
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 मई 2025 को ओवल ऑफिस में टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक बार फिर दावा किया कि उनके प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु संघर्ष को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ट्रंप ने कहा, “हमने भारत और पाकिस्तान को लड़ने से रोका। मेरा मानना है कि यह परमाणु आपदा में बदल सकता था।” उन्होंने इस युद्धविराम को “ऐतिहासिक” बताते हुए दोनों देशों के नेताओं और अपने प्रशासन की प्रशंसा की, विशेष रूप से व्यापार कूटनीति का उपयोग करने का श्रेय लिया। ट्रंप ने कहा, “हम उन लोगों के साथ व्यापार नहीं कर सकते जो एक-दूसरे पर गोली चला रहे हैं और संभावित रूप से परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं।”
भारत का रुख: द्विपक्षीय निर्णय, कोई तीसरी मध्यस्थता नहीं
भारत ने ट्रंप के दावों को स्पष्ट रूप से खारिज किया है, यह जोर देते हुए कि 10 मई 2025 को लागू हुआ युद्धविराम पूरी तरह से नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) की हॉटलाइन वार्ता का परिणाम था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह समझौता द्विपक्षीय था और इसका अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता से कोई संबंध नहीं है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी 1 मई को अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो के साथ बातचीत में स्पष्ट किया था कि भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता। भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय हमलों के बाद युद्धविराम का प्रस्ताव रखा, जिसे भारत ने स्वीकार किया।
घटनाक्रम
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव 6-7 मई 2025 को तब बढ़ा जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए गए। इसके बाद दोनों देशों के बीच ड्रोन हमले और भारी गोलीबारी हुई, जिससे स्थिति युद्ध की ओर बढ़ती दिख रही थी। 10 मई को शाम 5 बजे दोनों देशों ने युद्धविराम की घोषणा की। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने भी सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि की। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस ब्रीफिंग में युद्धविराम की पुष्टि की, लेकिन इसे द्विपक्षीय निर्णय बताया।
ट्रंप के बार-बार के दावे और भारत में प्रतिक्रिया
ट्रंप ने 10 मई के बाद से कम से कम नौ बार दावा किया है कि उनके हस्तक्षेप और व्यापारिक दबाव ने युद्धविराम कराया। 13 मई को सऊदी अरब-अमेरिका निवेश फोरम 2025 में उन्होंने कहा, “भारत और पाकिस्तान एक दिन साथ में अच्छा डिनर कर सकते हैं,” और युद्धविराम को व्यापार कूटनीति का परिणाम बताया। उन्होंने 30 मई को फिर दावा किया, “मैंने कहा, दोस्तों, चलो एक सौदा करते हैं। परमाणु मिसाइलों का व्यापार नहीं, बल्कि उन चीजों का व्यापार करें जो आप बनाते हैं।”
भारत में ट्रंप के दावों पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “ट्रंप ने नौवीं बार कहा है कि उन्होंने व्यापार के जरिए भारत-पाकिस्तान युद्ध रोका। पीएम मोदी की चुप्पी असहनीय है।” जयराम रमेश ने भी टिप्पणी की, “21 दिनों में ट्रंप ने 10वीं बार दावा किया है। पीएम कब बोलेंगे?” विपक्ष ने सरकार पर ट्रंप के बयानों को खारिज न करने और राष्ट्रीय सम्मान पर चुप रहने का आरोप लगाया। कुछ विश्लेषकों ने ट्रंप के बयानों को उनकी वैश्विक छवि और नोबेल शांति पुरस्कार की महत्वाकांक्षा से जोड़ा।
विशेषज्ञों की राय
विश्लेषक स्वस्ति राव ने ट्रंप की मध्यस्थता की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने कूटनीतिक सीमाओं का उल्लंघन किया। भारत की नीति कश्मीर जैसे मुद्दों पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करने की रही है, जैसा कि 2019 में ट्रंप की कश्मीर मध्यस्थता की पेशकश को भारत ने ठुकरा दिया था। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप का बयान भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की संभावना को दर्शाता है, लेकिन यह पाकिस्तान को रणनीतिक साझेदार मानने का भी संकेत देता है।
ट्रंप का दावा उनकी व्यापक विदेश नीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जिसमें वे रूस-यूक्रेन युद्ध, ईरान परमाणु समझौता, और मध्य पूर्व जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता का श्रेय लेने की कोशिश करते हैं। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और युद्धविराम उसके रणनीतिक फैसले थे, जो पाकिस्तान की कमजोर स्थिति के बाद लिए गए। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पहलगाम हमले पर भारत का समर्थन किया था, लेकिन भारत ने साफ किया कि उसकी कार्रवाई स्वतंत्र थी।
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