आगरा के ट्रांस यमुना क्षेत्र में श्रीनगर कॉलोनी निवासी 80 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एचसी नितांत साइबर ठगों के शिकार बन गए। ठगों ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग के अधिकारी बताकर उन्हें सात दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और 23 लाख रुपये की ठगी की। यह घटना आगरा में डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों की एक और कड़ी है, जो साइबर अपराधों की गंभीरता को उजागर करती है। पीड़ित ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई है, और पुलिस मामले की जांच कर रही है।
घटना का विवरण
डॉ. एचसी नितांत, जो 18 साल पहले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से सेवानिवृत्त हुए थे, को 10 सितंबर 2025 को सुबह 9 बजे व्हाट्सएप पर एक कॉल प्राप्त हुई। कॉल करने वाले ने खुद को ईडी अधिकारी अजय पाटिल बताया और दावा किया कि मुंबई की एक बैंक शाखा में डॉ. नितांत के नाम से खाते में 30 करोड़ रुपये का अवैध लेनदेन हुआ है। ठगों ने आरोप लगाया कि यह रकम बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोह से जुड़े सदाकत खां के माध्यम से आई है, जिसमें 30 लाख रुपये अभी खाते में बचे हैं। उन्होंने धमकी दी कि इस मामले में डॉ. नितांत का नाम एक एफआईआर में शामिल है और जल्द ही नोटिस भेजा जाएगा।
डॉ. नितांत ने अपनी बेगुनाही का दावा किया, लेकिन ठगों ने उन्हें डराने के लिए रोजाना सुबह 9 बजे कॉल करना शुरू किया। 11 सितंबर को एक अन्य व्यक्ति, जिसने खुद को आयकर विभाग का अधिकारी दया बताया, ने कॉल किया और दावा किया कि उनके घर पर ईडी और आयकर विभाग का छापा पड़ सकता है। ठगों ने विश्वास जीतने के लिए डॉ. नितांत से उनका आधार कार्ड व्हाट्सएप पर मांगा, जिसे उन्होंने भेज दिया। इसके बाद, ठगों ने सात दिनों तक रोजाना एक घंटे तक कॉल कर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और किसी से बात करने या घर से बाहर निकलने पर जेल भेजने की धमकी दी।
23 लाख रुपये की ठगी
ठगों ने डॉ. नितांत पर बैंक खाते का बैलेंस बताने का दबाव डाला। जब उन्होंने खाते में रकम न होने की बात कही, तो ठगों ने उनकी 23 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) के बारे में पूछा। 17 सितंबर को डर के मारे डॉ. नितांत बैंक गए और एफडी तुड़वाकर रकम अपने बचत खाते में ट्रांसफर कराई। इसके बाद, ठगों ने आरटीजीएस के माध्यम से यह पूरी रकम अपने खाते में ट्रांसफर करा ली। रकम गंवाने के बाद, 18 सितंबर को डॉ. नितांत ने अपने बेटे को घटना की जानकारी दी, जिसने साइबर ठगी की आशंका जताई। इसके बाद, उन्होंने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर ठगों के बैंक खातों और मोबाइल नंबरों की जांच शुरू कर दी है।
डिजिटल अरेस्ट का बढ़ता खतरा
आगरा में डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह मामला इस तरह की ठगी का पहला उदाहरण नहीं है। हाल के कुछ अन्य मामलों में:
- जगदीशपुरा की शिक्षिका: एक रिटायर्ड शिक्षिका को उनकी बेटी को जेल भेजने की धमकी देकर डिजिटल अरेस्ट किया गया था। डर के कारण उनकी मृत्यु हो गई, और मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
- शाहगंज की युवती: एक युवती को 31 दिनों तक स्काइप के जरिए डिजिटल अरेस्ट में रखकर 16.20 लाख रुपये ठगे गए।
- एत्मादौला का परिवार: एक परिवार ने ऑनलाइन बैंक लॉकर सर्च करने के बाद 1.05 लाख रुपये गंवाए, जब ठगों ने उन्हें 50 मिनट तक डिजिटल अरेस्ट में रखा।
- नोएडा की बुजुर्ग महिला: पहलगाम आतंकी फंडिंग के नाम पर 23 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर 44 लाख रुपये ठगे गए।
इन मामलों में ठग आमतौर पर खुद को पुलिस, ईडी, सीबीआई, या आयकर अधिकारी बताकर पीड़ितों को डराते हैं और फर्जी दस्तावेज या नोटिस भेजकर विश्वास जीतते हैं। व्हाट्सएप, स्काइप, या अन्य वीडियो कॉलिंग ऐप्स का उपयोग कर पीड़ितों को मानसिक रूप से नियंत्रित किया जाता है।
पुलिस की सलाह और कार्रवाई
आगरा के डीसीपी (सिटी) सोनम कुमार ने स्पष्ट किया कि कोई भी सरकारी एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती। उन्होंने नागरिकों को सलाह दी कि:
- अज्ञात नंबरों से आने वाली कॉल्स पर भरोसा न करें और तुरंत कॉल काट दें।
- किसी भी संदिग्ध कॉल या नोटिस की स्थिति में तुरंत स्थानीय पुलिस, 112, या 1090 पर संपर्क करें।
- बैंक खाते, ओटीपी, या अन्य संवेदनशील जानकारी कभी साझा न करें।
साइबर क्राइम थाना प्रभारी रीता सिंह ने बताया कि डॉ. नितांत के मामले में ठगों के बैंक खातों की डिटेल्स और मोबाइल नंबरों की सर्विलांस शुरू कर दी गई है। पुलिस ने हाल के महीनों में कई साइबर ठगों को गिरफ्तार भी किया है, जैसे:
- राजस्थान के कोटा से दो आरोपी: एक निजी बैंक मैनेजर और उसके सहयोगी को 2.8 लाख रुपये की ठगी के लिए गिरफ्तार किया गया।
- अंतरराज्यीय गैंग: 110 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गैंग के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने 85 फर्जी बैंक खातों का उपयोग किया।
- ग्वालियर का हनी ट्रैप गिरोह: फेक प्रोफाइल और रोबोटिक तकनीक का उपयोग कर ठगी करने वाला एक आरोपी गिरफ्तार।
यूपी में आर्थिक प्रगति और साइबर ठगी का विरोधाभास
मर्सिडीज-बेंज और हुरुन रिसर्च की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में करोड़पति परिवारों की संख्या चार साल में दोगुनी होकर 57,700 हो गई है, और राज्य की जीएसडीपी 26 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। यह आर्थिक प्रगति डिजिटल लेनदेन और तकनीकी विकास से प्रेरित है, लेकिन इसके साथ ही साइबर ठगी के मामले भी बढ़ रहे हैं।
आगरा, लखनऊ, नोएडा, और गाजियाबाद जैसे शहरों में डिजिटल अरेस्ट और फर्जी निवेश योजनाओं के जरिए ठगी की घटनाएं आम हो गई हैं। डिजिटल युग में यूपीआई लेनदेन में वृद्धि (2024-25 में 1,000 करोड़ से अधिक) ने जहां आर्थिक पारदर्शिता बढ़ाई है, वहीं साइबर अपराधियों ने इसका दुरुपयोग शुरू कर दिया है।
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