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उत्तरकाशी बाढ़: ‘5 लाख का वादा, मिले सिर्फ इतने हजार’, धराली-हर्षिल में प्रभावित परिवारों का प्रदर्शन

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली और हर्षिल गांवों में 5 अगस्त 2025 को आई विनाशकारी बाढ़ के बाद प्रभावित परिवारों ने सरकार द्वारा दी गई 5,000 रुपये की ‘तात्कालिक राहत’ राशि को अपर्याप्त बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार पर उनके नुकसान को कम आंकने का आरोप लगाया।

प्रदर्शन और ग्रामीणों की नाराजगी
धराली और हर्षिल में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई, जिसमें होटल, होमस्टे, दुकानें और घर पूरी तरह बह गए। सरकार ने प्रभावित परिवारों को 5,000 रुपये के चेक दिए, जिसे ग्रामीणों ने ‘नाकافی’ और ‘नुकसान का मजाक’ करार दिया। एक ग्रामीण, राजेश पंवार ने कहा, “हमारे घर, आजीविका, सब कुछ बर्बाद हो गया। 5 लाख रुपये मुआवजे का वादा किया गया, लेकिन 5,000 रुपये देकर सरकार हमारी पीड़ा का अपमान कर रही है।”

सरकार का जवाब और मुआवजा वादा
उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट प्रशांत आर्य ने बताया कि 5,000 रुपये की राशि केवल तात्कालिक राहत के लिए थी। उन्होंने कहा, “नुकसान का आकलन करने के बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसके आधार पर उचित मुआवजा दिया जाएगा।” मुख्यमंत्री धामी ने जिनके घर पूरी तरह नष्ट हुए और जिनके परिवार के सदस्यों की मृत्यु हुई, उनके लिए 5 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। इसके लिए राजस्व सचिव की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है, जो एक सप्ताह में प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपेगी।

बाढ़ की स्थिति और राहत कार्य
5 अगस्त को खीर गंगा नदी के ऊपरी क्षेत्र में बादल फटने से धराली में भारी बाढ़ आई, जिसने गांव के आधे हिस्से को मलबे और पानी में डुबो दिया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक पांच लोगों की मौत की पुष्टि हुई, दो शव बरामद किए गए, और 49 लोग लापता हैं। 1,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

  • राहत कार्य: भारतीय सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, और एसडीआरएफ की टीमें लगातार पांचवें दिन भी बचाव कार्य में जुटी हैं। हेलीकॉप्टरों के जरिए फंसे लोगों को निकाला जा रहा है और दूरदराज के इलाकों में खाद्य पैकेट गिराए जा रहे हैं।
  • चुनौतियां: लगातार बारिश और भूस्खलन ने रेस्क्यू ऑपरेशन को मुश्किल बना दिया। गंगोत्री नेशनल हाईवे पर कई जगहों पर सड़कें और लिमच्छा नदी पर बना पुल बह गया, जिससे धराली तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण है।
  • सेना का योगदान: सेना की इबेक्स ब्रिगेड ने सैटेलाइट और रेडियो रिले संचार स्थापित किया, जिससे फंसे लोग अपने परिजनों से संपर्क कर सके। 125 सैनिक और 83 आईटीबीपी जवान राहत कार्य में जुटे हैं।

मुख्यमंत्री और केंद्र का रुख
मुख्यमंत्री धामी ने 6 अगस्त को धराली का दौरा किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता सभी फंसे लोगों को निकालना और सामान्य स्थिति बहाल करना है।” बिजली, मोबाइल नेटवर्क, और सड़क संपर्क बहाल करने के साथ-साथ सामुदायिक रसोई के जरिए भोजन, कपड़े और जरूरी सामान वितरित किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने धामी से बात कर केंद्र की ओर से पूर्ण सहायता का भरोसा दिया। केंद्र ने चंडीगढ़, सरसावा और आगरा से दो चिनूक और दो एमआई-17 हेलीकॉप्टर भेजे हैं, जो भारी उपकरणों को जॉली ग्रांट हवाई अड्डे तक पहुंचा रहे हैं।

ग्रामीणों की मांग और भविष्य
प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने मांग की है कि सरकार तत्काल 5 लाख रुपये का मुआवजा दे और पुनर्वास योजना को जल्द लागू करे। धराली, गंगोत्री के रास्ते में एक प्रमुख पड़ाव है, जहां पर्यटन और होमस्टे स्थानीय आजीविका का मुख्य स्रोत हैं। बाढ़ ने 20-25 होटलों और होमस्टे को नष्ट कर दिया, जिससे ग्रामीणों की आजीविका पर गहरा संकट आ गया है।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हमारा सब कुछ बह गया। 5,000 रुपये से क्या होगा? सरकार को हमारे पुनर्वास और आजीविका की गारंटी देनी होगी।”

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