली बार कैडवर डॉग्स की एक टीम को तैनात करने का फैसला किया है, जो मलबे में दबे शवों का पता लगाने में मदद करेगी। दिल्ली से दो कैडवर डॉग्स को हवाई मार्ग से उत्तरकाशी भेजा जा रहा है। तीन NDRF टीमें, प्रत्येक में 35 बचावकर्मी, पहले ही उत्तरकाशी पहुँच चुकी हैं, जबकि दो और टीमें देहरादून हवाई अड्डे से रवाना होने की प्रतीक्षा में हैं।

भारतीय सेना, ITBP, SDRF और स्थानीय पुलिस की टीमें युद्धस्तर पर बचाव कार्य में जुटी हैं। सेना ने 150 कर्मियों की एक टीम तैनात की है, जो ट्रैकर डॉग्स, ड्रोन और अर्थमूविंग उपकरणों के साथ काम कर रही है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “हमारी प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है।” उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, आश्रय और चिकित्सा सहायता तुरंत उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति

धराली गांव में बाढ़ ने लगभग आधे हिस्से को मलबे और कीचड़ में दबा दिया है। पर्यटकों द्वारा रिकॉर्ड किए गए वीडियो में पानी और मलबे की तेज धारा पहाड़ों से नीचे की ओर बहती दिख रही है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, “होटलों से लेकर बाजार तक सब कुछ नष्ट हो गया। मैंने पहले कभी ऐसी आपदा नहीं देखी।”

उत्तरकाशी-हरसिल मार्ग पर कई जगहों पर भूस्खलन के कारण सड़कें अवरुद्ध हैं, और भटवाड़ी में उत्तरकाशी से धराली और गंगोत्री को जोड़ने वाली रणनीतिक सड़क पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। JCB मशीनों की मदद से सड़कों को साफ करने का काम जारी है, लेकिन लगातार बारिश के कारण यह कार्य धीमा पड़ रहा है।

प्राकृतिक आपदा का इतिहास और चुनौतियाँ

उत्तराखंड में मानसून के दौरान बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएँ आम हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित शहरीकरण ने इनकी तीव्रता और आवृत्ति को बढ़ा दिया है। 2013 की केदारनाथ त्रासदी और 2021 की चमोली आपदा के बाद यह क्षेत्र पहले से ही संवेदनशील है। खीरगंगा बाढ़ ने प्राचीन कल्प केदार मंदिर को भी मलबे में दबा दिया, जो केदारनाथ मंदिर की वास्तुकला से मिलता-जुलता है।

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