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आगरा में यमुना का रौद्र रूप: ताजमहल की दीवारों तक पहुंचा पानी, खतरे का निशान पार, रात तक स्थिति और गंभीर होने की आशंका

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आगरा में यमुना नदी का जलस्तर चेतावनी बिंदु (495 फीट) से 3.3 फीट ऊपर 498.3 फीट तक पहुंच गया है, और शनिवार को यह मध्यम बाढ़ स्तर 499 फीट को पार कर सकता है। हथिनीकुंड बैराज से 2.50 लाख क्यूसेक और गोकुल बैराज से 1.22 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण रात तक बाढ़ की स्थिति और खतरनाक हो सकती है।

भारी बारिश और बैराजों से पानी छोड़े जाने के चलते नदी उफान पर है, जिससे शहर और आसपास के इलाकों में दहशत का माहौल है।

जिला प्रशासन ने बाढ़ के खतरे को देखते हुए सदर तहसील के ठार आश्रम और मेहरा नाहरगंज के 40 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है। यदि जलस्तर और बढ़ा तो लगभग 5,000 परिवार प्रभावित हो सकते हैं। सिंचाई विभाग के अनुसार, यमुना का बढ़ता जलस्तर कई क्षेत्रों में तबाही मचा रहा है।

नगला बूढ़ी, अमर विहार, दयालबाग, मोतीमहल, कटरा वजीर खां, रामबाग बस्ती, तनौरा, नूरपुर, मेहरा नाहरगंज, विसारना, कैलाश, स्वामी बाग, फतेहाबाद तहसील के भरापुर, बमरौली, इंदौन, मडायना, मेलीकलॉ, गुडा, मेवली खुर्द, हिमायूपुर, बुर्ज, नगला छीतर सिंह, महल बादशाही, नगला तल्फी, नगल पैमा, शाहिदपुर, वीरपुरा, बेहड़, पारौली सिकरवार, बिचौला, गिदौन, और एत्मादपुर तहसील के नगला धीमर, बढ़नुपरा, रहनकलां, नगला कटा जैसे क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं।

शहर में 40 से अधिक नाले बैक मार रहे हैं, जिससे जल निकासी की समस्या गंभीर हो गई है। पोइया और मनोहरपुर में यमुना का पानी किनारों को तोड़कर सड़कों तक पहुंच गया है। दयालबाग के डूब क्षेत्र, बल्केश्वर, और टेढ़ी बगिया जैसे निचले इलाकों में पानी घुसना शुरू हो गया है। नगर निगम ने बाढ़ से निपटने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं।

ऐतिहासिक स्थलों पर खतरा
यमुना के बढ़ते जलस्तर का असर आगरा के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर भी दिखाई दे रहा है। कैलाश घाट पर कैलाश मंदिर की सीढ़ियां डूब चुकी हैं, और बल्केश्वर घाट का काली मंदिर पूरी तरह जलमग्न हो गया है। ताजमहल के पीछे चंद्रशेखर पार्क और दशहरा घाट डूबने से पर्यटकों और स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई है। ताजमहल की दीवारों तक पानी पहुंचने से पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) भी सतर्क है, हालांकि अधिकारियों का कहना है कि मुख्य स्मारक को कोई खतरा नहीं है, क्योंकि इसे बाढ़ से बचाने के लिए ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है।

प्रशासन की तैयारियां
जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज कर दिए हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं। निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है। मेडिकल कैंप और बाढ़ चौकियां सक्रिय कर दी गई हैं। लेखपालों को प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और सतर्क रहने की अपील की है।

पिछले बाढ़ के अनुभव
2023 में भी यमुना का जलस्तर 499.2 फीट तक पहुंचा था, जब ताजमहल की दीवारों तक पानी पहुंचा था। उस समय दशहरा घाट और मकबरे के पीछे का बगीचा डूब गया था, लेकिन मुख्य स्मारक सुरक्षित रहा। 1978 में यमुना का जलस्तर 508 फीट तक पहुंचा था, जो उच्च बाढ़ स्तर है, और तब ताजमहल के तहखाने में पानी घुस गया था।

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