
राजस्थान के अलवर जिले के लक्ष्मणगढ़ थाना क्षेत्र के बीचगांव में को कांवड़ यात्रा के दौरान 11 केवी हाईटेंशन लाइन से करंट फैलने के कारण हुए दर्दनाक हादसे में दो कांवड़ियों, सुरेश चंद्र प्रजापत (40) और गोपाल प्रजापत (22), की मौके पर मौत हो गई, जबकि 32 लोग गंभीर रूप से झुलस गए।

इस घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने लक्ष्मणगढ़-गढ़ी सवाईराम मार्ग को चार घंटे तक जाम कर दिया, बिजली विभाग की लापरवाही का आरोप लगाते हुए मुआवजे और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की।
मंत्री संजय शर्मा की कार्रवाई और मुआवजा:
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे का संज्ञान लेते हुए संजय शर्मा को तत्काल अलवर भेजा, जो स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी की बैठक छोड़कर गढ़ी सवाईराम और बीचगांव पहुंचे। उन्होंने गढ़ी सवाईराम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती घायलों से मुलाकात की और जिला प्रशासन से पल-पल की जानकारी लेकर मुख्यमंत्री को अपडेट किया। ग्रामीणों और प्रशासन के बीच दो घंटे की वार्ता के बाद सहमति बनी कि मृतकों के परिजनों को जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JVVNL) से 5-5 लाख रुपये और मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना (मां योजना) से 5-5 लाख रुपये, कुल 10-10 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। घायलों को भी नियमानुसार आर्थिक सहायता और मुफ्त इलाज का आश्वासन दिया गया।
दोषियों पर सख्त कार्रवाई:
हादसे के लिए बिजली विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए जूनियर इंजीनियर (JEN) दिनेश सिंह जाट और टेक्निकल हेल्पर सोनू को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। लाइनमैन को लाइन हाजिर किया गया, और JEN के खिलाफ परिजनों की शिकायत पर FIR दर्ज करने के निर्देश दिए गए। लक्ष्मणगढ़ के एसडीएम मोकम सिंह और रैनी तहसीलदार ममता कुमारी ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि बिजली लाइनों की ऊंचाई और रखरखाव की जांच होगी। ग्रामीणों ने पहले भी लटकते तारों की शिकायत की थी, जिसे नजरअंदाज करने का आरोप है।
हादसा सुबह 7:30 बजे हुआ, जब हरिद्वार से कांवड़ लेकर लौटे 27 कांवड़ियों का जत्था बीचगांव के सरकारी स्कूल से मिश्री वाले मंदिर की ओर शोभायात्रा निकाल रहा था। डीजे से लैस एक मिनी ट्रक पर लोहे का पोल और झंडा हाईटेंशन लाइन से टकराया, जिससे करंट तीन वाहनों और जमीन पर फैल गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तेज धमाकों के साथ 50-60 लोग एक साथ गिर पड़े, जिनमें कांवड़िए और स्वागत में शामिल ग्रामीण, जिसमें महिलाएं भी थीं, झुलस गए। मृतक गोपाल की चार महीने पहले शादी हुई थी, और सुरेश अपने बेटे और पिता के सामने मरे।
घायलों की स्थिति:
32 घायलों में से 22 का इलाज गढ़ी सवाईराम सीएचसी, 7 का लक्ष्मणगढ़ सीएचसी, और 8 गंभीर घायलों (पूजा देवी, राहुल, मदनलाल, राधेश्याम, रजनी, दक्ष, सीमा, विरमा) को अलवर के राजीव गांधी जनरल अस्पताल रेफर किया गया। दो की हालत नाजुक है। चिकित्सा अधिकारी डॉ. केसी मीणा ने बताया कि सभी घायलों को मुफ्त इलाज दिया जा रहा है।
ग्रामीणों का आक्रोश और मांगें:
हादसे के बाद ग्रामीणों ने बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए लक्ष्मणगढ़-मंडावर और गढ़ी सवाईराम-बीचगांव स्टेट हाईवे जाम कर दिया। उनकी मांगों में 50 लाख रुपये मुआवजा, दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई, मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी, और बिजली लाइनों को भूमिगत करने की मांग शामिल थी। चार घंटे बाद प्रशासन की मुआवजा और कार्रवाई की घोषणा के बाद जाम खुला।
अन्य हादसे:
कांवड़ यात्रा के दौरान करंट से मौतें पहली बार नहीं हुईं। 23 जुलाई को ही फरीदाबाद में 24 वर्षीय कांवड़िए रवि की 11 केवी लाइन से टकराने से मौत हुई, और एक अन्य घायल हुआ। 2024 में कोटा में कलश यात्रा में करंट से पांच बच्चों की मौत हो गई थी। ये घटनाएं बिजली लाइनों की ऊंचाई और यात्रा मार्गों पर सुरक्षा की कमी को उजागर करती हैं।
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